ग्वालियर। क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia ) की तरह बीजेपी ने उनके पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया को भी अपना मान लिया है. लग तो ऐसा ही रहा है. 30 सितंबर को स्वर्गीय माधवराव सिंधिया (Death Anniversary Of Madhavrao Scindia)की पुण्यतिथि है. वैसे हर साल कांग्रेस इस दिन भजन संध्या और दूसरे कार्यक्रम करवाती रही है. लेकिन इस साल बीजेपी माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम करवा रही है.
अब माधवराव सिंधिया भी हुए बीजेपी के !
स्वर्गीय माधवराव सिंधिया गांधी परिवार (Death Anniversary Of Madhavrao Scindia) के काफी करीबी रहे थे. वे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे हैं. उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia ) भी कभी कांग्रेस की युवा ब्रिगेड में शामिल रहे हैं. लेकिन अब ज्योतिरादित्य बीजेपी में हैं, कैबिनेट मंत्री हैं. बीजेपी ने उन्हें पूरा सम्मान दिया है. अब बार ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया को भी बीजेपी अपना रही है. 30 सितंबर को उनकी पुण्यतिथि पर बीजेपी कई कार्यक्रम करवा रही है. जबकि कांग्रेस शांत है. हर साल उनकी पुण्यतिथि पर कांग्रेस के बड़े नेता उनकी छतरी पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित करते रहे हैं. लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं है . इसका कारण ये है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनाने के बाद बीजेपी ने उनके स्वर्गीय पिता माधवराव सिंधिया(Death Anniversary Of Madhavrao Scindia) को भी अपना लिया है. अब पहली बार उनकी पुण्यतिथि पर बीजेपी कार्यक्रम आयोजित कर रही है. बीजेपी ने शहर में उनकी पुण्यतिथि को लेकर होर्डिंग लगवाए हैं.
बीजेपी मना रही माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि
कांग्रेस नेता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया (Death Anniversary Of Madhavrao Scindia) की पुण्यतिथि पर पहली बार बीजेपी के नेता उनकी छतरी पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे. शाम के वक्त भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा. इस कार्यक्रम में बीजेपी के जिला अध्यक्ष सहित सभी नेता शामिल होंगे. हालांकि कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी कभी भी उन्हें नहीं भूल सकती. कल उनकी पुण्यतिथि के मौके पर कांग्रेसी कार्यकर्ता उनकी छतरी पर पहुंचेंगे और पुष्पांजलि अर्पित करेंगे. लेकिन सवाल इस बात का है कि बीजेपी अपने नेताओं को संभाल नहीं पा रही है और हमारे नेता के नाम पर राजनीति कर रही है. उन्होंने पूछा कि इससे पहले बीजेपी नेता स्वर्गीय माधव सिंधिया की छतरी पर क्यों नहीं गए.
ज्योतिरादित्य दगाबाज निकले, लेकिन माधवराव सिंधिया कांग्रेस के सच्चे सिपाही थे
कांग्रेस प्रवक्ता फिरोज सिद्दिकी का कहना है कि भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया दगाबाज निकले, लेकिन उनके पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया कांग्रेस के सच्चे सिपाही थे. इसलिए कांग्रेस उन्हें हमेशा याद रखेगी.
ग्वालियर चंबल अंचल के विकास पुरुष थे माधवराव सिंधिया
ग्वालियर चंबल अंचल में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया(Death Anniversary Of Madhavrao Scindia) को विकास पुरुष कहा जाता था. इसका सबसे बड़ा कारण यह था के अंचल में उद्योगों से लेकर शहरी विकास को लेकर हमेशा तत्पर रहते थे. स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की पहल पर ही अंचल में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित हुए. शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट ग्वालियर में स्थापित हुए. अंचल में मालनपुर और बामोर जैसे उद्योग क्षेत्र विकसित हुए. शिक्षा के क्षेत्र में IIITM, IITTM, IHM, LNUPI जैसे बड़े संस्थान यहां स्थापित हुए. 30 सितंबर 2001 में वे उत्तर प्रदेश के कानपुर में आम सभा को संबोधित जा रहे थे. उसी दौरान उनका विमान हादसे का शिकार हो गया और उनका निधन हो गया.
स्वर्गीय माधवराव सिंधिया का राजनीतिक सफर
स्वर्गीय माधवराव सिंधिया (Death Anniversary Of Madhavrao Scindia) ने गुना से 4 बार चुनाव लड़ा. उन्होंने 1971 में पहली बार चुनाव जीता उस समय वे महज 26 साल के थे. इसके बाद वे एक भी चुनाव नहीं हारे. वे लगातार 9 बार लोकसभा से सांसद रहे. 1984 में उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई को ग्वालियर से करारी शिकस्त दी थी. माधव सिंधिया 6 बार कांग्रेस, 1 बार निर्दलीय, 1 बार जनसंघ और 1 बार मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी से सांसद रहे हैं. स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनसंघ से की थी. 1969 में जब उनकी माता विजय राजे सिंधिया जनसंघ में आईं, तो उनके साथ ही विदेश से पढ़ाई कर लौटे उनके बेटे माधव सिंधिया ने भी जनसंघ ज्वाइन कर लिया. 1971 के चुनाव में जब देश में चारों तरफ इंदिरा गांधी की लहर थी, तब 26 साल की उम्र में गुना संसदीय सीट से पहली बार चुनाव जीतकर माधव सिंधिया संसद पहुंचे. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.