ग्वालियर। यूं तो तिरंगे का निर्माण देश के कई हिस्सों में होता है. लेकिन ग्वालियर वो शहर है जो तिरंगे का निर्माण करने के लिए अपने- आप पर फक्र महसूस करता है. ग्वालियर में स्थित मध्यभारत संघ में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का निर्माण किया जाता है. जो तिरंगे का निर्माण करने वाला उतर भारत का इकलौता केंद्र है.
हुगली, मुंबई के बाद ग्वालियर में ही सेना के लिए तिरंगे झंडे बनाए जाते हैं. खास बात यह है कि देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है तो ग्वालियर का जिक्र सभी के जुबान पर आ जाता है. ग्वालियर में बनने वाला तिरंगा देश की संसद से लेकर तमाम शासकीय केंद्रों की छत पर शान से लहराता है.
मध्यभारत संघ खादी टीम की मैनेजर ने बताया कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है. एक-एक धांगे को पिरोकर देश की शान तिरंगे निर्माण होता है. ग्वालियर में बनने वाले तिरंगे मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश के तमाम हिस्सों अलावा बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित एक दर्जन से अधिक राज्यों में पहुंचाया जाता है. टीम की मैनेजर कहती है कि देश भर की शान तिरंगे का निर्माण करना हमारे लिए गौरव की बात है.
ग्वालियर के मध्यभारत खादी संघ में एक साल में 10 से 12 हजार खादी के तिरंगे झंडे तैयार किए जाते हैं. इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है. जबकि तिरंगे के निर्माण के बाद से तो इस देशभर में इस संस्था की अपनी एक अलग पहचान बनी है.