ग्वालियर। मध्यप्रदेश सहित ग्वालियर में फिलहाल कोरोना संक्रमण की रफ्तार कुछ कम है, हालांकि डॉक्टर्स इस दौरान भी लोगों को इम्यूनिटी मजबूत रखने की सलाह दे रहे हैं. इसके लिए वे विटामिन सी देने वाले फलों को खाने की सलाह देते हैं, लेकिन फलों की बाजार में उपलब्धता और महंगे होते दाम इन्यूनिटी की खोज करने वाले लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं. फल ही नहीं कोरोना से लड़ाई में खुद को मजबूत बनाए रखने वाले दूसरे साधन जैसे सैनिटाइजर, मास्क भी महंगे हो चुके हैं. ऐसे में कोरोना में कारोबार बंद होने की मार से पहले से ही परेशान आम आदमी के लिए इम्युनिटी मजबूत रखना बड़ा मुश्किल भरा साबित हो रहा है.
कोरोना से लड़ने नहीं देती...महंगाई
कोरोना से जंग लड़ने और इस महामारी से खुद को बचाए रखने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की खोज में आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रही है. डॉक्टर की सलाह पर लोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अलग स्त्रोत और तरीके अपनाने में लगे हुए हैं. इसी तरीके में से एक है विटामिन सी देने वाले फ्रूट्स का इस्तेमाल करना. लेकिन बढ़ती महंगाई में फ्रूट्स ही नहीं मास्क और सैनेटाइजर जैसी जरूरी चीजें भी महंगी हो गई हैं. सबसे ज्यादा विटामिन सी देने वाले फल अंगूर, मौसमी, संतरा,पाइनएप्पल, नारियल पानी और कीवी जैसे फल दोगुने से ज्यादा दामों पर बिक रहे हैं. दोगुने दाम होने की वजह से लोअर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के कम आय वाले लोगों पर काफी बोझ पढ़ रहा है. फलों के बढ़े हुए दामों के बाद हालात यह हो चुके हैं कि निम्न और मध्यम आय वाले लोगों की पहुंच ये फल दूर हो गए हैं. ग्वालियर शहर में फलों के दाम काफी बढ़ चुके हैं यहां अंगूर- 140 रुपए / किलो , संतरा - 80 / किलो , नारियल पानी - 70 - 80 रुपए प्रति नग मौसमी - 110 / किलो, कीवी - 35 रुपए प्रति नग बिक रहे हैं
महंगे सैनिटाइजर ने बिगाड़ा घरों का बजट
निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों के लिए महंगे मास्क और सैनिटाइजर ने भी उनके घरों का बजट बिगाड़ा दिया है. संक्रमण से बचने के लिए लगभग हर जगह इनका उपयोग किया जा रहा है. जिसका असर इनके दामों पर भी पड़ा है. घरों में लगभग हर हफ्ते ही मास्क और सैनिटाइजर खरीदना होता है. मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह एक अतिरिक्त बोझ है, क्योंकि आम आदमी जहां कोरोना काल के दौरान कारोबार बंद होने और आमदनी खत्म होने के चलते पहले से ही कई तरह की परेशानियां झेल रहा है ऐसे में बढ़ती महंगाई उसकी मुसीबत को और बढ़ा रही है. भले ही संक्रमण की रफ्तार धीमी हो गयी है, लेकिन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले स्रोतों पर महंगाई की मार अभी भी बरकरार है.