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स्वास्थ्य मंत्री के शहर में न एंबुलेंस मिली न ऑक्सीजन, नवजात की मौत - गर्भवती महिला,

स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के शहर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से मासूम की मौत हो गई है. ऑक्सीजन और एंबुलेंस के न मिलने से नवजात की मौत हुई है. जिसके बाद परिजनों ने प्रशासन से अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की है

नवजात की मौत
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Published : Jul 10, 2019, 7:11 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से एक मासूम की मौत हो गई. मामला इंदौर का है, जहां नवजात को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल वले जाने के लिए एंबुलेंस और ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं कराया गया. घटना के बाद सरकारी अस्पतालों में मौजूद स्वास्थ्य संसाधनों की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं तो वही नवजात बच्चे की मां का रो-रोकर बुरा हाल है.

न एंबुलेंस मिली न ऑक्सीजन, नवजात की मौत

मामला स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के शहर इंदौर का है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से मासूम की मौत हो गई है लेकिन जिम्मेदारों के चेहरों पर कोई शिकन नहीं है. बच्चे के लाचार परिजन महज व्यवस्था को कोस रहे हैं. मासूम की मां प्रीति बामने बुधवार को शहर के लाल अस्पताल में डिलिवरी के लिए भर्ती हुई थी. डिलिवरी होने के बाद नवजात के रोने की आवाज नहीं आने पर मौजूद डॉक्टर ने बच्चे को एमवॉय अस्पताल रेफर कर दिया. मासूम के परिजन को एंबुलेंस तक की सुविधा नहीं मिली. परिजन बच्चे को एमवॉय अस्पताल लेकर पहुंचे, इस दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो चुकी थी.

एमवॉय अस्पताल के डॉक्टर द्वारा बच्चे को मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद फिर परिजनों ने लाल अस्पताल पहुंचकर अस्पताल स्टॉफ और नर्स को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर कार्रवाई की मांग की. अस्पताल प्रबंधन की दलील है कि अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ नियोनेटल यूनिट समेत दूसरी सुविधाएं नहीं हैं, जिसको लेकर बच्चे को परिजन को जानकारी दी गई ती. हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि ऑक्सीजन मौजूद है. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि गर्भवती महिला को भर्ती करने के बाद अस्पताल में डॉक्टर तक नसीब नहीं हुआ सिर्फ नर्स के भरोसे अस्पताल छोड़ दिया गया था.

इंदौर। मध्य प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से एक मासूम की मौत हो गई. मामला इंदौर का है, जहां नवजात को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल वले जाने के लिए एंबुलेंस और ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं कराया गया. घटना के बाद सरकारी अस्पतालों में मौजूद स्वास्थ्य संसाधनों की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं तो वही नवजात बच्चे की मां का रो-रोकर बुरा हाल है.

न एंबुलेंस मिली न ऑक्सीजन, नवजात की मौत

मामला स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के शहर इंदौर का है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से मासूम की मौत हो गई है लेकिन जिम्मेदारों के चेहरों पर कोई शिकन नहीं है. बच्चे के लाचार परिजन महज व्यवस्था को कोस रहे हैं. मासूम की मां प्रीति बामने बुधवार को शहर के लाल अस्पताल में डिलिवरी के लिए भर्ती हुई थी. डिलिवरी होने के बाद नवजात के रोने की आवाज नहीं आने पर मौजूद डॉक्टर ने बच्चे को एमवॉय अस्पताल रेफर कर दिया. मासूम के परिजन को एंबुलेंस तक की सुविधा नहीं मिली. परिजन बच्चे को एमवॉय अस्पताल लेकर पहुंचे, इस दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो चुकी थी.

एमवॉय अस्पताल के डॉक्टर द्वारा बच्चे को मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद फिर परिजनों ने लाल अस्पताल पहुंचकर अस्पताल स्टॉफ और नर्स को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर कार्रवाई की मांग की. अस्पताल प्रबंधन की दलील है कि अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ नियोनेटल यूनिट समेत दूसरी सुविधाएं नहीं हैं, जिसको लेकर बच्चे को परिजन को जानकारी दी गई ती. हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि ऑक्सीजन मौजूद है. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि गर्भवती महिला को भर्ती करने के बाद अस्पताल में डॉक्टर तक नसीब नहीं हुआ सिर्फ नर्स के भरोसे अस्पताल छोड़ दिया गया था.

Intro:इंदाैर, मध्यप्रदेश में तमाम प्रयासों के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नजर नहीं आ रहा है अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के बच्चों के लिए न तो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं न ही अन्य जरूरी सुविधाएं लिहाजा आज फिर इंदौर में एक नवजात बच्चे की एंबुलेंस और आक्सीजन समय पर उपलब्ध नहीं होने के कारण रास्ते में ही मौत हो गई। इस घटना के बाद सरकारी अस्पतालों में मौजूद स्वास्थ्य संसाधनों की स्थिति पर भी सवाल उठ रहे हैं वहीं नवजात बच्चे की माँ का रो रोकर बुरा हाल है
Body:दुनिया देखने से पहले ही स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के शहर इंदौर की स्वास्थ्य सेवाओं की तरह ही इस मासूम ने भी दम तोड़ दिया है हालांकि इस मासूम की मौत के बाद भी जिम्मेदारों के चेहरों पर कोई शिकन नहीं वही बच्चे के लाचार परिजन महज व्यवस्था को कोसने को मजबूर हैं। दरअसल डिलेवरी के लिए इस मासूम की मां प्रीति बामने बुधवार को शहर के लाल अस्पताल में भर्ती हुई थी, हालांकि डिलेवरी के पूर्व ही अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव को देखते हुए नर्स ने प्रीति के परिजनों को एमवाय अस्पताल जाने की सलाह दी थी लेकिन परिजनों ने अपनी सुविधा के अनुसार डॉक्टरों से लाल अस्पताल में भी डिलेवरी करने की जिद की। इसके बाद जब डिलेवरी हुई तो नवजात बच्चे के नहीं रोने पर मौजूद डॉक्टर ने बच्चे को तत्काल एमवाय अस्पताल ले जाने को कहा, इसके बाद बच्चे को खतरे में देख परिजनो अस्पताल से एंबुलेंस की मांग की लेकिन समय पर एबंलेंस भी उपलब्ध नहीं हुई नतीजतन परिजन अपने साधने से बच्चे को जब तक एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे तब तक ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण बच्चे की मौत हो चुकी थी। एम वाय अस्पताल के डॉक्टरों ने जब बच्चे को मृत घोषित कर दिया तो बच्चे के दुखी परिजनों ने फिर लाल अस्पताल पहुंचकर बच्चे की मौत को लेकर अस्पताल स्टॉफ और एक नर्स को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर कार्यवाही की मांग की हालांकि अस्पताल प्रबंधन का अब दलील है कि अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं होने और नियोनेटल यूनिट आदि अन्य संसाधन नहीं होने की स्थिति से अवगत करा दिया था जहां तक ऑक्सीजन का सवाल है तो अस्पताल में ऑक्सीजन मौजूद है। इस दौरान परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा गर्भवती महिला को भर्ती करने के बाद अस्पताल में डॉक्टर तक नसीब नहीं हुआ सिर्फ नर्स के भरोसे अस्पताल छोड़ दिया गया।
Conclusion:गौरतलब है इंदौर में जिला अस्पताल समेत पीसी सेठी और अन्य डिस्पेंसरी में डिलीेवरी केसों के दौरान न तो सभी में शिशु रोग विशेषज्ञ हैं न ही पर्याप्त संख्या में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं इसके अलावा नवजात बच्चों को रखने के लिए जरूरी नियोनेटल यूनिट का भी अभाव है नतीजनत बच्चे के गंभीर या टिपीकल केसों के डाॅक्टरों द्वारा मरीजों को शहर के एम वाय अस्पताल रैफर कर दिया जाता है जो परिजन फिर भी डिस्पेंसरी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डिलेवरी होने की उम्मीद करते हैं उन्हें ऐसे मामलों में निराशा और तकलीफ ही हाथ लगती है।

एक्सटेंशन, पीडित बच्चे के परिजन
बाईट डॉ अशोक मालू, प्रभारी लाल अस्पताल
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