ग्वालियर। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे उपचुनाव नजदीक आते जा रहे है. वैसे-वैसे बीजेपी ने चुनाव प्रचार अभियान तेज कर दिया. सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल अंचल की 16 सीटों पर उपचुनाव होना है, लिहाजा सीएम शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और वीडी शर्मा से लेकर दिग्गजों ने यहां मोर्चा संभाल लिया. लेकिन बीजेपी के संकट मोचक माने जाने वाले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की ग्वालियर-चंबल अंचल से दूरी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी है.
सदस्यता अभियान में नहीं दिखे नरोत्तम मिश्रा
बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर पहुंचकर सीएम शिवराज और नरेंद्र सिंह तोमर की मौजदूगी में सदस्यता अभियान चलाया. प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया, माया सिंह, अनूप मिश्रा, लाल सिंह आर्य सहित सभी नेता तीन दिनों तक कार्यक्रमों में मौजदू रहे. लेकिन नरोत्तम मिश्रा सदस्यता अभियान में नहीं पहुंचे. ऐसे में सियासी पंडित भी यह अंदाजा नहीं लगा पर रहे, कि नरोत्तम मिश्रा इन कार्यक्रमों से दूरी बना रहे हैं या फिर उन्हें जानबूझकर दूर रखा जा रहा है.
रुठों को मनाया, अब कहा गए मिश्रा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल के कई दिग्गज नेता पार्टी से नाराज बताए जा रहे थे. जब बालेंदु शुक्ला ने बीजेपी से दामन छोड़ा तो पार्टी को चंबल में बगावत का डर सताया. चर्चा थी कई और नेता पार्टी का दामन छोड़ सकेत है. लिहाजा रुठे नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी पार्टी ने नरोत्तम मिश्रा को ही सौंपी. नरोत्तम मिश्रा ने भी यह जिम्मेदारी बखूभी निभाई और एक-एक नेता को मनाकर अपना कौशल बताया. लेकिन अब अचानक से नरोत्तम मिश्रा ग्वालियर-चंबल की सियासत से दूर हो गए हैं. लिहाजा उनकी दूरी से कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
कांग्रेस ने साधा निशाना
ग्वालियर चंबल से नरोत्तम मिश्रा की दूरी पर कांग्रेस को बीजेपी में निशाना साधने का मौका मिल गया. कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह कहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने रहते किसी को पसंद नहीं करते. इसलिए वह अपने रहते नरोत्तम मिश्रा को आने नहीं देंगे. क्योंकि बीजेपी में आयतित और स्थापित नेता की बीच द्वंद है. इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया नरोत्तम मिश्रा को आने नहीं देना चाहते.
वीडी शर्मा ने किया डैमेज कंट्रोल
वही मुरैना जिले के दौरे पर पहुंचे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि नरोत्तम मिश्रा अपनी व्यस्तताओं के कारण यहां नहीं आ पाए. लेकिन जिस तरह की अपवाहे चल रही है ऐसा कुछ भी नहीं है. नरोत्तम मिश्रा के बिना उपचुनाव की कल्पना नहीं की जा सकती है. बीजेपी में जिसकों जो जिम्मेदारी दी जाती है. वह अपनी जिम्मेदारी पूर करता है. इसलिए हमारे यहां कोई नाराजगी नहीं है.
राजनीतिक जानकार भी हैरान
बीजेपी कांग्रेस के दावों से इतर नरोत्तम मिश्रा की दूरी पर राजनीतिक जानकार देवश्री माली ने हैरानी जताते हुए कहा कि जब ग्वालियर में बीजेपी का सदस्यता अभियान चल रहा था. तब नरोत्तम मिश्रा तीन दिन तक दतिया में ही रहे. ऐसे में उनकी सदस्यता अभियान से दूरी चौकाने वाली रही. क्योंकि जब वह तीन दिनों तक दतिया में ही रहे तो फिर सदस्यता अभियान में क्यों नहीं पहुंचे.
सिंधिया के हाथ चुनावी कमान
माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरोत्तम मिश्रा दोनों ग्वालियर-चंबल के स्थापित नेता हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि सिंधिया ने उपचुनावों की जिम्मेदारी अपने कंथों पर ले ली है. लिहाजा अगर जीत मिलती है तो इसका श्रेय भी खुद को ही देना चाहेंगे. शायद यही वजह है कि उपचुनाव से पहले ही बीजेपी द्वंद छिड़ गया गया हो. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भले ही सिंधिया उपचुनाव के समर में बीजेपी का चेहरा हो. लेकिन नरोत्तम मिश्रा के बिना ग्वालियर चंबल में बीजेपी की नैया पार नहीं हो सकती. क्योंकि नरोत्तम मिश्रा चंबल अंचल में बीजेपी के सबसे मजबूत स्तंभ माने जाते हैं, जिनकी कार्यकर्ताओं तक सीधी पकड़ है. ऐसे में नरोत्तम बीजेपी के लिए जरुरी है. अब वह कब तक ग्वालियर-चंबल से दूरी रखते है इसका जवाब तो नरोत्तम मिश्रा खुद ही दे सकते हैं.