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बीजेपी का कमाल, सिंधिया को गढ़ में मिली हार, कैसी रही 2019 में ग्वालियर-चंबल की सियासी हलचल

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Published : Dec 30, 2019, 5:55 PM IST

मध्य प्रदेश की राजनीति में ग्वालियर-चंबल अंचल हमेशा से ही राजनीति का बड़ा केंद्र बिंदु माना जाता है. 2019 में तो राजनीतिक परिदृश्य से यह अंचल की चर्चा साल भर बनी रही. कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी परंपरागत गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर हार मिली. तो बीजेपी के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह तोमर सीट बदलकर भी लोकसभा चुनाव जीत गए. तो देखिए कुछ ही ऐसी सियासी हलचल ईटीवी भारत पर.

gwalior chambal
ग्वालियर-चंबल की सियासत

ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल अंचल सूबे की सियासी दशा और दिशा दोनों तय करता है. जहां की सियासी शतरंज पर खेले जाने वाले शह और मात के खेल पर भोपाल से लेकर दिल्ली दरबार की निगाहें टिकी रहती है. 2019 तो इस अंचल के लिए बदलाव का साल साबित हुआ. कुछ ऐसी सियासी घटनाएं घटी जो राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गई. आइये एक नजर डालते हैं. ऐसी ही सियासी घटनाओं पर.....

2019 में ग्वालियर-चंबल की सियासत

लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने ही गढ़ में मिली करारी हार
लोकसभा चुनाव में गुना सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और सिंधिया परिवार के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ने सबकों चौंका दिया. 17 साल में चार लोकसभा चुनाव जीत चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ग्वालियर-चंबल से लेकर पूरे देश में चर्चा का विषय रही. सिंधिया के कभी करीबी रहे बीजेपी प्रत्याशी केपी यादव ने उन्हें चुनाव हरा दिया.

लोकसभा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
2018 के विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल अंचल की सीटों पर फतह हासिल की हो. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया. सिंधिया के दुर्ग से लेकर दिग्गी राजा के गढ़ तक बीजेपी ने हर जगह कांग्रेस को चारों खाने चित करते हुए अंचल की चारों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की.

सीट बदलकर जीत दर्ज कर नरेंद्र सिंह तोमर ने बढ़ाया सियासी कद
बीजेपी ने भले ही लोकसभा की चारों सीटें जीती हो. लेकिन ग्वालियर-चंबल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच चुनाव इतना टक्कर का हुआ कि बीजेपी के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह तोमर भितरघात के डर से अपनी सीट बदलकर मुरैना से चुनाव लड़े. लेकिन तोमर ने यहां भी अपनी सियासी कुशलता का लोहा मनवाते हुए जीत दर्ज कर एक बार फिर मोदी मंत्रिमंडल में जगह बनाई.

विधायक के निधन से फिर लगा कांग्रेस को झटका
साल 2019 जाते-जाते कांग्रेस को एक और झटका दे गया. अंचल की जौरा विधानसभा से विधायक बनवारी लाल शर्मा का बीमारी से निधन हो गया. जिससे कांग्रेस लिए अब 2020 की शुरुआत से पहले ही ग्वालियर-चंबल में फिर चुनौतियां शुरु हो गई है.

यानि हर साल की तरह 2019 में ग्वालियर-चंबल राजनीति में हलचल मची रही. जो 2020 की शुरुआत में भी रहेगी. क्योंकि नगरीय निकाय की जंग से लेकर जौरा उपचुनाव तक यहां फिर सियासी अखाड़ा सजा रहेगा. जहां दिग्गजों के दांव पेंच लगते रहेंगे.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल अंचल सूबे की सियासी दशा और दिशा दोनों तय करता है. जहां की सियासी शतरंज पर खेले जाने वाले शह और मात के खेल पर भोपाल से लेकर दिल्ली दरबार की निगाहें टिकी रहती है. 2019 तो इस अंचल के लिए बदलाव का साल साबित हुआ. कुछ ऐसी सियासी घटनाएं घटी जो राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गई. आइये एक नजर डालते हैं. ऐसी ही सियासी घटनाओं पर.....

2019 में ग्वालियर-चंबल की सियासत

लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने ही गढ़ में मिली करारी हार
लोकसभा चुनाव में गुना सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और सिंधिया परिवार के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ने सबकों चौंका दिया. 17 साल में चार लोकसभा चुनाव जीत चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ग्वालियर-चंबल से लेकर पूरे देश में चर्चा का विषय रही. सिंधिया के कभी करीबी रहे बीजेपी प्रत्याशी केपी यादव ने उन्हें चुनाव हरा दिया.

लोकसभा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
2018 के विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल अंचल की सीटों पर फतह हासिल की हो. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया. सिंधिया के दुर्ग से लेकर दिग्गी राजा के गढ़ तक बीजेपी ने हर जगह कांग्रेस को चारों खाने चित करते हुए अंचल की चारों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की.

सीट बदलकर जीत दर्ज कर नरेंद्र सिंह तोमर ने बढ़ाया सियासी कद
बीजेपी ने भले ही लोकसभा की चारों सीटें जीती हो. लेकिन ग्वालियर-चंबल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच चुनाव इतना टक्कर का हुआ कि बीजेपी के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह तोमर भितरघात के डर से अपनी सीट बदलकर मुरैना से चुनाव लड़े. लेकिन तोमर ने यहां भी अपनी सियासी कुशलता का लोहा मनवाते हुए जीत दर्ज कर एक बार फिर मोदी मंत्रिमंडल में जगह बनाई.

विधायक के निधन से फिर लगा कांग्रेस को झटका
साल 2019 जाते-जाते कांग्रेस को एक और झटका दे गया. अंचल की जौरा विधानसभा से विधायक बनवारी लाल शर्मा का बीमारी से निधन हो गया. जिससे कांग्रेस लिए अब 2020 की शुरुआत से पहले ही ग्वालियर-चंबल में फिर चुनौतियां शुरु हो गई है.

यानि हर साल की तरह 2019 में ग्वालियर-चंबल राजनीति में हलचल मची रही. जो 2020 की शुरुआत में भी रहेगी. क्योंकि नगरीय निकाय की जंग से लेकर जौरा उपचुनाव तक यहां फिर सियासी अखाड़ा सजा रहेगा. जहां दिग्गजों के दांव पेंच लगते रहेंगे.

Intro:ग्वालियर - साल 2019 को अलविदा को होने में बस कुछ दिन ही शेष रह चुके है। उसके बाद यह साल हमसे अलविदा कह जाएगा और 2020 साल की नई शुरुआत नई ऊर्जा के साथ शुरू होगी। लेकिन साल 2019 में ग्वालियर चंबल अंचल में कुछ राजनीतिक घटनाएं ऐसी है जो हमें हमेशा याद रहेगी। ऐसी घटनाएं जो इतिहास के पन्ने पर दर्ज हो चुकी है। ग्वालियर चंबल अंचल में कौन सी बड़ी राजनीतिक घटनाएं हुई है आइये एक नजर डालते हैं....


Body:1. ग्वालियर चंबल अंचल में विधानसभा के चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ -

विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल की सीटों पर कांग्रेस ने फतेह की तो वही बीजेपी ने मुंह की खानी पड़ी।ग्वालियर चंबल अंचल की 34 सीटों में से कांग्रेस ने 27 सीटों पर विजय हासिल की तो वही बीजेपी ने 6 और बसपा ने 1 सीट ही जीत पाई। जिसमें इतिहास में पहली बार मुरैना जिले की 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी। जिसमें ग्वालियर चंबल अंचल के मंत्री जयभान सिंह पवैया, माया सिंह ,नारायण सिंह कुशवाह, रुस्तम सिंह और लाल सिंह आर्य करारी हार का सामना करना पड़ा था।

2. लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने ही गढ़ में मिली करारी हार -

अबकी बार साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यह राजनीति के इतिहास में पहली बार हुआ जब कोई सिंधिया परिवार का व्यक्ति चुनाव हारा था। सिंधिया परिवार की अभेद किले के रूप में गुना सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को 125549 भूतों से करारी हार का सामना करना पड़ा था। सिंधिया की हार से विपक्षी पार्टी भी देखकर स्तंम्भ रह गई तो वही ज्योतिरादित्य सिंधिया भी नहीं समझ पाए कि मेरी हार किस कारण से थी।

3. ग्वालियर चंबल अंचल में लोकसभा की चारों सीटों में काँग्रेस चित्त -

विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस पार्टी ने ग्वालियर चंबल अंचल की सीटों पर फतह हासिल की हो। लेकिन लोकसभा के चुनाव में ग्वालियर अंचल की सीटों पर चारों खाने चित्त हो गई। लोकसभा के चुनाव पर कांग्रेस पार्टी चारों सीटों में से किसी भी सीट को जीतने में सफलता हासिल नहीं कर पाई। मतलब बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में इस अंचल की चारों सीटों को अपने कब्जे में ले लिया।

4. लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी नेताओ के भितरघात के डर से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बदली सीट -

लोकसभा चुनाव के दौरान वर्तमान में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपनी सीट ग्वालियर को छोड़कर मुरैना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था।और जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भांजे अनुप मिश्रा का टिकट कटवा दिया था।केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सीट बदलने की प्रमुख वजह यह थी कि विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बरिष्ट नेताओं को टिकिट नही दिया था जिसके कारण ग्वालियर अंचल की कई नेता तोमर से नाराज चल रहे थे। इसलिए भितरघात और नाराजगी के डर से से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सीट बदली।

5. साल के अंत में बीमारी के चलते कांग्रेस सरकार के एक विधायक का निधन -

साल 2019 जाते-जाते कांग्रेस सरकार को एक झटका दी गई। इस अंचल की जौरा विधानसभा से विधायक बनवारी लाल की बीमारी के चलते निधन हो गया। कांग्रेस पार्टी के लिए दुखद घटना होने के साथ-साथ एक चुनौती भी खड़ी हो गई है।अब मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास कुल 114 विधायक की संख्या है अब आगामी नई साल के लिए विधायक का जाना सरकार के लिए एक नई चुनौती खड़ा कर सकता है।




Conclusion:बाईट- देव श्रीमाली , बरिष्ट पत्रकार

ओपनिंग पीटीसी - अनिल गौर

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