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तस्करों के लिए से़फ है आर्थिक राजधानी! पंजाब-हरियाणा में सप्लाय हो रहे कुछ ही मिनटों में तैयार हुए अवैध हथियार

अवैध हथियारों को लेकर आर्थिक राजधानी इंदौर सेफ़ झोंन बन चुकी है. यहां कोई भी तस्कर किसी भी तरह के हथियार आसानी से ला सकता है. और उसकी डिलीवरी किसी भी व्यक्ति को दे सकता है. बीते कई दिनों से इंदौर पुलिस तस्करों को गिरफ्तार करने में जुटी हुई है, साथ ही तस्करों से पूछताछ के दौरान कई तरह के तथ्य भी पुलिस के हाथ लग रहे हैं.

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तस्करों के लिए से़फ है आर्थिक राजधानी!
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Published : Feb 4, 2022, 10:10 PM IST

इंदौर। अवैध हथियारों को लेकर आर्थिक राजधानी सेफ़ झोंन बन चुकी है. यहां कोई भी तस्कर किसी भी तरह के हथियार आसानी से ला सकता है. और उसकी डिलीवरी किसी भी व्यक्ति को दे सकता है. बीते कई दिनों से इंदौर पुलिस तस्करों को गिरफ्तार करने में जुटी हुई है, साथ ही तस्करों से पूछताछ के दौरान कई तरह के तथ्य भी पुलिस के हाथ लग रहे हैं. इतना ही नहीं, पुलिस ने इंदौर के आसपास के कई तस्करों को गिरफ्तार किया, साथ ही उनके पास से बड़ी मात्रा में अवैध हथियार भी जब्त किए है. वहीं पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को अहम जानकारियां दी है, जिनके आधार पर पुलिस आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई करने की बात कर रही है.

तस्करों के लिए से़फ है आर्थिक राजधानी!

इंदौर में होती है डील
पंजाब और हरियाणा से आने वाले हथियार डीलर आसानी से इंदौर पहुंच कर हथियारों की बड़ी डील करते हैं. बाद में हथियार सप्लाई के लिए आदिवासी इलाकों के लोगों का इस्तेमाल किया जाता है. बड़ी मात्रा में हथियार ले जाने वाले डीलर अपने वाहनों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं, इक्के-दुक्के हथियारों की डिलीवरी कोरियर के जरिए भी की जा रही है. इंदौर के जिलों में बनने वाले हथियार की सबसे अधिक मांग पंजाब ,हरियाणा और राजस्थान में है. जबकि छतरपुर, दतिया जैसे जिलों में बनने वाले हथियार की मांग बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के साथ ही जोधपुर, जयपुर और अजमेर में है.

पुलिस द्वारा हथियार तस्करों के पकड़े जाने के बाद कार्रवाई करने के लिए इलाकों में आती है और बड़ी मात्रा में कार्रवाई कर आरोपियों को भी गिरफ्तार कर ली जाती है. पिछले 1 महीने में पुलिस ने लगातार दबिश दी और कई आरोपियों को अपनी गिरफ्त में लिया है.

इंदौर पुलिस के हाथ लगी बड़ी सफलता, 200 जिंदा कारतूस और पिस्टल के साथ आरोपी गिरफ्तार

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हो रहा व्यापार
बदलती टेक्नोलॉजी के फायदे होने के साथ समाज को नुकसान भी हो रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अब हथियार बेचने और इसकी नुमाइश करने के लिए भी इस्तेमाल होने लगा है. इसके चलते पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में हथियार सप्लाई हो रहे हैं. इंदौर के नजदीक खरगोन ,धार, बड़वानी और बुरहानपुर जैसे जिलों में सिगलीगरो द्वारा अवैध हथियारों के अनेक कारखाने संचालित किए जा रहे हैं.

फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हथियारों की नुमाइश की जा रही है सोशल मीडिया के माध्यम से हथियारों के फोटो भेजने के अलावा हथियारों की टेस्टिंग और निशानेबाजी के वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं. इसके साथ ही हथियार बेचने वाले सिकलीगरों का नंबर भी दिया जाता है, जो हथियार डीलर डील करता है.

सोशल मीडिया पर बदमाश, हथियारों के साथ फोटो कर रहे पोस्ट

तैयार हो रहे इस क्वालिटी के अवैध हथियार
कारखानों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की क्वालिटी के अवैध हथियार तैयार किए जा रहे हैं. अब तक पिस्टल, रिवाल्वर और कट्टे बनाने वाले ये सिगलीगर गोलियों भी बनाने लगे हैं. पिछले दिनों इंदौर क्राइम ब्रांच ने दो सिगलीगरों को गिरफ्तार कर इनके पास से 6 पिस्टल, 4 देसी कट्टे और 200 कारतूस बरामद किए थे.

साइकिल का हर पार्ट्स से बनता है कट्टा
सिकलीगरों के पकड़े जाने के बाद बड़वानी पुलिस ने इनके ठिकानों पर भी कार्रवाई की और वहां के कुछ लोगों को हिरासत में लिया. सिकलीगरों पास से हथियार, हथियार बनाने के औजार भी बरामद किए गए थे. पूछताछ में सिकलीगरों ने बताया कि, वे डिमांड पर हथियार बनाने का काम करते थे. पहले उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों से कारतूस लाकर उनके अनुसार हथियार बनाया करते थे. लेकिन अब उन्होंने अपने हथियार के अनुसार कारतूस भी बनाना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, हथियार बनाने के लिए साइकिल के पार्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है, और साइकिल के प्रत्येक पार्ट्स का उपयोग अवैध कट्टे बनाने में उपयोग की बात कही थी.

अब दर्शन ही नहीं खजराना गणेश मंदिर में मिलेगी विशेष शिक्षा, पढ़िए कैसे

बस इतनी देर में तैयार होता है हथियार
आरोपियों का कहना है कि, वह साइकिल के विभिन्न पुर्जों के माध्यम से इन अवैध हथियारों को बना लेते हैं. वहीं पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि, साइकिल में हवा भरने वाली डील से कारतूस तैयार किया जा रहा है. आमतौर पर साइकिल की रिंग में जो हवा भरी जाती है वह कारतूस बनाने के लिए काफी फायदेमंद है, और उसी डील के माध्यम से एक अच्छा कारतूस सिगलीगरों द्वारा तैयार किया जाता है. पहले के समय में कुछ माचिस की तीलियों और बारूद का प्रयोग किया जाता है, और कारतूस कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाता है. इसी तरह अब साइकिल के अलग-अलग पुर्जों और पुरानी एंबेसडर-जीप के विभिन्न पार्ट्स जिसमें स्टेरिंग के माध्यम से पिस्टल और देसी कट्टे आसानी से बनाए जा सकते हैं. यह महज कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाते हैं, और काफी मजबूत भी होते हैं.

इंदौर। अवैध हथियारों को लेकर आर्थिक राजधानी सेफ़ झोंन बन चुकी है. यहां कोई भी तस्कर किसी भी तरह के हथियार आसानी से ला सकता है. और उसकी डिलीवरी किसी भी व्यक्ति को दे सकता है. बीते कई दिनों से इंदौर पुलिस तस्करों को गिरफ्तार करने में जुटी हुई है, साथ ही तस्करों से पूछताछ के दौरान कई तरह के तथ्य भी पुलिस के हाथ लग रहे हैं. इतना ही नहीं, पुलिस ने इंदौर के आसपास के कई तस्करों को गिरफ्तार किया, साथ ही उनके पास से बड़ी मात्रा में अवैध हथियार भी जब्त किए है. वहीं पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को अहम जानकारियां दी है, जिनके आधार पर पुलिस आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई करने की बात कर रही है.

तस्करों के लिए से़फ है आर्थिक राजधानी!

इंदौर में होती है डील
पंजाब और हरियाणा से आने वाले हथियार डीलर आसानी से इंदौर पहुंच कर हथियारों की बड़ी डील करते हैं. बाद में हथियार सप्लाई के लिए आदिवासी इलाकों के लोगों का इस्तेमाल किया जाता है. बड़ी मात्रा में हथियार ले जाने वाले डीलर अपने वाहनों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं, इक्के-दुक्के हथियारों की डिलीवरी कोरियर के जरिए भी की जा रही है. इंदौर के जिलों में बनने वाले हथियार की सबसे अधिक मांग पंजाब ,हरियाणा और राजस्थान में है. जबकि छतरपुर, दतिया जैसे जिलों में बनने वाले हथियार की मांग बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के साथ ही जोधपुर, जयपुर और अजमेर में है.

पुलिस द्वारा हथियार तस्करों के पकड़े जाने के बाद कार्रवाई करने के लिए इलाकों में आती है और बड़ी मात्रा में कार्रवाई कर आरोपियों को भी गिरफ्तार कर ली जाती है. पिछले 1 महीने में पुलिस ने लगातार दबिश दी और कई आरोपियों को अपनी गिरफ्त में लिया है.

इंदौर पुलिस के हाथ लगी बड़ी सफलता, 200 जिंदा कारतूस और पिस्टल के साथ आरोपी गिरफ्तार

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हो रहा व्यापार
बदलती टेक्नोलॉजी के फायदे होने के साथ समाज को नुकसान भी हो रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अब हथियार बेचने और इसकी नुमाइश करने के लिए भी इस्तेमाल होने लगा है. इसके चलते पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में हथियार सप्लाई हो रहे हैं. इंदौर के नजदीक खरगोन ,धार, बड़वानी और बुरहानपुर जैसे जिलों में सिगलीगरो द्वारा अवैध हथियारों के अनेक कारखाने संचालित किए जा रहे हैं.

फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हथियारों की नुमाइश की जा रही है सोशल मीडिया के माध्यम से हथियारों के फोटो भेजने के अलावा हथियारों की टेस्टिंग और निशानेबाजी के वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं. इसके साथ ही हथियार बेचने वाले सिकलीगरों का नंबर भी दिया जाता है, जो हथियार डीलर डील करता है.

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तैयार हो रहे इस क्वालिटी के अवैध हथियार
कारखानों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की क्वालिटी के अवैध हथियार तैयार किए जा रहे हैं. अब तक पिस्टल, रिवाल्वर और कट्टे बनाने वाले ये सिगलीगर गोलियों भी बनाने लगे हैं. पिछले दिनों इंदौर क्राइम ब्रांच ने दो सिगलीगरों को गिरफ्तार कर इनके पास से 6 पिस्टल, 4 देसी कट्टे और 200 कारतूस बरामद किए थे.

साइकिल का हर पार्ट्स से बनता है कट्टा
सिकलीगरों के पकड़े जाने के बाद बड़वानी पुलिस ने इनके ठिकानों पर भी कार्रवाई की और वहां के कुछ लोगों को हिरासत में लिया. सिकलीगरों पास से हथियार, हथियार बनाने के औजार भी बरामद किए गए थे. पूछताछ में सिकलीगरों ने बताया कि, वे डिमांड पर हथियार बनाने का काम करते थे. पहले उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों से कारतूस लाकर उनके अनुसार हथियार बनाया करते थे. लेकिन अब उन्होंने अपने हथियार के अनुसार कारतूस भी बनाना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, हथियार बनाने के लिए साइकिल के पार्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है, और साइकिल के प्रत्येक पार्ट्स का उपयोग अवैध कट्टे बनाने में उपयोग की बात कही थी.

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बस इतनी देर में तैयार होता है हथियार
आरोपियों का कहना है कि, वह साइकिल के विभिन्न पुर्जों के माध्यम से इन अवैध हथियारों को बना लेते हैं. वहीं पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि, साइकिल में हवा भरने वाली डील से कारतूस तैयार किया जा रहा है. आमतौर पर साइकिल की रिंग में जो हवा भरी जाती है वह कारतूस बनाने के लिए काफी फायदेमंद है, और उसी डील के माध्यम से एक अच्छा कारतूस सिगलीगरों द्वारा तैयार किया जाता है. पहले के समय में कुछ माचिस की तीलियों और बारूद का प्रयोग किया जाता है, और कारतूस कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाता है. इसी तरह अब साइकिल के अलग-अलग पुर्जों और पुरानी एंबेसडर-जीप के विभिन्न पार्ट्स जिसमें स्टेरिंग के माध्यम से पिस्टल और देसी कट्टे आसानी से बनाए जा सकते हैं. यह महज कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाते हैं, और काफी मजबूत भी होते हैं.

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