ग्वालियर। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में महिलाओं का ग्वालियर चंबल संभाग में दबदबा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, अंचल के दोनों नगर निगम ग्वालियर और मुरैना की महापौर (Mayor) का पद महिलाओं के लिए आरक्षित है. ग्वालियर जिला पंचायत अध्यक्ष पद भी इस बार महिला ही है. इसके साथ ही नगरीय निकाय चुनाव में 50% महिलाओं को पार्षदों के टिकट भी दिए जाने हैं. इस बार चुनाव में महिलाओं का दबदबा होने से कई पुरुषों प्रत्याशियों के अरमानों पर पानी फिर गया. अब पत्नि के सहारे अपना राजनीतिक कैरियर आगे बढ़ाने में जुट गए हैं.
पुरुष प्रत्याशियों की पत्नियों को टिकट: किसी भी राजनीतिक दल के पास इतनी महिला कार्यकर्ता नहीं है कि, उन्हें टिकट देकर चुनाव जीताया जा सके. ऐसे में पहले से सक्रिय पुरुष प्रत्याशियों की पत्नियों को टिकट दिया जाना संभव नजर आ रहा है. इसके लिए बाकायदा पति भी मंत्रियों के पास अपनी पत्नियों का बायोडाटा लेकर पहुंच रहे हैं और लंबे समय से पार्टी के लिए काम करने की दलील दे रहे हैं.
राजनीतिक दलों की दलील: महिलाओं को टिकट देने को लेकर दोनों राजनीतिक दलों का कहना है कि, उनकी पार्टी महिला सशक्तिकरण को ध्यान रखते हुए 50 फीसदी महिलाओं को टिकट दे रही है. उनका कहना है कि अधिकांश जगह महिला कार्यकर्ताओं को टिकट दिए जा रहे हैं. जहां कार्यकर्ता नहीं हैं वहां पुरुष कार्यकर्ता के परिवार की महिला को टिकट दिया जाएगा. हालांकि देखने में यह भी आता है कि भले ही महिला सीट पर महिला चुनाव जीत जाती है और सीट पर बैठ जाती हैं, लेकिन बाद में उसके पति ही पद के कार्यभार का संचालन करते हैं.