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उम्रकैद काट रहे आरोपियों को कोर्ट ने किया बाइज्जत बरी, Investigating Officer पर चलेगा केस - जांच अधिकारी के खिलाफ चलेगा केस

किडनैपिंग (Kidnaping Case) के मामले में 12 साल जेल में बंद ( life imprisonment ) आरोपियों को कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है. साथ ही दोनों को तीन-तीन लाख का मुआवजा देने के भी आदेश दिए हैं. फर्जी कहानी गढ़ने वाले जांच अधिकारी (Investigating Officer )पर भी केस चलाने के आदेश दिए हैं.

high court decision
हाईकोर्ट का फैसला
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Published : Nov 10, 2021, 6:57 PM IST

Updated : Nov 10, 2021, 7:54 PM IST

ग्वालियर। अपहरण के मामले में 12 साल से जेल में बंद सजा काट ( life imprisonment ) रहे दो आरोपियों को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बाइज्जत बरी कर दिया है. इतना ही नहीं दोषपूर्ण विवेचना के लिए पुलिस अधिकारियों (Investigating Officer) के खिलाफ मामला दर्ज करने के भी निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही निर्दोष होने के बावजूद (Kidnaping Case)सजा काटने पर 3-3 लाख रुपए मुआवजे के रूप में इन लोगों को दिए जाएंगे.

court acquitted accused serving life imprisonment: आजीवन कारावास रद्द, आरोपी बाइज्जत बरी

वन विभाग के अधिकारी गोविंद सिंह का अपहरण(Kidnaping Case) हुआ था. इस मामले में हरनाम और हरकंठ को ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था. इस मामले में जगदीश सोनी को भी 7 साल की सजा हुई थी. हाई कोर्ट ने तत्कालीन पुलिस अधिकारी दिलीप यादव चरण लाल उईके के साथ गोविंद सिंह, उसके बेटे विजय सिंह और बबलू यादव के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं .

Hamidia Hospital Fire Accident: हमीदिया अस्पताल अग्निकांड में बड़ा एक्शन, 4 अफसरों पर गिरी गाज

court acquitted accused serving life imprisonment: गलत जांच के लिए पुलिस अधिकारियों पर केस दर्ज

गोविंद सिंह का 24 फरवरी 2009 को शिवपुरी में अपहरण हुआ था .यह लोग एक भंडारे में खाना खाकर वापस लौट रहे थे. विजय सिंह को उसके परिजन से 10 लाख रुपए फिरौती मांगने के लिए मजबूर किया गया था. पुलिस ने जगदीश से पास से फिरौती के रूप में 1.90 लाख रुपए भी बरामद करने का दावा किया था. 11 मार्च 2010 को ट्रायल कोर्ट ने हरकंठ और हरनाम सिंह को आजीवन कारावास( life imprisonment ) की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने माना है कि(Kidnaping Case) पुलिस का जप्त किया गया सामान भी संदिग्ध था.इस मामले में 2010 से आजीवन कारावास की सजा होने के बाद से हरनाम और हरकंठ जेल में हैं .जबकि जगदीश कई महीने जेल में रहने के बाद इन दिनों जमानत पर बाहर है.

डेंगू पर सरकार को नोटिस

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने डेंगू से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक को इस महामारी को रोकने और मरीजों के इलाज के संबंध में जानकारी देने के लिए शुक्रवार को तलब किया है. याचिकाकर्ता वकील का यह भी कहना है कि इस बार अब तक 2000 से ज्यादा मामले डेंगू के आ चुके हैं. अधिकांश मामलों में बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं .अस्पतालों में डेंगू के उपचार की उचित व्यवस्था नहीं है. प्रशासन भी डेंगू के फैलाव को रोकने में नाकाम साबित हुआ है. हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों को तलब किया है. अब इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी.

जेल में काम करने का मेहनताना दो

सजा की अवधि के दौरान जेल में किये गये कार्य का मेहनताना नहीं दिये जाने के खिलाफ जबलपुर जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया था. परिवाद की सुनवाई करते हुए जेएमएफसी अदिती शुक्ला ने सिविल लाइन थाना प्रभारी को आवश्यक रूप से जांच प्रतिवेदन पेश करने निर्देश जारी किये हैं.परिवाद पर अगली सुनवाई 21 दिसम्बर को निर्धारित की गयी है. अजीत सिंह आनंद की तरफ से दायर किये गये परिवाद में कहा गया था कि आर्म्स एक्ट के अपराध में न्यायालय ने उसे 12 जुलाई 2019 को एक साल के कठोर कारावास की सजा से दण्डित किया था. सजा से दण्डित किये जाने के कारण उसे जबलपुर केन्द्रीय जेल में निरूध्द किया गया था. केन्द्रीय जेल में लगभग सवा तीन महीने रहने के बाद उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. परिवाद में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि जेल में हने के दौरान किये गये कार्य का मानदेय जेल अधिकारियों ने नहीं दिया.

रोक बरकरार

मप्र हाईकोर्ट ने डुमना के आसपास के क्षेत्र में प्रस्तावित स्पोट्र्स सिटी निर्माण संबंधी मामले में निर्माण कार्यो पर लगाई गई रोक बरकरार रखी है. युगलपीठ के समक्ष सरकार की ओर से जवाब के लिये समय की राहत चाही गई, जिसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने जमीन हस्तातंरण और अन्य दस्तावेजों पर पूर्व आदेश को यथावत रखते हुए मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है. मामला 1997 में गढ़ा गौड़वाना संरक्षण समिति और अन्य की ओर से दायर किये गये थे. जिसमें कहा गया था कि जबलपुर के 37 तालाबों में से सात विलुप्त हो गये हैं. दस जल तालाब व्यक्तिगत हैं तथा 20 तालाब के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की है. सरकार द्वारा सिर्फ 14 जलस्त्रोत के लिए राशि का आवंटन किया गया था.हाईकोर्ट ने साल सितम्बर 2014 में एस्पो को तालाब संरक्षण के लिए निर्देशित किया था. युगलपीठ को बताया गया कि यह योजनाएं अभी शुरु नहीं हुई हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इन योजनाओं के लिए दूसरी जगह जमीन प्रदान की जाये.

डेंगू पर मीटिंग में क्या हुआ

डेंगू के बढ़ते प्रकोप और संक्रमण के कारण मृत्यु होने पर पीड़ित परिजनों को मुआवजा दिये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में तीन जनहित याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि डेंगू की रोकधाम के लिए नगर निगम अधिकारियों के साथ याचिकाकर्ता की बैठक आयोजित की गयी है. युगलपीठ ने बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार डेंगू की रोकधाम करने और न्यायालय के समक्ष कार्यवाही रिपोर्ट करने के निर्देश जारी किये हैं. याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है.

पहाड़ियों पर अतिक्रमण पर रिपोर्ट दो

जबलपुर हाईकोर्ट में शहर की मदन महल सहित अन्य पहाड़ियों पर मौजूद अतिक्रमणों संबंधी मामलों में बुधवार को सरकार की ओर से आदेशों के परिपालन के लिये समय की राहत चाही गई. जिस पर आवेदक की ओर से दलील दी गई कि सरकार हर मर्तबा समय लेती जा रही है. अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही. इतना ही नहीं शहर की पहाड़ियों का अभी तक सर्वे तक नहीं किया गया. युगलपीठ ने सरकार को अगली सुनवाई पर कम्पलाईज रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की है.

ग्वालियर। अपहरण के मामले में 12 साल से जेल में बंद सजा काट ( life imprisonment ) रहे दो आरोपियों को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बाइज्जत बरी कर दिया है. इतना ही नहीं दोषपूर्ण विवेचना के लिए पुलिस अधिकारियों (Investigating Officer) के खिलाफ मामला दर्ज करने के भी निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही निर्दोष होने के बावजूद (Kidnaping Case)सजा काटने पर 3-3 लाख रुपए मुआवजे के रूप में इन लोगों को दिए जाएंगे.

court acquitted accused serving life imprisonment: आजीवन कारावास रद्द, आरोपी बाइज्जत बरी

वन विभाग के अधिकारी गोविंद सिंह का अपहरण(Kidnaping Case) हुआ था. इस मामले में हरनाम और हरकंठ को ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था. इस मामले में जगदीश सोनी को भी 7 साल की सजा हुई थी. हाई कोर्ट ने तत्कालीन पुलिस अधिकारी दिलीप यादव चरण लाल उईके के साथ गोविंद सिंह, उसके बेटे विजय सिंह और बबलू यादव के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं .

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court acquitted accused serving life imprisonment: गलत जांच के लिए पुलिस अधिकारियों पर केस दर्ज

गोविंद सिंह का 24 फरवरी 2009 को शिवपुरी में अपहरण हुआ था .यह लोग एक भंडारे में खाना खाकर वापस लौट रहे थे. विजय सिंह को उसके परिजन से 10 लाख रुपए फिरौती मांगने के लिए मजबूर किया गया था. पुलिस ने जगदीश से पास से फिरौती के रूप में 1.90 लाख रुपए भी बरामद करने का दावा किया था. 11 मार्च 2010 को ट्रायल कोर्ट ने हरकंठ और हरनाम सिंह को आजीवन कारावास( life imprisonment ) की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने माना है कि(Kidnaping Case) पुलिस का जप्त किया गया सामान भी संदिग्ध था.इस मामले में 2010 से आजीवन कारावास की सजा होने के बाद से हरनाम और हरकंठ जेल में हैं .जबकि जगदीश कई महीने जेल में रहने के बाद इन दिनों जमानत पर बाहर है.

डेंगू पर सरकार को नोटिस

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने डेंगू से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक को इस महामारी को रोकने और मरीजों के इलाज के संबंध में जानकारी देने के लिए शुक्रवार को तलब किया है. याचिकाकर्ता वकील का यह भी कहना है कि इस बार अब तक 2000 से ज्यादा मामले डेंगू के आ चुके हैं. अधिकांश मामलों में बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं .अस्पतालों में डेंगू के उपचार की उचित व्यवस्था नहीं है. प्रशासन भी डेंगू के फैलाव को रोकने में नाकाम साबित हुआ है. हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों को तलब किया है. अब इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी.

जेल में काम करने का मेहनताना दो

सजा की अवधि के दौरान जेल में किये गये कार्य का मेहनताना नहीं दिये जाने के खिलाफ जबलपुर जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया था. परिवाद की सुनवाई करते हुए जेएमएफसी अदिती शुक्ला ने सिविल लाइन थाना प्रभारी को आवश्यक रूप से जांच प्रतिवेदन पेश करने निर्देश जारी किये हैं.परिवाद पर अगली सुनवाई 21 दिसम्बर को निर्धारित की गयी है. अजीत सिंह आनंद की तरफ से दायर किये गये परिवाद में कहा गया था कि आर्म्स एक्ट के अपराध में न्यायालय ने उसे 12 जुलाई 2019 को एक साल के कठोर कारावास की सजा से दण्डित किया था. सजा से दण्डित किये जाने के कारण उसे जबलपुर केन्द्रीय जेल में निरूध्द किया गया था. केन्द्रीय जेल में लगभग सवा तीन महीने रहने के बाद उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. परिवाद में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि जेल में हने के दौरान किये गये कार्य का मानदेय जेल अधिकारियों ने नहीं दिया.

रोक बरकरार

मप्र हाईकोर्ट ने डुमना के आसपास के क्षेत्र में प्रस्तावित स्पोट्र्स सिटी निर्माण संबंधी मामले में निर्माण कार्यो पर लगाई गई रोक बरकरार रखी है. युगलपीठ के समक्ष सरकार की ओर से जवाब के लिये समय की राहत चाही गई, जिसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने जमीन हस्तातंरण और अन्य दस्तावेजों पर पूर्व आदेश को यथावत रखते हुए मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है. मामला 1997 में गढ़ा गौड़वाना संरक्षण समिति और अन्य की ओर से दायर किये गये थे. जिसमें कहा गया था कि जबलपुर के 37 तालाबों में से सात विलुप्त हो गये हैं. दस जल तालाब व्यक्तिगत हैं तथा 20 तालाब के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की है. सरकार द्वारा सिर्फ 14 जलस्त्रोत के लिए राशि का आवंटन किया गया था.हाईकोर्ट ने साल सितम्बर 2014 में एस्पो को तालाब संरक्षण के लिए निर्देशित किया था. युगलपीठ को बताया गया कि यह योजनाएं अभी शुरु नहीं हुई हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इन योजनाओं के लिए दूसरी जगह जमीन प्रदान की जाये.

डेंगू पर मीटिंग में क्या हुआ

डेंगू के बढ़ते प्रकोप और संक्रमण के कारण मृत्यु होने पर पीड़ित परिजनों को मुआवजा दिये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में तीन जनहित याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि डेंगू की रोकधाम के लिए नगर निगम अधिकारियों के साथ याचिकाकर्ता की बैठक आयोजित की गयी है. युगलपीठ ने बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार डेंगू की रोकधाम करने और न्यायालय के समक्ष कार्यवाही रिपोर्ट करने के निर्देश जारी किये हैं. याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है.

पहाड़ियों पर अतिक्रमण पर रिपोर्ट दो

जबलपुर हाईकोर्ट में शहर की मदन महल सहित अन्य पहाड़ियों पर मौजूद अतिक्रमणों संबंधी मामलों में बुधवार को सरकार की ओर से आदेशों के परिपालन के लिये समय की राहत चाही गई. जिस पर आवेदक की ओर से दलील दी गई कि सरकार हर मर्तबा समय लेती जा रही है. अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही. इतना ही नहीं शहर की पहाड़ियों का अभी तक सर्वे तक नहीं किया गया. युगलपीठ ने सरकार को अगली सुनवाई पर कम्पलाईज रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की है.

Last Updated : Nov 10, 2021, 7:54 PM IST
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