छिंदवाड़ा। इन दिनों बाजारों में चाइना और मशीनों से बनी राखियों की चकाचौंध खूब दिख रही है, लेकिन छिंदवाड़ा के ऐसे मानसिक दिव्यांग हैं, जिनकी राखियों के आगे सब राखियों की चकाचौंध फीकी पड़ जाती है, दिव्यांग खुद अपने हाथों से फैंसी राखी बना रहे हैं, ताकि पर आत्मनिर्भर बन सकें.
किसी से कमजोर नहीं दिव्यांग, पुनर्वास केंद्र में बना रहे राखियां
मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के विकास के लिए छिंदवाड़ा के पोआमा में आधार फाउंडेशन संचालित होता है, जो ऐसे बच्चों को रखकर उनका मानसिक विकास करता है, इसी फाउंडेशन राखी के त्योहार के चलते शिक्षकों की मदद से बच्चे फैंसी राखियां तैयार कर रहे हैं, राखियों को देखकर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकेंगे, कि यह राखियां हाथ से बनी हुई है.
दूसरे प्रदेशों में भी भेजी जा रही दिव्यांगों की बनाई राखियां
छिंदवाड़ा के मानसिक दिव्यांगों के द्वारा बनाई जा रही राखियां सिर्फ शहर ही तक सीमित नहीं है, बल्कि मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर जैसे दूसरे शहरों के अलावा दूसरे राज्यों में भी भेजी जा रही है, पूरी तरीके से हाथ से बनाई जाने वाली राखियां दिव्यांग अपने पुनर्वास केंद्र में ही तैयार कर रहे हैं.
मन में आत्मविश्वास जगाने का नायाब तरीका
आधार फाउंडेशन के संचालक महेश किन्थ बताते हैं कि अधिकतर मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समझा जाता है कि वे समाज में किसी लायक नहीं, लेकिन उनका फाउंडेशन बच्चों में यह विश्वास जगाता है कि वह भी किसी से कम नहीं है.
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महेश बताते हैं कि दिव्यांग हर काम कर सकते हैं, जो एक आम व्यक्ति कर सकता है, इसलिए वे अलग-अलग काम इनसे करवाते हैं, राखी बनवाने के पीछे भी मकसद यही है, कि वे मानसिक दिव्यांगों को यह विश्वास दिला सकें, कि वह भी काम कर सकते हैं और जीवन में आम जन जीवन व्यतीत कर सकते हैं.