ग्वालियर। भारत के संविधान के बारे में सबने सुना है, लेकिन कम ही लोग होंगे, जिन्होंने 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुए देश के संविधान की मूल प्रति को आंखों से देखा होगा. ईटीवी भारत आपको संविधान की वही मूल प्रति दिखाने जा रहा है. जो मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बनी सेंट्रल लाइब्रेरी की शान में चार चांद लगा रही है. संविधान की इस मूलि प्रति को 31 मार्च 1956 को केंद्रीय पुस्तकालय के सचिव चंद्रप्रकाश अवस्थी ने 120 रुपए में खरीदा था, जिसमें संविधान के जनक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के मूल हस्ताक्षर भी मौजूद है.
संविधान की इस प्रति को देखने आने वाले छात्र बताते हैं कि इस पुस्तक को देखना उनके लिए गौरव की बात है कि जिस संविधान से हमारा देश चलता है, उसे वे देख पा रहे हैं. संविधान की ये प्रति कई मायनों में खास है, 231 पन्नों वाले संविधान का आवरण पृष्ठ स्वर्ण अक्षरों से अंकित है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक उल्लिखित हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी प्रबंधक कहते हैं कि ये मध्यप्रदेश और ग्वालियर के लिए गौरव की बात है कि संविधान की मूल प्रति यहां मौजूद है.
सुनहरे पन्नों वाली संविधान की इस प्रति में 255 आर्टिकल्स लिथोग्राफी पैटर्न पर लिखे हुए हैं. इस ग्राफी से इसकी स्याही प्रिजर्व रहती है और ये खराब नहीं होती, 231 पेज की इस मूल प्रति में आठ शेड्यूल हैं, इन 231 पेजों में से 10 पेजों पर 285 सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद हैं. जिसे देखने के लिए 26 जनवरी को लोगों की भीड़ जुटती है. देश आज 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है.