ग्वालियर। हाल में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्मार्ट सिटी के कार्यों में हो रही लापरवाही को लेकर नाराजगी जाहिर की थी. इसके बावजूद स्मार्ट सिटी के अधिकारी अभी भी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. ग्वालियर में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. आज से ठीक तीन साल पहले ग्वालियर वासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पब्लिक बाइक शेयरिंग स्कीम शुरु हुई थी. इस स्कीम के तहत करोड़ों रुपए की 500 स्मार्ट साइकिल खरीदी गई थी. लेकिन अब वो कबाड़ हो गई (bike sharing project failed gwalior )हैं.
मिट्टी में मिल गए 200 करोड़ रुपए!
प्रशासन ने निजी कंपनी याना के साथ मिलकर शहर के लोगों को स्वस्थ बनाने और प्रदूषण को कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना शुरु की थी. शुरु में शहर के लोग इस योजना से जुड़ने लगे थे. योजना के तहत शहर में 500 स्मार्ट साइकिल लाई गईं. स्मार्ट साइकिलों के लिए शहर में 50 स्टेशन बनाये गए थे. लोगों को स्मार्ट साइकिल इस्तेमाल करने के लिए मोटिवेट भी किया गया. इस स्कीम में 200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे. (bicycles of 200 crores became kabad)तीन साल में ही ये योजना औंधेमुंह गिर गई है.
95 फ़ीसदी साइकिलें कबाड़ हो चुकी हैं
जब इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी, उसके ठीक 6 महीने बाद देश में कोरोना संक्रमण के कारण लॉक डाउन लग गया था. शहर वासी घरों में कैद हो गए थे. सब कुछ बंद होने के कारण साइकिलिंग के प्रति लोगों का रुझान भी कम हो गया. लेकिन इस लॉकडाउन को हटे लगभग 1 साल से ज्यादा का समय हो गया है. यह स्मार्ट साइकिल अभी भी धूल खा रही हैं. शहर के 50 स्टेशनों पर रखी स्मार्ट साइकिल पूरी तरह कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं. 95 फ़ीसदी स्मार्ट साइकिल में जंग लग चुका है. अब यह सड़क पर चलने लायक नहीं बची हैं. स्मार्ट सिटी ग्वालियर ने लगभग 200 करोड़ रुपए से ज्यादा पानी में बहा दिए.
स्मार्ट सिटी का दावा, फिर से शुरू कर रहा है प्रोजेक्ट
पिछले 3 साल से 500 स्मार्ट साइकिल सड़कों पर धूल खा रही हैं. स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह (bike sharing project failed gwalior) का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण यह प्रोजेक्ट पूरी तरह बंद हो गया था. जो लोग सुबह शाम अपने दफ्तरों के लिए साइकिल का उपयोग करते थे, वह दफ्तर ही पूरी तरह बंद हो गए. स्मार्ट सिटी प्रशासन फिर से इस प्रोजेक्ट को पटरी पर लाने की तैयारी कर रहा है. अब स्मार्ट सिटी के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि 95 फ़ीसदी साइकिल कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं.अब फिर से स्मार्ट साइकिल खरीदनी होगी, जिसमें फिर से करोड़ों रुपए खर्च होंगे.