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ग्वालियर में बागी नेताओं पर मेहरबान बीजेपी! अंचल के दिग्गज नेताओं के समर्थक होने की कारण बीजेपी कार्रवाई करने की नहीं जुटा पा रही है हिम्मत

नगरीय निकाय चुनावों में टिकट वितरण के बाद बीजेपी में ग्वालियर में विरोध के सुर उठने लगे. कई बागी कार्यकर्ता तो सड़क पर उतरकर सामने आ गए और चुनावी मैदान में बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी कर दी. लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के समर्थक होने के चलते पार्टी इन कार्रवाई करने से कन्नी काट रही है. बहरहाल क्षत्रपों के समर्थक बागियों को साधने के लिए बीजेपी ने इन्हें अपने स्तर पर समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने. अब कहा जा रहा है कि, पार्टी ने बागियों के साथ-साथ भीतरघातियों की भी लिस्ट तैयार कर ली है, जिसे निकाय चुनाव के बाद अमल में लाया जाएगा.

Infighting in Gwalior BJP
ग्वालियर बीजेपी में भीतरघात
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Published : Jul 1, 2022, 10:10 PM IST

ग्वालियर। नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बागी प्रत्याशी संगठन को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं. इसके बाद भी पार्टी के नेता ऐसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं. ये पहला मौका था, जब ग्वालियर में बीजेपी के पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर बगावत की. अभी तक बीजेपी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है, कहा जा रहा है ये जो बागी है, वो ग्वालियर के बड़े नेताओं के समर्थक हैं, इसलिए पार्टी कतरा रही है.

ग्वालियर में बागी नेताओं पर मेहरबान बीजेपी

बड़े नेताओं के समर्थक बागियों पर कोई कार्रवाई नहीं: बीजेपी में बड़े नेताओं के समर्थक अब पार्टी के लिए न तो निकलते बन रहे हैं, न ही उगलते. क्योंकि ये लोग चुनावी मैदान में बीजेपी के लिए परेशानी तो खड़ी कर रहे थे, साथ ही बीते दिनों राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश सहित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित सांसद विवेक शेजवलकर का घेराव कर नारेबाजी की थी. लेकिन आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. कहा जा रहा है ये बागी, आंधिकाश बीजेपी के बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर, जयभान सिंह पवैया, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं.

BJP in Action: पार्टी से बागी हुए कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक्शन में भाजपा, अधिकृत प्रत्याशियों के विरुद्ध चुनाव लड़ने पर 29 लोगों की सदस्यता 6 साल तक समाप्त

चुनाव मैदान में उतरकर पार्टी प्रत्याशियों को दे रहे चुनौती: बीजेपी के ये बागी, प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद से पार्टी से बगावत कर बैठे हैं. इनमें से चार कार्यकर्ताओं ने विरोध जाहिर करते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेकर उनके प्रत्याशी बन गए. ऐसे लोगों को भी अभी तक पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया है. हालांकि इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि, उन्होंने खुद ही भाजपा छोड़ दी है. ऐसे में संगठन की कार्रवाई की जरूरत नहीं है. इनके अलावा लगभग 18 बागी प्रत्याशी अब भी चुनाव मैदान में उतरकर पार्टी प्रत्याशियों को चुनौती दे रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने, पार्टी प्रत्याशी के विरोध में चुनाव लड़ने वाले 12 बागियों को 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया.

ग्वालियर। नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बागी प्रत्याशी संगठन को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं. इसके बाद भी पार्टी के नेता ऐसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं. ये पहला मौका था, जब ग्वालियर में बीजेपी के पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर बगावत की. अभी तक बीजेपी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है, कहा जा रहा है ये जो बागी है, वो ग्वालियर के बड़े नेताओं के समर्थक हैं, इसलिए पार्टी कतरा रही है.

ग्वालियर में बागी नेताओं पर मेहरबान बीजेपी

बड़े नेताओं के समर्थक बागियों पर कोई कार्रवाई नहीं: बीजेपी में बड़े नेताओं के समर्थक अब पार्टी के लिए न तो निकलते बन रहे हैं, न ही उगलते. क्योंकि ये लोग चुनावी मैदान में बीजेपी के लिए परेशानी तो खड़ी कर रहे थे, साथ ही बीते दिनों राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश सहित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित सांसद विवेक शेजवलकर का घेराव कर नारेबाजी की थी. लेकिन आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. कहा जा रहा है ये बागी, आंधिकाश बीजेपी के बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर, जयभान सिंह पवैया, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं.

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चुनाव मैदान में उतरकर पार्टी प्रत्याशियों को दे रहे चुनौती: बीजेपी के ये बागी, प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद से पार्टी से बगावत कर बैठे हैं. इनमें से चार कार्यकर्ताओं ने विरोध जाहिर करते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेकर उनके प्रत्याशी बन गए. ऐसे लोगों को भी अभी तक पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया है. हालांकि इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि, उन्होंने खुद ही भाजपा छोड़ दी है. ऐसे में संगठन की कार्रवाई की जरूरत नहीं है. इनके अलावा लगभग 18 बागी प्रत्याशी अब भी चुनाव मैदान में उतरकर पार्टी प्रत्याशियों को चुनौती दे रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने, पार्टी प्रत्याशी के विरोध में चुनाव लड़ने वाले 12 बागियों को 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया.

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