भिंड। मध्यप्रदेश के छात्र-छात्राएँ कड़ी मेहनत और लगन से परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, ताकि अव्वल नतीजों से उनका अच्छा भविष्य तय हो सके. लेकिन बीते कुछ वर्षों में शिक्षा का क्षेत्र भी माफियाों की चपेट में आ चुका है. नकल रोकने के तमाम प्रयास माफियाओं के आगे बोने साबित हो रहे हैं. इंदौर जैसे महानगर में भी नकलचियों ने सबको चौंकाया और अब हाल ही में प्रदेश के चम्बल संभाग के भिंड जिले में स्नातक परीक्षाओं के दौरान सरकारी कॉलेज में 70 से ज्यादा छात्र सामूहिक रूप से नकल करते पाए गए. जिसने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
कलेक्टर इलैया राजा टी के प्रयासों से लगी लगाम: मध्य प्रदेश के ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में नकल माफिया वर्षों से हावी हैं. यहाँ तो नकल माफियाओं द्वारा छात्रों को परीक्षाओं में पास कराने को लेकर ठेके लेने की भी प्रथा थी. यही वजह रही कि इस अंचल के भिंड और मुरैना नकल के लिए बदनाम रहे. यूपी और राजस्थान से कई छात्र पास होने की चाह में भिंड के स्कूलों में दाखिला लेते थे. लेकिन कुछ वर्षों पूर्व भिंड में पदस्थ हुए तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी के प्रयास से ना सिर्फ नकल पर लगाम कसी. बल्कि तीन साल तक इस क्षेत्र में नकल का नामों निशान नही रहा और यहाँ की छवि पूरी तरह बदला गई. लेकिन तत्कालीन कलेक्टर के जाने के बाद एक बार फिर नकल माफियाओं ने ग्वालियर-चम्बल अंचल में फिर से जड़े जमाना शुरू कर दिया हैं.
स्कूल से लेकर चिकित्सा क्षेत्र में नकलची: स्कूल से लेकर चिकित्सा शिक्षा और विश्वविद्यालय तक की परीक्षा आज संदेह के घेरे में हैं. जिसकी बड़ी वजह सामूहिक नकल की सामने आती तस्वीरें हैं. माफिया ना सिर्फ छात्रों की नीव खराब कर रहे हैं, बल्कि उनका भविष्य अंधकार में धकेल रहे हैं. बोर्ड परीक्षाओं के दौरान भिंड में सामूहिक नकल की सीधी तस्वीरें सामने आयी थीं. इसके बाद मुरैना, भिंड और ग्वालियर में नर्सिंग परीक्षाओं में सामूहिक नकल के मामले तो मानों डरा देने वाले थे. क्योंकि भविष्य में यही नकलची छात्र लोगों का इलाज करेंगे या कहें जान से खिलवाड़ करेंगे. हालाँकि बड़ी बात यह है कि अब तक नकल मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आयी है.
सरकारी कॉलेज में नकल की तस्वीरों के बाद हड़कम्प: ताजा घटना की बात करें तो, भिंड जिले के लहार क्षेत्र में बने शासकीय कॉलेज का एक वीडियो दो दिन पहले वायरल हुआ, जिसमें परीक्षा हॉल में बैठे कई छात्र एक साथ अपनी अपनी टेबल पर गाइड और मोबाइल रख कर प्रश्नों के उत्तर लिख रहे थे. इस घटना को अंदर के किसी शख्स ने अपने मोबाइल फोन में कैद कर लिया. वीडियो वायरल होते ही प्रशासन में हड़कम्प मच गया. जिला प्रशासन ने इस वीडियो के आधार पर लहार एसडीएम से जाँच करायी, तो 26 अप्रैल को जीवाजी विश्वविद्यालय के बीए प्रथम वर्ष के द्वितीय पेपर के दौरान ही परीक्षा केंद्र के ऊपरी हॉल में नकल की पुष्टि हुई. इस हाल में करीब 80 छात्र-छात्राएँ परीक्षा दे रहे थे. मामले में केंद्राध्यक्ष, प्रभारी प्राचार्य और 4 ड्यूटी शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए चम्बल कमिश्नर को अनुशंसा की गयी है.
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने लिया लहार मामले में संज्ञान: नकल मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के रजिस्ट्रार डॉ. सुशील मंडेरिया ने संज्ञान लिया है. उन्होंने कहा कि, यह गम्भीर विषय हमारे संज्ञान में आया है और वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दे दी गयी है. हम नकल पर अभी तक नकेल केस हुए थे, ये पहली बार है जब नकल की बात सामने आई हैं. मामले में प्रबंधन के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाएँगे. खासकर ऐसे क्षेत्रों में नकल रोकने के लिए प्रभारी अब केंद्रों पर अब्जर्वर बैठा दें और हर हाल में साफ सुथरी परीक्षाएँ कराएँ. साथ ही कहा कि भिंड के मामले में शासन को अवगत कराया जा रहा है. जिससे जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों पर नियमानुसार कार्रवाई की जा सके.
पूरे प्रदेश में फैली नकल माफियाओं की जड़ें: यह पहली बार नहीं है, जब मध्यप्रदेश में इस तरह से नकल की तस्वीरें सामने आयी हो. प्रदेश में इसी वर्ष 2022 में अब तक अलग-अलग जिलों में सामूहिक नकल के मामले देखने को मिले हैं. जिनमें देश के सबसे प्रख्यात शहर इंदौर का नाम भी शामिल है. नकल में शामिल मामलों के इस वर्ष सामने आए आँकड़ो पर नजर डालें-
- 5 फरवरी 2022 एमपीबोर्ड हाईस्कूल परीक्षा: भिंड जिले के जलपुरा स्थित MP डीएड कॉलेज परीक्षा केंद्र में अंग्रेजी के पेपर में समय समाप्ति से 10 मिनट पहले ज्यादातर छात्र बाहर आ गए. कुछ रुके, जिन्हें लिखी हुईं उत्तर पुस्तिकाएं बाँटकर नकल कराई गई. घटना परीक्षा केंद्र पर लगे कैमरे में कैद हो गई. पड़ताल में नकल की पुष्टि हुई.
- 1 अप्रैल 2022 नर्सिंग परीक्षा में सामूहिक नकल: एमपी के मुरैना जिला अस्पताल में नर्सिंग की परीक्षा में दर्जनों छात्र अस्पताल के फर्श एवं गैलरी में, कई छात्र प्रतीक्षालय में और कई छात्र अस्पताल के पार्किंग में खड़े दोपहिया वाहनों पर बैठकर परीक्षा की कापी लिखते नजर आए थे. जिसका वीडियो वायरल हुआ, प्रशासन ने जाँच के आदेश दिए.
- 5 अप्रैल 2022 ग्वालियर में नर्सिंग परीक्षा: ग्वालियर में सामूहिक नकल का खुलासा, जयारोग्य अस्पताल में नर्सिंग की प्रायोगिक परीक्षाएं हुईं. नर्सिंग छात्र सामूहिक रुप से नकल करते हुए दिखाई दिए थे. नकल करते छात्रों का वीडियो वायरल हुआ तो मामले में जाँच के भी आदेश हुए.
- 11 अप्रैल 2022 इंदौर में डीएवीवी परीक्षाएं: इंदौर के राउ स्थित निजी कॉलेज (लिबरल कॉलेज) में डीएवीवी की बीकॉम द्वितीय वर्ष की परीक्षा, ढ़ाबा और टोल कर्मचारी शिक्षक बनकर परीक्षा हॉल के अंदर ड्यूटी करते पाए गए. ड्यूटी करते फर्जी शिक्षकों का वीडियो वायरल हुआ, शिकायत डीएवीवी के रजिस्ट्रार के पास पहुँची थी. जानकारी यह भी है कि कॉलेज पहले भी नकल के चलते ब्लैक लिस्टेड हुआ था, फिर भी परीक्षा केंद्र बनाया गया.
- 5 मई 2022 भिंड शासकीय कन्या महाविद्यालय में नकल: बीएससी नर्सिंग परीक्षा चतुर्थ वर्ष, गवर्मेंट गर्ल्स कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाया गया. ड्यूटी कर रहे इंविजिलेटर टहलते और बात करते दिखे. जिसका फायदा उठाकर छात्र सामूहिक रूप से एक-दूसरे से बात करते और परीक्षा की उत्तरपुस्तिका दिखाते और झांककर नकल करते नजर आए. ये सारी गतिविधियाँ परीक्षा कक्षों में ही लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई.
- 26 जुलाई 2022: भिंड के लहार स्थित शासकीय महाविद्यालय में जीवाजी विश्वविद्यालय की स्नातक परीक्षा में करीब 80 छात्र-छात्राएँ सामूहिक नकल करते कैमरे में कैद हुए. सभी छात्रों के पास गाइड, नकल पर्चियाँ और मोबाइल थे. नकल करते परीक्षार्थी वीडियो में कैद हुए, वीडियो वायरल होने पर मामले की जाँच में सामूहिक नकल की पुष्टि हुई.
- 27 जुलाई 2022 कक्षा 5वीं की पूरक परीक्षा: अमरपाटन (सीहोर) में परीक्षा केंद्र शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संपन्न कराई जा रही थी. परीक्षा के दौरान ड्यूटी पर तैनात प्राथमिक शिक्षिका द्वारा बोर्ड पर चित्र बनाकर नकल कराई जा रही थी. छात्रों को लाइन में बैठने की जगह सामूहिक रुप से इकट्ठा बैठा कर सामूहिक रूप से नकल को अंजाम दिया जा रहा था. तस्वीरें वायरल होने पर खुलासा हुआ.
कुछ आँकड़े जिनसे नजर आता है कार्रवाई का असर: इन मामलों से यह तो साफ है कि नकल माफियाओं की जड़ें पूरे प्रदेश में फैली हुई हैं. हालाँकि अगर सोच लिया जाए तो कुछ नामुमकिन भी नहीं है. जिसकी मिसाल भी चम्बल में देखने को मिलती है. भिंड में तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा के रहते तीन साल तक नकल माफिया नाखून छीलते रह गए थे. इसके बाद राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आने वाले परीक्षार्थियों का प्रवेश लेना बंद हुआ. यही कारण है कि भिंड में वर्ष 2014-15 में दसवीं में परीक्षार्थियों की संख्या 52 हजार 456 और हायर सेकेंडरी स्कूल में 35 हजार 218 थी. वहीं परीक्षार्थियों की संख्या (वर्ष 2021-22) 10वीं में 24 हजार 164 और 12वीं में 14 हजार 461 रह गई. मुरैना में भी वर्ष 2016-17 में दसवीं में परीक्षार्थियों की संख्या 36 हजार 598 और बारहवीं में 27 हजार 752 थी. जबकि सेशन 2021-22 में दसवीं में 33 हजार 128 और बारहवीं में 21 हजार 48 परीक्षार्थी रजिस्टर हुए थे.
नकल माफिया चंद रुपयों के लिए कर रहे छात्रों के भविष्य से खिलवाड़: नकल माफिया की बढ़ती पैठ का ही नतीजा है कि ग्वालियर-चंबल अंचल सहित प्रदेश में हजारों की संख्या में फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे हैं. आधे से ज्यादा कॉलेज तो ऐसे हैं, जिनकी न तो बिल्डिंग है और न ही कहीं कक्षाएं संचालित होती हैं. अंचल में देश के अलग-अलग राज्यों से छात्र नर्सिंग कोर्स करने के लिए आते हैं और इन छात्रों से पास करने का ठेका लिया जाता है. अभी हाल में ही नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े को लेकर हाईकोर्ट ने भी सख्त नाराजगी जाहिर की थी. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि, जब इस तरह नकल से पास हुए छात्र भविष्य में चाहे चिकित्सा क्षेत्र हो या अन्य क्षेत्र. जहां भी जाएँगे, कितना सफल होंगे. नकल माफिया चंद रुपयों के लिए इन छात्रों के जीवन और करियर से खिलवाड़ करने में लगे हैं और कोई ठोस कार्रवाई ना होने से उनके हौंसले और भी बुलंद होते जा रहे हैं.