इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में लगातार नए रिसर्च पर काम चल रहा है. फिर से IIT में तीन नए अणुओं (molecules) की खोज की गई है. जो न्यूरोलॉजिकल और न्यूरोमस्कुलर के इलाज में इस्तेमाल किये जा सकते है. इसकी खोज IIT इंदौर के तीन युवा वैज्ञानिकों ने की. (Indore IIT three molecules research) इन छोटे अणुओं को संभावित रूप से फ्रेजाइल एक्स-एसोसिएटेड कंपकंपी/गतिभंग सिंड्रोम (FXTAS) एक न्यूरोलॉजिकल और न्यूरोमस्कुलर विकार के संभावित चिकित्सीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
तीन रासायनिक यौगिकों (Compounds) की खोज
IIT की टीम ने तीन रासायनिक यौगिकों का खोज की है, जो प्रारंभिक अध्ययनों में ट्राई न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम (tri nucleotide sequence) के दोहराए जाने वाले RNA से जुड़े न्यूरोनल कोशिकाओं में विषाक्तता (toxicity to cells) को कम करते हैं, और सामान्य कोशिका के समरूप व्यवहार्यता को बहाल करते हैं. यह शोध हाल ही में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त स्प्रिंगर के मॉलिक्यूलर न्यूरोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
तीन अणुओं न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के उपचार में आएगा काम
आईआईटी में बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी डॉ.अमित कुमार ने कहा, हमें उम्मीद है कि हमारी खोज से FXTAS के साथ अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के लिए उपचार में काम आएगा. यह अध्ययन तीन अलग-अलग चरणों में किया गया था पहले चरण में क्वेरी मॉलिक्यूल बिसेंट्रिन के खिलाफ आकार और रासायनिक आधारित वर्चुअल स्क्रीनिंग किया गया. दूसरे चरण में उत्परिवर्तित आरएनए के साथ प्रभावी यौगिकों का जैवभौतिक विश्लेषण किया गया, और तीसरे चरण में रोगग्रस्त सेलुलर मॉडल का उपयोग कर प्रमुख अणुओं की प्रभाव का विश्लेषण में किया गया.(molecules that cure neurological)
FXTAS (Fragile X-associated tremor/ataxia syndrome)
यह विकार दुनिया भर में 4000 पुरुषों में से 1 और 6000 से 8000 महिलाओं में से 1 को प्रभावित करता है. आमतौर पर यह 58 से 60 साल की उम्र में शुरू होता है. FXTAS के इलाज के लिए अभी भी बाजार में कोई प्रभावी दवा उपलब्ध नहीं है. वर्तमान में FXTAS का प्रबंधन मनोरोग और व्यवहार संबंधी समस्याओं के रोगसूचक उपचार तक ही सीमित है. FXTAS रोगियों को चलने के दौरान संतुलन की समस्या का सामना करना पड़ता है, और किसी भी चीज को पकड़ने के दौरान हाथों में कंपकंपी होती है. उनमें भूलने की बीमारी, स्वायत्त शिथिलता संज्ञानात्मक गिरावट दौरे (autonomic dysfunction cognitive decline seizures) और पार्किंसनिज्म (parkinsonism) के लक्षण भी हो सकते हैं.
स्वस्थ व्यक्ति में ट्राई न्यूक्लियोटाइड दोहराव की संख्या 55
यह FMR1 नामक जीन के डीएनए अनुक्रम में विशिष्ट प्रकार के उत्परिवर्तन के कारण होता है. उत्परिवर्तन के कारण सीजीजी ट्राई न्यूक्लियोटाइड (CGG Trinucleotide) का अनुक्रम का असीमित दोहराव होने लगता है. स्वस्थ व्यक्ति में ट्राई न्यूक्लियोटाइड दोहराव की संख्या 55 है, जबकि FXTAS रोगियों में यह दोहराव 200 से ज्यादा होता है. यह अतिरिक्त ट्राई न्यूक्लियोटाइड दोहराव न्यूरोनल कोशिकाओं में विषाक्तता का कारण बनता है. जो अंत में मस्तिष्क कोशिकाओं को पतन की ओर अग्रसरित करता है.