ग्वालियर। ग्वालियर चंबल संभाग के जया रोग्य चिकित्सालय समूह में बनाए गए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का कोविड-19 मरीजों पर दो तरफा कहर टूट रहा है. एक तो उन्हें कोरोना उन्हें सांस नहीं लेने दे रहा है, दूसरा अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ की संवेदनाएं भी लगभग मर सी गई हैं. शहर में पिछले 24 घंटों में 16 मरीजों की मौत हो चुकी है. परिजनों को मरीजों के शव तक नहीं मिल रहे हैं. इसी को लेकर सोमवार को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ.
मरीजों पर दोतरफा मार
करोड़ों की लागत से बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 280 बेड का कोविड सेंटर बनाया गया है. यहां गंभीर रूप से बीमार और कोरोना संक्रमित मरीजों को रखा जा रहा है. 30 मार्च को खुद अपनी गाड़ी चला कर अस्पताल पहुंचे कन्हैयालाल भम्मानी बताते हैं, रविवार रात को अपने परिवार से मोबाइल पर बात की थी. सभी कुछ ठीक बताया था. अचानक रात को 1:30 बजे उनके परिजन की मौत हो गई .अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके परिजनों को फोन किया गया था.लेकिन परिजनों के पास कोई भी फोन नहीं पहुंचा .सुबह जब वे नाश्ता लेकर हॉस्पिटल पहुंचे, तब उन्हें पता लगा कि रात 1:30 बजे ही कन्हैया लाल नहीं रहे.
'मुर्दा तो दे दो साहब'
इसी तरह पांच अप्रैल को सुशीला देवी अग्रवाल को सुपर स्पेशलिटी वार्ड में भर्ती कराया गया था. सुबह बताया गया कि उनकी मौत हो चुकी है. लेकिन एक बजे तक उनके परिजनों को शव नहीं दिया गया. उन्हें बताया गया कि उनके पास किसी महिला की डेड बॉडी नहीं है.यह सुनते ही उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा किया.
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मौत की संख्या बढ़ने से हड़बड़ाया अस्पताल
प्रशासनिक अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि अस्पताल में मौतों का सिलसिला बढ़ा है. इस कारण एंबुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था कराने के लिए एक-दो गाड़ियां और लगवाई जाएंगी. जिससे परिजनों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. मरीजों के बारे में अपडेट भी परिजनों को लगातार दिया जाएगा. अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में कहा है कि कुछ गलतफहमियां हुई हैं. सभी मृतकों के शव उनके परिजनों को उनका चेहरा दिखाने के बाद ही सौपे जाएंगे.