इंदौर। शहर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल में गुरुवार को मानवता को शर्मसार करने वाली एक और तस्वीर सामने आई है, जहां तीन महीने के अज्ञात शिशु का शव मर्चुरी रूम में बक्से में बंद मिला. 5 दिन पहले बच्चे की मौत हो चुकी है, तब से ही शव इसी हालत में पड़ा है. हद तो ये है कि, पुलिस को जिम्मेदारों द्वारा उसके मौत की सूचना तक नहीं दी गई, ना ही उसका पोस्टमार्टम करवाया गया.
12 सितंबर को एक 3 माह के मासूम नवजात के शव को पोस्टमार्टम के लिए इंदौर के हॉस्पिटल की मर्चुरी में रखवाया गया था, लेकिन 5 दिनों में भी 3 माह के मासूम का पोस्टमार्टम नहीं हुआ है. पूरे मामले से ऐसा प्रतीत होता है कि, एमवाय हॉस्पिटल के जिम्मेदार मासूम का पोस्टमार्टम करना ही भूल गए हैं. अंतिम संस्कार के इंतजार में कंकाल बन चुके शव के मामले में अभी जांच भी पूरी नहीं हुई कि, एक ऐसी ही घटना फिर से सामने आई है.
ये है मामला
बच्चा घायल अवस्था में अस्पताल में लाया गया था, उसकी यहां इलाज के दौरान 12 सितंबर को मौत हो गई. शव अज्ञात होने से जिम्मेदारों ने उसे एक बॉक्स में बंद किया और मर्चूरी रूम में रखकर भूल गए. जिम्मेदारों ने इतनी भी जहमत नहीं उठाई कि, बच्चे की मौत की सूचना पुलिस को दें और उसका पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार करवा दें. कंकाल बन चुके शव का मामला सामने आने के बाद जांच शुरू हुई, तो जिम्मेदार गुरुवार को मर्चूरी रूम पहुंचे और यहां शवों को देखा. इसी दौरान फ्रिजर के पास एक बॉक्स नजर आया, जिसमें मासूम की बाॅडी रखी हुई थी.
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कंकाल मामले में चल रही है जांच
एमवाय अस्पताल में दो दिन पहले अंतिम संस्कार के इंतजार में कंकाल बन चुके शव के मामले में कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा ने जांच के आदेश दिए हैं. कमिश्नर के आदेश पर जांच दल गुरुवार को एमवाय अस्पताल पहुंचा. बताया जा रहा है कि, यहां टीम ने अधीक्षक कार्यालय में एक-एक कर मर्चूरी के कर्मचारियों के बयान लिए. यहां पर कर्मचारियों द्वारा गोलमोल जवाब देने पर जांच दल ने उन्हें जमकर फटकार लगाई. अपर आयुक्त रजनी सिंह ने रिपोर्ट को लेकर कहा कि, वे अपनी जांच रिपोर्ट कमिश्नर को सौंपेंगी.
बता दें कि मामला सामने आने के बाद मानव अधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया था. मानव अधिकार आयोग ने इंदौर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय अस्पताल के अधीक्षक को इस मामले में 4 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.