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गणतंत्र दिवस विशेष: संविधान की मूल प्रति बढ़ा रही सेंट्रल लाइब्रेरी की शोभा - 71वां गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 1950 से प्रभावी देश के संविधान की मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है. 120 रुपए में खरीदी गई संविधान की इस प्रति को देखने के लिए गणतंत्र दिवस पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं. जिसे ईटीवी भारत आपको दिखा रहा है.

original copy of indian constitution
गणतंत्र दिवस विशेष
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Published : Jan 26, 2020, 12:04 AM IST

Updated : Jan 26, 2020, 2:53 AM IST

ग्वालियर। भारत के संविधान के बारे में सबने सुना है, लेकिन कम ही लोग होंगे, जिन्होंने 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुए देश के संविधान की मूल प्रति को आंखों से देखा होगा. ईटीवी भारत आपको संविधान की वही मूल प्रति दिखाने जा रहा है. जो मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बनी सेंट्रल लाइब्रेरी की शान में चार चांद लगा रही है. संविधान की इस मूलि प्रति को 31 मार्च 1956 को केंद्रीय पुस्तकालय के सचिव चंद्रप्रकाश अवस्थी ने 120 रुपए में खरीदा था, जिसमें संविधान के जनक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के मूल हस्ताक्षर भी मौजूद है.

गणतंत्र दिवस विशेष

संविधान की इस प्रति को देखने आने वाले छात्र बताते हैं कि इस पुस्तक को देखना उनके लिए गौरव की बात है कि जिस संविधान से हमारा देश चलता है, उसे वे देख पा रहे हैं. संविधान की ये प्रति कई मायनों में खास है, 231 पन्नों वाले संविधान का आवरण पृष्ठ स्वर्ण अक्षरों से अंकित है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक उल्लिखित हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी प्रबंधक कहते हैं कि ये मध्यप्रदेश और ग्वालियर के लिए गौरव की बात है कि संविधान की मूल प्रति यहां मौजूद है.

सुनहरे पन्नों वाली संविधान की इस प्रति में 255 आर्टिकल्स लिथोग्राफी पैटर्न पर लिखे हुए हैं. इस ग्राफी से इसकी स्याही प्रिजर्व रहती है और ये खराब नहीं होती, 231 पेज की इस मूल प्रति में आठ शेड्यूल हैं, इन 231 पेजों में से 10 पेजों पर 285 सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद हैं. जिसे देखने के लिए 26 जनवरी को लोगों की भीड़ जुटती है. देश आज 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है.

ग्वालियर। भारत के संविधान के बारे में सबने सुना है, लेकिन कम ही लोग होंगे, जिन्होंने 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुए देश के संविधान की मूल प्रति को आंखों से देखा होगा. ईटीवी भारत आपको संविधान की वही मूल प्रति दिखाने जा रहा है. जो मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बनी सेंट्रल लाइब्रेरी की शान में चार चांद लगा रही है. संविधान की इस मूलि प्रति को 31 मार्च 1956 को केंद्रीय पुस्तकालय के सचिव चंद्रप्रकाश अवस्थी ने 120 रुपए में खरीदा था, जिसमें संविधान के जनक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के मूल हस्ताक्षर भी मौजूद है.

गणतंत्र दिवस विशेष

संविधान की इस प्रति को देखने आने वाले छात्र बताते हैं कि इस पुस्तक को देखना उनके लिए गौरव की बात है कि जिस संविधान से हमारा देश चलता है, उसे वे देख पा रहे हैं. संविधान की ये प्रति कई मायनों में खास है, 231 पन्नों वाले संविधान का आवरण पृष्ठ स्वर्ण अक्षरों से अंकित है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक उल्लिखित हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी प्रबंधक कहते हैं कि ये मध्यप्रदेश और ग्वालियर के लिए गौरव की बात है कि संविधान की मूल प्रति यहां मौजूद है.

सुनहरे पन्नों वाली संविधान की इस प्रति में 255 आर्टिकल्स लिथोग्राफी पैटर्न पर लिखे हुए हैं. इस ग्राफी से इसकी स्याही प्रिजर्व रहती है और ये खराब नहीं होती, 231 पेज की इस मूल प्रति में आठ शेड्यूल हैं, इन 231 पेजों में से 10 पेजों पर 285 सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद हैं. जिसे देखने के लिए 26 जनवरी को लोगों की भीड़ जुटती है. देश आज 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है.

Intro:ग्वालियर- इस देश में संविधान के बारे में सबने सुना है लेकिन कम ही लोग होंगे जिन लोगों ने संविधान की मूल प्रति को आंखों से देखा है।लेकिन आज ईटीवी भारत आपको संविधान की मूल प्रति दिखाने जा रहा है जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सेंटर लाइब्रेरी की शान में चार चांद लगा रही है। आपके भी मन में उसे देखने की उत्सुकता होगी ...तो आइए हम दिखाते हैं आपको संविधान बुक.....


Body:ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में संविधान की मूल प्रति रखी गई है 31 मार्च 1956 को यह प्रति यहां लाई गई थी उस वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की कुल 16 मूल प्रतियां भेजी जा रही थी। ग्वालियर मध्य प्रदेश के उन इकलौते शहरों में में था जहां इस मूल प्रति को भेजा गया। संविधान की मूल प्रति ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी की शान में चार चांद लगा रही है। लाइब्रेरी प्रबंधन का कहना है कि हमारे गौरव की बात है कि संविधान की मूल प्रति हमारे पास है इसको देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। यह प्रतीक कई मायने में खास है इसके आवरण पृष्ठ पर स्वर्ण अक्षर अंकित है प्रति के कुल 231 पेज है। और इसमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक उल्लेखित है। इतना ही नहीं संविधान सभा की 286 सदस्यों की मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं। इनमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर से लेकर डॉ राजेंद्र प्रसाद और फिरोज गांधी तक शामिल है मूल प्रति में दर्ज हर अनुच्छेद की प्रतीकात्मक एक विशेष चित्र प्रकाशित किया गया है। इसको देखने आने वाले छात्रों का कहना है कि यह उनके लिए गौरव की बात है कि जिस संविधान से हमारा देश चलता है उसको हम देख पा रहे हैं।


Conclusion:अगर हम भारतीय संविधान के निर्माण पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को ड्राफ्टिंग का गठन हुआ और लगभग 2 साल बाद 26 नवंबर 1949 पूर्ण रूप से संविधान तैयार हो गया।संविधान के निर्माण में कुल 284 सदस्यों का सहयोग रहा संसदीय समिति ने इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया। उस समय इसकी मूल प्रतियां बनाई गई थी। इनमें से एक प्रति आज भी ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है।

WT - विवेक सोनी प्रोग्राम ऑफिसर सेंट्रल लाइब्रेरी और छात्रों से बातचीत

Last Updated : Jan 26, 2020, 2:53 AM IST
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