ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय हमेशा अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहता है. हालात यह है कि रोज आए दिन दर्जनभर छात्र अपनी समस्याओं को लेकर जीवाजी विश्वविद्यालय पहुंचते हैं, लेकिन महीनों तक भटकने के बावजूद भी उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है. अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 6 महीने में 1000 से अधिक छात्रों ने सीएम हेल्पलाइन में अपनी समस्या का निराकरण के लिए शिकायत की है और यह सभी शिकायतें अभी भी पेंडिंग पड़ी हैं. इस मामले को लेकर जीवाजी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अरुण सिंह चौहान का कहना है कि शिकायतों की पेंडेंसी के लिए आज बैठक बुलाई है और संभवत जल्द ही सभी समस्याओं का निराकरण कर दिया जाएगा. Gwalior Jiwaji University
क्या हैं शिकायतें: सीएम हेल्पलाइन में ज्यादातर शिकायतें रिजल्ट और परीक्षाओं से जुड़ी हैं, शिकायत करने वाले कुछ छात्र ऐसे हैं जिनका रिजल्ट किसी कारणवश घोषित ही नहीं किया गया. इन छात्रों ने पहले जीवाजी विश्वविद्यालय के अफसरों से शिकायत की, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई तो शिकायत सीएम हेल्पलाइन में कर दी. अब जीवाजी विश्वविद्यालय इन शिकायतों के निराकरण में लगा है, लेकिन रिकार्ड न मिलने की वजह से रिजल्ट घोषित नहीं किया जा रहा है. शिकायत करने वाले कुछ विद्यार्थियों ने कॉलेज से मार्कसीट न मिलने की शिकायत भी की है, अब इनकी मार्कशीट भी बनाई जा रही है. कुछ विद्यार्थी से यह भी कहा गया है कि वह कॉलेज में लिखवा लाएं उन्हें मार्कशीट नहीं मिली है, कॉलेज प्रबंधन लिखकर नहीं देता है तो यह विद्यार्थी और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर रहे हैं.
राजनीतिक वर्चस्व से जुड़े विश्वविघालय के अधिकारी: जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन इस समय समय पर विद्यार्थियों की शिकायत निपटाने के लिए इंतजाम करने के आश्वासन भी दिए थे, लेकिन व्यवस्थाएं नहीं हो पाई और मामले लगातार सीएम हेल्पलाइन में शिकायतें लगातार बढ़ती चली गई. शिकायत लेकर पहुंच रहे छात्रों का कहना है कि कि उनकी समस्या का कोई निराकरण नहीं हो पा रहा है और ना ही जीवाजी विश्वविद्यालय में कोई उनकी सुनने वाला है. इसलिए अंतिम सहारा उनका सीएम हेल्पलाइन होता है, लेकिन इसके बावजूद भी उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है. वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस भी लगातार जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन पर आरोप लगा रही है, उनका कहना है कि जीवाजी विश्वविद्यालय में ज्यादातर अधिकारी राजनीतिक वर्चस्व से जुड़े हुए हैं और सरकार से सांठगांठ कर वह अपनी पदोन्नति करा रहे हैं. ऐसे में जीवाजी विश्वविद्यालय की शिक्षा पद्धति पर बुरा असर देखने को मिल रहा है.