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ग्वालियर नगर-निगम ने वसूला रिकॉर्ड राजस्व, दूसरे शहर भी मांग रहे टिप्स

ग्वालियर नगर-निगम ने इस बार सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त किया है, जो निगम के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अंतिम 14 दिन कोरोना वायरस की वजह से वसूली पूरी नहीं हो पाई. वरना ग्वालियर नगर-निगम ने 65 करोड़ तक राजस्व जमा करने की योजना थी.

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नगर-निगम ग्वालियर
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Published : May 2, 2020, 5:29 PM IST

ग्वालियर। किसी भी शहर के विकास के लिए आर्थिक मजबूती बहुत जरूरी होती है. जिसके लिए यह सबसे ज्यादा जरुरी होता है कि उस शहर का राजस्व कितना है. राजस्व वसूलने के मामले में ग्वालियर नगर निगम प्रदेश का रोल मॉडल बन सकता है. यहां 17 मार्च तक नगर निगम 58 करोड़ से भी ज्यादा का राजस्व प्राप्त कर चुका है.

ग्वालियर नगर-निगम ने वसूला रिकॉर्ड राजस्व

ग्वालियर नगर-निगम ने डोर टू डोर कलेक्शन के हिसाब से 30,000 से अधिक संपत्ति मालिकों को फोन कॉल और व्यापक प्रचार के माध्यम से लोगों को संपत्ति कर जमा करने के प्रेरित किया. बिना कागजी झंझट और तत्काल टैक्स रसीद के फोकस प्लान की बदौलत ग्वालियर नगर निगम लॉकडाउन से पहले ही रिकॉर्ड संपत्ति कर वसूल कर चुका था. अंतिम 14 दिन कोरोना वायरस की वजह से वसूली पूरी नहीं हो पाई. वरना ग्वालियर नगर-निगम ने 65 करोड़ तक राजस्व जमा करने की योजना थी.

इस बार की टैक्स वसूली ग्वालियर नगर निगम के इतिहास में सबसे अधिक है. इस बार नए वित्त वर्ष के लिए 80 करोड़ रुपए का टारगेट रखा है. ग्वालियर के अफसरों की इस नीति के बारे में दूसरे जिले के अफसर भी जानकारी ले रहे हैं. ताकि वे भी अपने निगम का राजस्व बढ़ा सके. ग्वालियर नगर-निगम का ये काम सटीक रणनीति की वजह से पूरा हुआ.

सबसे पहले किसी को दिए गए टारगेट की हर सप्ताह समीक्षा की गई और पिछले वर्ष की संपत्ति के अलावा निजी संपत्तियों को जोड़ने का भी प्लान बनाया गया. इस प्लान से सबसे ज्यादा फायदा यह हुआ कि पिछले साल लगभग 81 हजार 700 के लगभग संपत्ति थी. जो इस साल एक लाख से अधिक हो गई है.

ग्वालियर नगर-निगम ने इस तरह बढ़ाई राजस्व वसूली

  • 2015 -16 में 30 करोड़ रुपये
  • 2016 -17 में 50.44 करोड़ रुपये
  • 2017 -18 में 51.79 करोड रुपए
  • 2018 -19 में 44.45 करोड़ रुपए
  • 2019-20 में 58.75 करोड़ रुपये
  • 2020- 2021 के लिए 80 करोड़ का टारगेट रखा गया है.

शहर में 2 लाख 24 हजार के लगभग संपत्तियां हैं. इसमें 70 हजार प्रॉपर्टी पर राजस्व शासन की ऑफिस बंगले और स्कूल शामिल हैं. जिन से प्रॉपर्टी टैक्स नहीं लिया जाता, कुछ संपत्तियां ऐसी हैं जो सरकारी भूमि पर बनी हैं. इसमें भी टैक्स नहीं लिया जाता. ऐसे में प्रॉपर्टी टैक्स की रिकॉर्ड वसूली मध्य प्रदेश के अंदर रोल मॉडल बन कर उभरी है.

ग्वालियर। किसी भी शहर के विकास के लिए आर्थिक मजबूती बहुत जरूरी होती है. जिसके लिए यह सबसे ज्यादा जरुरी होता है कि उस शहर का राजस्व कितना है. राजस्व वसूलने के मामले में ग्वालियर नगर निगम प्रदेश का रोल मॉडल बन सकता है. यहां 17 मार्च तक नगर निगम 58 करोड़ से भी ज्यादा का राजस्व प्राप्त कर चुका है.

ग्वालियर नगर-निगम ने वसूला रिकॉर्ड राजस्व

ग्वालियर नगर-निगम ने डोर टू डोर कलेक्शन के हिसाब से 30,000 से अधिक संपत्ति मालिकों को फोन कॉल और व्यापक प्रचार के माध्यम से लोगों को संपत्ति कर जमा करने के प्रेरित किया. बिना कागजी झंझट और तत्काल टैक्स रसीद के फोकस प्लान की बदौलत ग्वालियर नगर निगम लॉकडाउन से पहले ही रिकॉर्ड संपत्ति कर वसूल कर चुका था. अंतिम 14 दिन कोरोना वायरस की वजह से वसूली पूरी नहीं हो पाई. वरना ग्वालियर नगर-निगम ने 65 करोड़ तक राजस्व जमा करने की योजना थी.

इस बार की टैक्स वसूली ग्वालियर नगर निगम के इतिहास में सबसे अधिक है. इस बार नए वित्त वर्ष के लिए 80 करोड़ रुपए का टारगेट रखा है. ग्वालियर के अफसरों की इस नीति के बारे में दूसरे जिले के अफसर भी जानकारी ले रहे हैं. ताकि वे भी अपने निगम का राजस्व बढ़ा सके. ग्वालियर नगर-निगम का ये काम सटीक रणनीति की वजह से पूरा हुआ.

सबसे पहले किसी को दिए गए टारगेट की हर सप्ताह समीक्षा की गई और पिछले वर्ष की संपत्ति के अलावा निजी संपत्तियों को जोड़ने का भी प्लान बनाया गया. इस प्लान से सबसे ज्यादा फायदा यह हुआ कि पिछले साल लगभग 81 हजार 700 के लगभग संपत्ति थी. जो इस साल एक लाख से अधिक हो गई है.

ग्वालियर नगर-निगम ने इस तरह बढ़ाई राजस्व वसूली

  • 2015 -16 में 30 करोड़ रुपये
  • 2016 -17 में 50.44 करोड़ रुपये
  • 2017 -18 में 51.79 करोड रुपए
  • 2018 -19 में 44.45 करोड़ रुपए
  • 2019-20 में 58.75 करोड़ रुपये
  • 2020- 2021 के लिए 80 करोड़ का टारगेट रखा गया है.

शहर में 2 लाख 24 हजार के लगभग संपत्तियां हैं. इसमें 70 हजार प्रॉपर्टी पर राजस्व शासन की ऑफिस बंगले और स्कूल शामिल हैं. जिन से प्रॉपर्टी टैक्स नहीं लिया जाता, कुछ संपत्तियां ऐसी हैं जो सरकारी भूमि पर बनी हैं. इसमें भी टैक्स नहीं लिया जाता. ऐसे में प्रॉपर्टी टैक्स की रिकॉर्ड वसूली मध्य प्रदेश के अंदर रोल मॉडल बन कर उभरी है.

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