ग्वालियर। भगवान कोटेश्वर महादेव का मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. यहां श्रावण मास में भक्तों की भीड़ जुटती है. भगवान शिव का ये मंदिर इस बात का उदाहरण है कि पत्थर में भी भगवान होते हैं, इस मंदिर का रोचक इतिहास इस बात का खुद गवाह है क्योंकि यहां मुगल शासक औरंगजेब को भी हार का सामना करना पड़ा था.
कहा जाता है कि जब मुगल शासक औरंगजेब ने ग्वालियर के दुर्ग पर कब्जा किया, तब किले के ऊपर बने भगवान शिव के मंदिर को उसने तुड़वा दिया और शिवलिंग को किले से ये कहते हुए फेंकवा दिया कि अगर पत्थर में भगवान होते होंगे तो वो खुद व खुद स्थापित हो जाएंगे. शिवलिंग नीचे गिरा तो औरंगजेब ने उसे वहां से भी हटाने की कोशिश की, लेकिन औरंगजेब के सिपाही पूरी ताकत लगाकर भी शिवलिंग को टस से मस नहीं कर सके. बाद में शिवलिंग के चारों ओर नागों ने डेरा डाल लिया. जिसके बाद औरंगजेब वहां से डरकर भाग निकला. बाद में सिंधिया रियासत के राजाओं ने यहां मंदिर का निर्माण कराया.
किले से शिवलिंग गिरने के कारण इस मंदिर का नाम कोटेश्वर पड़ गया. यहां भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर भोलेनाथ की शरण में पहुंचते हैं, लेकिन श्रावण के महीने में यहां काफी तादाद में भीड़ देखी जाती है, इस समय कोरोना वायरस की वजह से श्रावण के पहले सोमवार को मंदिर में भीड़ कम देखने को मिली क्योंकि जिला प्रशासन ने शहर में लॉकडाउन कर रखा है.