ग्वालियर। किताब के पन्नों में भूत-वर्तमान सब दर्ज होता है और बिना किताब के भविष्य भी मुकम्मल नहीं होता. यही वजह है कि काम वाली बाई की बेटी के लिए किताबों का इंतजाम करने वाले श्रीकांत कांटे ने अपने घर में ही किताबों की दुनिया बसा डाली और किताबों की इसी दुनिया से पिछले आठ साल से जरूरतमंद बच्चों की दुनिया रोशन हो रही है.
ग्वालियर में किताबों के बीच अपनी दुनिया बसाने वाले श्रीकांत कांटे यूं तो शासकीय कर्मचारी हैं, पर आज इन्होंने अपना जीवन मानवता को समर्पित कर दिया है. 8 साल पहले उनके घर में काम करने वाली बाई ने अपनी बेटी के लिए किताबों का इंतजाम करने की गुजारिश की थी. जिसे खरीदना उसके बस में नहीं था, लिहाजा कांटे ने उस बच्ची को किताबें मुहैया कराईं, तभी उनके मन में खयाल आया कि किताबों के बिना गरीब बच्चे अपना भविष्य कैसे संवारते होंगे. बस उनकी इसी सोच ने उन्हें गरीब बच्चों का मसीहा बना दिया.
कांटे के पास इस समय लगभग 5 हजार किताबें हैं और इनके बुक बैंक की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे इसके लिए एक मोबाइल ऐप भी शुरू किया गया है, जिसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लॉन्च किया है. इसके माध्यम से लोग ऑनलाइन बुक डोनेट करने और लेने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं. उनकी याचिका पर NGT के आदेश के बाद मध्यप्रदेश के तीन जिलों में बुक बैंक को प्रोजेक्ट मॉडल के तौर पर शुरू किया गया है.
मानवता की मिसाल कायम करने वाले श्रीकांत कांटे जो कर रहे हैं, वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है. ऐसे में यदि सरकार भी उनके कदम से कदम मिलाये तो गुरबत में रहकर भी हर बच्चा अपने भविष्य को मुकम्मल कर लेगा, साथ ही कागज बनाने के लिए पेड़ों की कटान भी कम होगी, जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.