इंदौर। मेडिकल साइंस (Medical Science) में अत्याधुनिक नवीनतम पद्धतियां मौजूद होने के बावजूद अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia) का इलाज करना अब भी चुनौती बना हुआ है. लेकिन अब होम्योपैथिक दवाईयों से मरीजों को पूरी तरह ठीक करने में बड़ी सफलता मिल रही है. अप्लास्टिक एनीमिया के हर उम्र के मरीजों को स्वस्थ कर नया जीवन देने की दिशा में होम्योपैथिक दवाइयों से कम समय में बड़े सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. हाल ही में इंदौर के एक सीनियर डॉक्टर ने बिहार के दो वर्षीय बच्चे की इस बीमारी को दूर किया.
बेटे के इलाज के लिए जगह-जगह गए परिजन: बीमारी से पीड़ित बच्चे के पिता ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को इस उपलब्धि के बारे में बताने के लिए एक पत्र लिखा है. मौलाबाग, भोजपुर निवासी नीरज कुमार ने बताया कि मेरे दो साल के बेटे शिवांश सिंह को अप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी हो गई थी. स्थानीय स्तर पर हमने कई अस्पतालों और डॉक्टरों से इलाज करवाया उसकी बीमारी खत्म नहीं हुई. दिल्ली के अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर से भी पांच महीने तक इलाज करवाया, लेकिन बच्चे की हालत और खराब होती चली गई.
पीड़ित बच्चे की हालत में सुधार: नीरज कुमार ने आगे कहा कि, मुझे इंदौर के एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद यहां डॉ. एके द्विवेदी (Dr. AK Dwivedi) से संपर्क किया. डॉक्टर ने वीडियो कॉलिंग के माध्यम से इलाज शुरू किया और दवाइयां दीं. कई बार जांचें करवाई गईं और उनकी रिपोर्ट के आधार पर दवा की मात्रा कम-ज्यादा की गई. उन्होंने बताया अब मेरे बच्चे के स्वास्थ्य में काफी सुधार है और जल्द ही उसके पूरी तरह ठीक हो जाने की उम्मीद जताई.
क्या है अप्लास्टिक एनीमिया: डॉ. द्विवेदी ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया एक गंभीर बीमारी है जो किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना सकती है. मगर इसका खतरा बच्चों और 20 साल की उम्र के लोगों को ज्यादा रहता है. अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर नई रक्त कोशिकाओं (New Blood Cells) का उत्पादन बंद कर देता है. इसे माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic syndrome) भी कहा जाता है. इससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता. इस बीमारी के कारण शरीर में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं और बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है. अनियंत्रित रक्त स्त्राव होने लगता है. मरीज को बार-बार ब्लड देने के बावजूद प्लेटले्टस घटते जाते हैं. जिससे मरीज में कमजोरी, थकावट जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. यह बीमारी किसी भी उम्र के इंसान को हो सकती है जिसका लक्षण एकाएक सामने नहीं आता. सही समय पर इलाज नहीं होने की स्थिति में यह जानलेवा साबित होता है.
न ब्लड देना पड़ रहा, न प्लेटलेट्स: डॉ. द्विवेदी ने बताया कि शिवांश की हालत में अब पहले से काफी सुधार है और दवाइयों के असर से उसकी बीमारी लगभग ठीक हो चुकी है. अब न ही उसे ब्लड चढ़ाना पड़ता है और न ही प्लेटलेट्स देने की जरूरत पड़ती है. अब शरीर के विभिन्न हिस्सों से ब्लीडिंग भी नहीं होती और कुछ ही दिनों में वह सामान्य बच्चों के साथ दौड़ने-भागने और खेलने में सक्षम होगा. संभव है कि भविष्य में उसे दवाइयां लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
बच्चे के पिता का मुख्यमंत्री शिवराज को पत्र: शिवांश के पिता नीरज कुमार ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया जानलेवा बीमारी है.कई मरीज इसके कारण मौत के मुहाने पर खड़े हैं. इलाज के लिए लोग जगह-जगह भटकते रहते हैं, लेकिन उन्हें सही इलाज नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा मैंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर शिवांश की तबीयत में सुधार और डॉ. द्विवेदी की सफलता के बारे में जानकारी दी है, ताकि अन्य मरीजों और परिजनों को भी इसके बारे में पता चल सके और वे विशेषज्ञ डॉक्टर से होम्योपैथिक इलाज ले सकें. (Big achievement of indore) (Child defeats aplastic anemia in indore)