इंदौर। कोरोना महामारी के चलते देशभर में आम जनजीवन पर खासा प्रभाव पड़ा है, कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन का प्रभाव व्यवसायिक गतिविधियों पर भी देखने को मिल रहा है. इस लॉकडाउन में केटरिंग के व्यवसाय को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. केटरिंग व्यवसाय वैसे तो दो तरह से संचालित किया जाता है, एक तो खाना बना कर देने का काम, वहीं दूसरा सर्विस केटरिंग का काम. जिसमें लोग मेहमानों को खाना परोसने का काम करते हैं.
केटरिंग व्यवसाय और सर्विस केटरिंग के लिए कॉरपोरेट सेक्टर और आईटी कंपनियां व्यवसाय का एक बड़ा माध्यम हैं. बड़े-बड़े आयोजनों के दौरान केटरिंग व्यवसाय करने वाले लोगों को रोजगार मिलता है, लॉकडाउन के कारण कई व्यवसायिक गतिविधियां संचालित नहीं होने के कारण इन्हें रोजगार नहीं मिला. वहीं अनलॉक-1 के बावजूद भी इनके सामने रोजगार की समस्या बनी हुई है. केटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्तमान में लोग बाहर के खाने को पसंद नहीं कर रहे हैं. वहीं कई कंपनियों में अब भी कर्मचारी घर पर रहकर ही काम कर रहे हैं, ऐसे में अब भी लॉकडाउन जैसी स्थिति बनी हुई है.
केटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्तमान में सर्विस केटरिंग और संपूर्ण केटर्स व्यवसाय केवल 1% ही संचालित हो रहा है. वहीं इस व्यवसाय से जुड़े कई लोग अब नया व्यापार तलाश कर रहे हैं. जिन व्यवसायियों के पास 100 से अधिक कर्मचारी इस काम में साथ देते थे, वो अब केवल 10 या 20 कर्मचारी ही रख रहे हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग नए रोजगार की तलाश में जुटे हुए हैं.
सर्विस केटरिंग का काम करने वाले धर्मेंद्र का कहना है कि वो सालों से ये काम करते आ रहे हैं, लेकिन अब उन्हें और उनसे जुड़े लोगों को नए व्यापार की तलाश करना पड़ रही है. व्यापार नहीं होने के चलते वो अपने पास सर्विस देने के लिए आने वाले लड़कों को अब नहीं रख पा रहे हैं. वहीं आने वाले दिनों में भी इस व्यापार के आगे बढ़ने की उम्मीद बेहद कम जताई जा रही है. आमतौर पर ये व्यवसाय लोगों के इकट्ठा होने वाली जगह पर मुख्य रूप से संचालित होता है, लेकिन कोरोना गाइडलाइन के चलते लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर रोक लगाई हुई है. जिसके चलते काम नहीं होने की समस्या सामने आ रही है.