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पूरे देश में लहराता है इस शहर में बना तिरंगा, सेना के लिए भी यहीं से भेजा जाता है राष्ट्रध्वज - ग्वालियर में बनता है तिरंगा

देश की आन, बान, शान तिरंगा, जब नीले रंग के आसमान में लहराता है, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. 15 अगस्त के दिन हर भारतीय तिरंगे के सम्मान में सलामी देकर अपनी आजादी का जश्न मनाता है. देश की हर सड़क हर मकान की छत पर तिरंगा लहराता नजर आता है. क्योंकि हिंदुस्तान की शान तिरंगा हर भारतीयों को अपनी जान से भी अधिक प्यारा होता है.

पूरे देश में लहराता है इस शहर में बना तिरंगा
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Published : Aug 14, 2019, 10:41 PM IST

ग्वालियर। यूं तो तिरंगे का निर्माण देश के कई हिस्सों में होता है. लेकिन ग्वालियर वो शहर है जो तिरंगे का निर्माण करने के लिए अपने- आप पर फक्र महसूस करता है. ग्वालियर में स्थित मध्यभारत संघ में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का निर्माण किया जाता है. जो तिरंगे का निर्माण करने वाला उतर भारत का इकलौता केंद्र है.

पूरे देश में लहराता है इस शहर में बना तिरंगा

हुगली, मुंबई के बाद ग्वालियर में ही सेना के लिए तिरंगे झंडे बनाए जाते हैं. खास बात यह है कि देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है तो ग्वालियर का जिक्र सभी के जुबान पर आ जाता है. ग्वालियर में बनने वाला तिरंगा देश की संसद से लेकर तमाम शासकीय केंद्रों की छत पर शान से लहराता है.

मध्यभारत संघ खादी टीम की मैनेजर ने बताया कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है. एक-एक धांगे को पिरोकर देश की शान तिरंगे निर्माण होता है. ग्वालियर में बनने वाले तिरंगे मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश के तमाम हिस्सों अलावा बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित एक दर्जन से अधिक राज्यों में पहुंचाया जाता है. टीम की मैनेजर कहती है कि देश भर की शान तिरंगे का निर्माण करना हमारे लिए गौरव की बात है.

ग्वालियर के मध्यभारत खादी संघ में एक साल में 10 से 12 हजार खादी के तिरंगे झंडे तैयार किए जाते हैं. इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है. जबकि तिरंगे के निर्माण के बाद से तो इस देशभर में इस संस्था की अपनी एक अलग पहचान बनी है.

ग्वालियर। यूं तो तिरंगे का निर्माण देश के कई हिस्सों में होता है. लेकिन ग्वालियर वो शहर है जो तिरंगे का निर्माण करने के लिए अपने- आप पर फक्र महसूस करता है. ग्वालियर में स्थित मध्यभारत संघ में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का निर्माण किया जाता है. जो तिरंगे का निर्माण करने वाला उतर भारत का इकलौता केंद्र है.

पूरे देश में लहराता है इस शहर में बना तिरंगा

हुगली, मुंबई के बाद ग्वालियर में ही सेना के लिए तिरंगे झंडे बनाए जाते हैं. खास बात यह है कि देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है तो ग्वालियर का जिक्र सभी के जुबान पर आ जाता है. ग्वालियर में बनने वाला तिरंगा देश की संसद से लेकर तमाम शासकीय केंद्रों की छत पर शान से लहराता है.

मध्यभारत संघ खादी टीम की मैनेजर ने बताया कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है. एक-एक धांगे को पिरोकर देश की शान तिरंगे निर्माण होता है. ग्वालियर में बनने वाले तिरंगे मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश के तमाम हिस्सों अलावा बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित एक दर्जन से अधिक राज्यों में पहुंचाया जाता है. टीम की मैनेजर कहती है कि देश भर की शान तिरंगे का निर्माण करना हमारे लिए गौरव की बात है.

ग्वालियर के मध्यभारत खादी संघ में एक साल में 10 से 12 हजार खादी के तिरंगे झंडे तैयार किए जाते हैं. इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है. जबकि तिरंगे के निर्माण के बाद से तो इस देशभर में इस संस्था की अपनी एक अलग पहचान बनी है.

Intro:ग्वालियर- यूं तो भारत की आजादी में ग्वालियर का प्रमुख योगदान रहा है आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद ही ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम और रोशन किए हुए हैं राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की प्रमुख पहचान होती है आपको जानकारियां पाकर गर्व होगा कि देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराया तिरंगा झंडा हमारे शहर में तैयार होता है इन तिरंगे को ग्वालियर में स्थित देश का तीसरा प्रदेश का पहला मध्य भारत संघ बना रहा है। खास बात यह है कि देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है और हमारी ग्वालियर का जिक्र सभी के जुबान पर होता है।


Body:केंद्र में जमीनी प्रक्रिया से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है आईएसआई तिरंगे झंडे देश में हुगली, मुंबई और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं। आदि केंद्र की मैनेजर का कहना है कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगते है। इन दोनों यूनिटों में 15 अगस्त के लिए तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं। यहां बनने वाले तिरंगे मध्य प्रदेश के अलावा बिहार,राजस्थान ,उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,गुजरात सहित एक दर्जन से अधिक राज्यों में पहुंचाए जाते हैं। हमारे लिए गौरब की बात तो यह है कि देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे की शान बढ़ाते हैं।


Conclusion:साथ ही उनका कहना है कि यहां जो तरंगे तैयार किए जाते हैं उसका धागा भी हाथों से इसी केंद्र में तैयार किया जाता है वर्तमान में यहां तीन कैटेगरी में तरंगे तैयार किए जा रहे हैं मैनेजर के अनुसार अभी 2 बाई 3 और 6 बाई 4 तक के झंडे बनाई जा रही है। इस केंद्र में एक साल में लगभग 10 से 12 हजार खादी के झंडे तैयार किए जाते हैं। खादी के पदाधिकारी बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है। उनका मानना है किसी भी खादी संघ के लिए तरंगे तैयार करना बड़ी मुश्किल का काम होता है। क्योंकि सरकार की अपनी गाइडलाइन है उसी के अनुसार तिरंगे तैयार करने होते हैं।

बाईट- नीलू ,मैनेजर, ध्वजा निर्माता इकाई
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