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जगन्नाथ का भात...जगत पसारे हाथ, ऐसी महिमा है महाप्रभु के महाप्रसाद की - महाप्रभु महाप्रसाद

महाप्रसाद ग्रहण करने वाला हर भक्त भवसागर पारकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है, ये सबसे बड़ी मान्यता है. आश्चर्यजनक बात यह है कि मंदिर की रसोई में बने महाप्रसाद (Mahaprabhu mahaprasad) का एक भी दाना कच्चा नहीं रहता है. Rath yatra 2022 .

Mahaprabhu jagannath mahaprasad
जगन्नाथ का भात जगत पसारे हाथ, महाप्रभु महाप्रसाद
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Published : Jun 20, 2022, 5:36 AM IST

Updated : Jun 20, 2022, 5:55 PM IST

ईटीवी भारत डेस्क: जय जगन्नाथ, सनातन धर्म को एक सूत्र में जोड़ने वाले चार धामों में से एक जगन्नाथ पूरी के पवित्र 'महाप्रसाद' में सभी धर्मप्रेमियों की गहरी आस्था है. सबसे बड़ी मान्यता ये है कि महाप्रसाद (Mahaprabhu mahaprasad) ग्रहण करने वाला हर भक्त भवसागर पारकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. भगवान जगन्नाथ मंदिर के आसपास बहुत सारे रहस्य हैं, उनमें से अधिकांश मंदिर की रसोई से जुड़े हैं. ये दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है.

जगन्नाथ का भात जगत पसारे हाथ, महाप्रभु का महाप्रसाद

इस रसोई में 56 तरह के 'भोग' पकाए जाते हैं. हर दिन रसोई में देवताओं के लिए लकड़ी की आग पर मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाया जाता है. पवित्र 'महाप्रसाद' एक दिन में एक लाख लोगों को खिलाया जाता है. लगभग 2400 रसोइया चौबीसों घंटे इस काम में लगते हैं. महाप्रसाद को 752 छोटे ओवन (चूल्हे) पर पकाया जाता है. भगवान जगन्नाथ, जिन्हें 'जगा कालिया' भी कहा जाता है, मंदिर के मुख्य देवता हैं. उन्हें महाप्रसाद (56 भोग से मिलकर) के साठ पौति (एक प्राचीन माप) खिलाये जाते हैं.

VIDEO : रथयात्रा के लिये महीनों पहले इस शुभ मुहूर्त में होती है शुरुआत, सदियों पहले बने नियमों के आधार पर बनते हैं रथ

रसोई में खाना पकाने की प्रक्रिया भी खास है. एक ही ओवन में नौ मिट्टी के बर्तन रखे जाते हैं और एक साथ खाना पकाया जाता है. महाप्रसाद खास तरह के मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है, जिन्हें कुडुआ कहते हैं. इन बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है. हैरानी की बात यह है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन में चावल हमेशा सबसे पहले पकता है. यह पवित्र महाप्रसाद भगवान को चढ़ाए जाने के बाद एक दिन में लगभग एक लाख लोगों को परोसा जाता है. आश्चर्य की बात यह है कि महाप्रसाद कभी कम नहीं पड़ता.

त्रिमूर्ति के सामने महाप्रसाद चढ़ाए जाने के बाद इसे मंदिर परिसर के भीतर एक भोजन क्षेत्र 'आनंद बाजार' में भक्तों को परोसा जाता है. आनंद बाजार को दुनिया का सबसे बड़ा भोजन क्षेत्र भी कहा जाता है, जहां सभी जाति, धर्म और पंथ के भक्तों को महाप्रसाद के रूप में भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. महाप्रसाद से जुड़ी एक आश्चर्यजनक कहानी यह है कि एक भी दाना कभी कच्चा नहीं रहता है, और अगर ऐसा होता भी है, तो कहा जाता है कि यह भगवान के सामने परोसने से पहले खुद ही पक जाता है.

VIDEO : जलाभिषेक के बाद भगवान को आया बुखार, कब तक चलेगी तीमारदारी, ऐसा है भक्त और भगवान का रिश्ता

ऐसी मान्यता है कि महाप्रसाद को देवी अन्नपूर्णा और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है. यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है. महाप्रसाद को खाते समय वर्ग भेद पूरी तरह से खत्म हो जाता है. उस समय लोग सभी मतभेद भूलकर इस पवित्र महाप्रसाद को खाते और खिलाते हैं. ऐसी मान्यता है कि महाप्रसाद ग्रहण करने वाला हर भक्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है. जय...जगन्नाथ.

ये भी पढ़ें : सप्ताह की शुरुआत में 7 राशि वालों के जीवन में आएगा बड़ा बदलाव, 5 राशियों को मिलेंगे तरक्की के मौके

ईटीवी भारत डेस्क: जय जगन्नाथ, सनातन धर्म को एक सूत्र में जोड़ने वाले चार धामों में से एक जगन्नाथ पूरी के पवित्र 'महाप्रसाद' में सभी धर्मप्रेमियों की गहरी आस्था है. सबसे बड़ी मान्यता ये है कि महाप्रसाद (Mahaprabhu mahaprasad) ग्रहण करने वाला हर भक्त भवसागर पारकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. भगवान जगन्नाथ मंदिर के आसपास बहुत सारे रहस्य हैं, उनमें से अधिकांश मंदिर की रसोई से जुड़े हैं. ये दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है.

जगन्नाथ का भात जगत पसारे हाथ, महाप्रभु का महाप्रसाद

इस रसोई में 56 तरह के 'भोग' पकाए जाते हैं. हर दिन रसोई में देवताओं के लिए लकड़ी की आग पर मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाया जाता है. पवित्र 'महाप्रसाद' एक दिन में एक लाख लोगों को खिलाया जाता है. लगभग 2400 रसोइया चौबीसों घंटे इस काम में लगते हैं. महाप्रसाद को 752 छोटे ओवन (चूल्हे) पर पकाया जाता है. भगवान जगन्नाथ, जिन्हें 'जगा कालिया' भी कहा जाता है, मंदिर के मुख्य देवता हैं. उन्हें महाप्रसाद (56 भोग से मिलकर) के साठ पौति (एक प्राचीन माप) खिलाये जाते हैं.

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रसोई में खाना पकाने की प्रक्रिया भी खास है. एक ही ओवन में नौ मिट्टी के बर्तन रखे जाते हैं और एक साथ खाना पकाया जाता है. महाप्रसाद खास तरह के मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है, जिन्हें कुडुआ कहते हैं. इन बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है. हैरानी की बात यह है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन में चावल हमेशा सबसे पहले पकता है. यह पवित्र महाप्रसाद भगवान को चढ़ाए जाने के बाद एक दिन में लगभग एक लाख लोगों को परोसा जाता है. आश्चर्य की बात यह है कि महाप्रसाद कभी कम नहीं पड़ता.

त्रिमूर्ति के सामने महाप्रसाद चढ़ाए जाने के बाद इसे मंदिर परिसर के भीतर एक भोजन क्षेत्र 'आनंद बाजार' में भक्तों को परोसा जाता है. आनंद बाजार को दुनिया का सबसे बड़ा भोजन क्षेत्र भी कहा जाता है, जहां सभी जाति, धर्म और पंथ के भक्तों को महाप्रसाद के रूप में भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. महाप्रसाद से जुड़ी एक आश्चर्यजनक कहानी यह है कि एक भी दाना कभी कच्चा नहीं रहता है, और अगर ऐसा होता भी है, तो कहा जाता है कि यह भगवान के सामने परोसने से पहले खुद ही पक जाता है.

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ऐसी मान्यता है कि महाप्रसाद को देवी अन्नपूर्णा और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है. यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है. महाप्रसाद को खाते समय वर्ग भेद पूरी तरह से खत्म हो जाता है. उस समय लोग सभी मतभेद भूलकर इस पवित्र महाप्रसाद को खाते और खिलाते हैं. ऐसी मान्यता है कि महाप्रसाद ग्रहण करने वाला हर भक्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है. जय...जगन्नाथ.

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Last Updated : Jun 20, 2022, 5:55 PM IST
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