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भारत का संविधान: ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में डिजिटल टच स्कीन पर पढ़ सकते हैं, जानें कैसे

मध्य प्रदेश में केवल एक ही जगह ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में आपको हस्तलिखित भारत के संविधान (constitution of india) की मूलप्रति देखने को मिल सकती है. जिसे अब (read on a digital touch screen) आप डिजिटल टच स्क्रीन पर भी पढ़ सकेंगे.

constitution of india
ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में है संविधान की मूल प्रति
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Published : Jan 21, 2022, 7:56 PM IST

ग्वालियर। इस साल पूरा देश अपना 73 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. 26 जनवरी 1950 को ही भारतीय संविधान (constitution of india) को आत्मसात किया गया था. संविधान के बारे में सब ने सुना है लेकिन बहुत ही कम लोग होंगे, जिन्होंने संविधान की मूल प्रति को देखा है. अगर आपके मन में भी संविधान की मूल प्रति देखने की उत्सुकता है तो मध्य प्रदेश में केवल एक ही जगह ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में आपको हस्तलिखित भारत के संविधान की मूलप्रति देखने को मिल सकती है. जिसे अब (read on a digital touch screen) आप डिजिटल टच स्क्रीन पर भी पढ़ सकेंगे.

ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में है संविधान की मूल प्रति

देशभर में केवल 16 जगह रखी है संविधान की मूल प्रति
1953 में देश के अलग अलग हिस्सों में संविधान की 16 मूल प्रतियां भेजी गईं थीं. ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में यह मूलप्रति 31 मार्च 1956 को आई थी. मध्य प्रदेश में ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी ही ऐसी जगह है जहां संविधान की इस मूल प्रति को रखा गया है. जिसे लोग राष्ट्रीय पर्व के मौके पर देख सकते हैं. विशेष तरीके से संरक्षित की गई संविधान की इस मूल प्रति को अब डिजिटली भी देखा जा सकता है. इसके लिए लाइब्रेरी में एक बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई है. स्क्रीन पर लोग संविधान की मूलप्रति को आसानी से देख और पढ़ सकते हैं.

साल में सिर्फ तीन बार देख सकते हैं मूल प्रति
ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी संविधान की मूल प्रति को साल में सिर्फ तीन बार देखने को मिलती है. जिसमें संविधान दिवस, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस शामिल है. लाइब्रेरी में इसके डिजिटल संस्करण को दिखाने के लिए एक अलग से गैलरी बनाई गई है. सेंट्रल लाइब्रेरी को भी पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार संविधान की मूल प्रति को डिजिटल तरीके से ही लोगों को दिखाया जा रहा है.


खास है यह संविधान की मूल प्रति
ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी संविधान की मूल प्रति कई मायने में खास है.

- इसके कवर पेज पर स्वर्ण अक्षर से भारतीय संविधान (इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन) अंकित है.

- प्रति के कुल 231 पेज हैं जिनमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक का उल्लेख है.

- संविधान सभा के 286 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं. इनमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर से लेकर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और फिरोज गांधी तक के हस्ताक्षर शामिल हैं.

- मूल प्रति में दर्ज हर अनुच्छेद की शुरुआत में प्रतीकात्मक एक विशेष चित्र प्रकाशित किया गया है.

- इस प्रति को एथोग्राफी पैटर्न से संरक्षित किया गया है जिससे इसके पेज 1000 साल तक खराब नहीं होंगे.

लाइब्रेरी का पास बनवाकर देख सकते हैं मूल प्रति
संविधान की मूल प्रति को देखने और खुद को गौरवान्वित महसूस करते हुए लोग यहां स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस और संविधान दिवस के मौके पर दूर-दूर से यहां आते हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रभारी राकेश शर्मा और विवेक सोनी ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसका डिजिटल संस्करण लोगों को दिखाया जा रहा है. जिसे देखने के लिए कोई भी व्यक्ति सेंट्रल लाइब्रेरी में जाकर अपना पास बनवा सकता है, और खुद ही टच एलसीडी स्क्रीन पर संविधान की मूल प्रति को देख और पढ़ सकता है.

ग्वालियर। इस साल पूरा देश अपना 73 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. 26 जनवरी 1950 को ही भारतीय संविधान (constitution of india) को आत्मसात किया गया था. संविधान के बारे में सब ने सुना है लेकिन बहुत ही कम लोग होंगे, जिन्होंने संविधान की मूल प्रति को देखा है. अगर आपके मन में भी संविधान की मूल प्रति देखने की उत्सुकता है तो मध्य प्रदेश में केवल एक ही जगह ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में आपको हस्तलिखित भारत के संविधान की मूलप्रति देखने को मिल सकती है. जिसे अब (read on a digital touch screen) आप डिजिटल टच स्क्रीन पर भी पढ़ सकेंगे.

ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में है संविधान की मूल प्रति

देशभर में केवल 16 जगह रखी है संविधान की मूल प्रति
1953 में देश के अलग अलग हिस्सों में संविधान की 16 मूल प्रतियां भेजी गईं थीं. ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में यह मूलप्रति 31 मार्च 1956 को आई थी. मध्य प्रदेश में ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी ही ऐसी जगह है जहां संविधान की इस मूल प्रति को रखा गया है. जिसे लोग राष्ट्रीय पर्व के मौके पर देख सकते हैं. विशेष तरीके से संरक्षित की गई संविधान की इस मूल प्रति को अब डिजिटली भी देखा जा सकता है. इसके लिए लाइब्रेरी में एक बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई है. स्क्रीन पर लोग संविधान की मूलप्रति को आसानी से देख और पढ़ सकते हैं.

साल में सिर्फ तीन बार देख सकते हैं मूल प्रति
ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी संविधान की मूल प्रति को साल में सिर्फ तीन बार देखने को मिलती है. जिसमें संविधान दिवस, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस शामिल है. लाइब्रेरी में इसके डिजिटल संस्करण को दिखाने के लिए एक अलग से गैलरी बनाई गई है. सेंट्रल लाइब्रेरी को भी पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार संविधान की मूल प्रति को डिजिटल तरीके से ही लोगों को दिखाया जा रहा है.


खास है यह संविधान की मूल प्रति
ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी संविधान की मूल प्रति कई मायने में खास है.

- इसके कवर पेज पर स्वर्ण अक्षर से भारतीय संविधान (इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन) अंकित है.

- प्रति के कुल 231 पेज हैं जिनमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक का उल्लेख है.

- संविधान सभा के 286 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं. इनमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर से लेकर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और फिरोज गांधी तक के हस्ताक्षर शामिल हैं.

- मूल प्रति में दर्ज हर अनुच्छेद की शुरुआत में प्रतीकात्मक एक विशेष चित्र प्रकाशित किया गया है.

- इस प्रति को एथोग्राफी पैटर्न से संरक्षित किया गया है जिससे इसके पेज 1000 साल तक खराब नहीं होंगे.

लाइब्रेरी का पास बनवाकर देख सकते हैं मूल प्रति
संविधान की मूल प्रति को देखने और खुद को गौरवान्वित महसूस करते हुए लोग यहां स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस और संविधान दिवस के मौके पर दूर-दूर से यहां आते हैं. सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रभारी राकेश शर्मा और विवेक सोनी ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसका डिजिटल संस्करण लोगों को दिखाया जा रहा है. जिसे देखने के लिए कोई भी व्यक्ति सेंट्रल लाइब्रेरी में जाकर अपना पास बनवा सकता है, और खुद ही टच एलसीडी स्क्रीन पर संविधान की मूल प्रति को देख और पढ़ सकता है.

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