छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जहां जाते हैं, वहां के लोगों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. उनका फोकस आदिवासी वर्ग पर ज्यादा दिखता है. कुछ ऐसा ही नजारा एक बार फिर दिखा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन सेवा अभियान शिविर में शामिल होने छिंदवाड़ा जिले के रामाकोना पहुंचे. यहां सीएम का छिंदवाड़ा की पहचान छींद से बने मुकुट पहनाकर स्वागत किया गया. इस दौरान उन्होंने जनसभा को भी संबोधित किया. जाने क्यों खास है छिंदवाड़ा के लिए छींद का मुकुट. (Public Service Campaign Camp in Chhindwara)
छींद से बनते हैं घरेलू सामान: छींद से ग्रामीण इलाके के हर परिवार का जुड़ाव और लगाव है. खासतौर पर आदिवासी अंचल में छींद से कई घरेलू सामान भी बनाए जाते हैं. मुख्यमंत्री को छींद का मुकुट पहना कर आम लोगों से जोड़ने का भी एक अलग प्रयास नजर आ रहा है. सिधौली के कलाकारों नन्नू लाल खमरिया और राजू ढकरिया ने छिंदवाड़ा जिले की पहचान छींद से बने हुए पारंपरिक मुकुट से मुख्यमंत्री चौहान का आत्मीय अभिवादन किया.
छिंदवाड़ा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: यह माना जाता है कि एक समय पर छिंदवाड़ा छींद के पेड़ से भरा था और इस जगह का नाम 'छिंदवाड़ा' (वाड़ा का मतलब है जगह) था. छिंदवाड़ा नगर की एक विशेष पहचान है. इसे जंगली खजूर, शुगर डेट पाम, टोडी डेट पाम, सिल्वर डेट पाम, इंडियन डेट पाम आदि नामों से भी जाना जाता है. वानस्पतिक भाषा में इसका नाम फोनिक्स सिल्वेस्ट्रिस है, जो एरेकेसी परिवार का सदस्य है. यह पेड़ उपजाऊ से लेकर बंजर मैदानी भूमि में, सामान्य से लेकर अत्यंत सूखे मैदानी भागों में, सभी तरह की मिट्टी में आसानी से उग जाता है.
गन्ने की शक्कर से सेहतमंद होती हैं छींद की चीनी: कुछ स्थानों पर इसके तनों में छेद करके इससे एक स्वादिष्ट पेय प्राप्त किया जाता है, जो काफी कुछ ताड़ी से मिलता-जुलता होता है, जिसे छींदी कहते हैं. अन्य स्थानों पर इस मीठे रस से गुड़ भी तैयार किया जाता है. जिसे पाम जगरी के नाम से जाना जाता है. जो सामान्य गन्ने से प्राप्त शक्कर से कहीं अधिक सेहतमंद होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में जब कोई छींद का पेड़ आंधी और तूफान से टूट कर गिर जाता है, तब ग्रामीण चरवाहे इसके शीर्ष भाग को काटकर तने का कोमल हिस्सा निकालते हैं. जो देखने में तथा स्वाद में पेठे से मिलता-जुलता होता है, इसे खाने का एक अलग ही मजा होता है. एक अन्य नजरिए से देखें तो, इसके कोमल जाइलम में स्टार्च का भंडार होता है.
रोजगार भी देता है छींद: छींद ग्रामीण भारत के लिए अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख साधन भी है. इसकी पत्तियों से निर्मित झाड़ू मजबूती, कार्यक्षमता और टिकाऊपन के मामले में ग्रामीण भारत की पहली पसंद है. वहीं इसके फलों की मजबूत डंठलों का झुंड खेत खलियान की सफाई के लिए झाड़ू की तरह काम करता है. इसकी लंबी-लंबी संयुक्त पत्तियों से बड़े-बड़े टाट तैयार किये जाते हैं, जो बैलगाड़ी को चारों ओर से घेरने के काम आते हैं. ग्रामीण झोपड़ी और जानवरों के अस्तबल, कोठे आदि इन्हीं से बनाते हैं. यह गर्मियों में ठंडक प्रदान करते हैं और सर्दियों में गर्माहट इसीलिए इनका महत्व अधिक बढ़ जाता है.
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