भोपाल। सूबे में सरकार जल अभिषेक कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे हैं, वहीं लोग पीने के पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. हाल ये है कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जनता अभी भी कि चिकित्सा, शिक्षा और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं. लोक-लुभावन वादे और घोषणाओं के बीच प्रदेश की ग्रामीण तस्वीर जस की तस है.(Jal Abhishek MP scheme)
क्या है जलाभिषेक अभियान: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रायसेन के गैरतगंज पहुंचे थे, जहां उन्होंने सभास्थल पहुंचकर प्रदेश स्तरीय जल अभिषेक अभियान का शुभारंभ किया. इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में अगले साल मार्च तक पूरे प्रदेश में 5000 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण किया जाएगा, जिससे धरती की प्यास भी बुझाई जा सके और पर्यावरण संतुलन की स्थिति को बनाए रखा जा सके.
जल है हमारी संस्कृति: सीएम ने कहा कि हमारी संस्कृति ही जल है. प्राचीन काल से ही जल के महत्व को बताया जा रहा है भारतीय संस्कृति में तालाब अभिन्न अंग रहे हैं, कुए-बावड़ी आदि हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहे हैं इन के माध्यम से जल का संरक्षण होता है. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी नागरिकों एवं संस्थाओं का आव्हान किया और कहा कि आज से पानी बचाने के अभियान में जुट जाएं. मुख्यमंत्री ने रायसेन सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में निर्मित होने वाले 5 हजार अमृत सरोवर, 10 हजार पुष्कर धरोहर जल संरचनाओं के पुनः हो रहे कार्यों का शुभारंभ किया. मुख्यमंत्री ने जिले में अमृत सरोवर योजना में 113.60 लाख रुपए से अधिक लागत के चार कार्यों की शिला पट्टिका का भी अनावरण किया, इसकते साथ ही 52 कलस का पूजन कर प्रदेश के सभी जिलों में जलाभिषेक अभियान को शुरू कराया.
रहवासियों को नहीं मिल रहीं मूलभूत सुविधाएं: रायसेन जिले में अभी तक दो से तीन मंत्रियों ने इस जिले की जिम्मेदारी संभाली, लेकिन किसी ने भी मूलभूत सुविधाएं जैस पानी और शिक्षा के बारे में ध्यान नहीं दिया. महकमे से स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी हैं लेकिन इनके जिले का स्वास्थ्य ही बिगड़ा हुआ है. रायसेन में लोगों के लिए अस्पताल तो बना दिए गए हैं, लेकिन अस्पतालों में पानी की सुविधा ही नहीं है. अभी कुछ दिन पहले ही जिला मुख्यालय में महिलाओं ने कुप्पियां और बर्तन रखकर कलेक्टरेट परिसर में ही प्रदर्शन किया था और कहा कि पीने का पानी तक नहीं मिल रहा.
स्कूलों में ऐसी है पानी की स्थिति: यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) प्लस रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के 90% से अधिक सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में पीने के पानी के नल नहीं हैं और हर दस में से चार स्कूलों में बिजली और हाथ धोने की सुविधा नहीं है. इसके साथ ही, 90,912 स्कूल बिना नल के हैं और 99,776 स्कूलों में असुरक्षित कुएं हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे सभी स्कूलों में से लगभग 82.86% के पास अन्य सुरक्षित जल स्रोत नहीं है.
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अस्पलातों की स्थिति: प्रदेश के 2228 अस्पताल पीने के पानी के संकट से जूझ रहे हैं, इनमें आदिवासी क्षेत्रों की हालत ज्यादा खराब है. छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा 290, सिवनी में 129, डिंडोरी में 188, बड़वानी में 168, मंदसौर में 160, रतलाम में 150 से ज्यादा अस्पतालों में पानी की किल्लत है.
पिछले सालो में सरकार ने पानी के लिए खर्च किए खर्च
वर्ष | खर्च |
2016-17 | 2731 करोड़ रुपये |
2017-18 | 1805 करोड़ रुपये |
2018-19 | 2205 करोड़ रुपये |
2020-21 | 4895 करोड़ रुपए |
2022-23 | 6300 करोड़ रुपए |
मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जल जीवन मिशन में 1050 करोड़ 77 लाख 4000 रूपये लागत की 1339 ग्रामीण नल जल योजना की स्वीकृति दी है.
क्या कहते हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह: अभी हमने एक योजना बनाई है हमने तय किया है कि "मध्यप्रदेश की धरती पर अब हम हैंडपंप नहीं, आने वाले 2-3 साल में ही पाइप लाइन बिछाकर घरों में टोंटी वाला नल लगाकर पानी देंगे जिससे टोटी खोलो तो झर-झर पानी आए, गुंड, गगरा और बर्तन भर जाए. 48 लाख घरों में ये टोंटी वाला नल लगा चुके हैं, अभी हमको एक करोड़ से ज्यादा घरों में लगाना है.
कांग्रेस ने बताया क्यों उपलब्ध नहीं होे रहा पानी: वहीं कांग्रेस के पीएचई मंत्री रहे सुखदेव पांसे का कहना है कि जनता को पानी का अधिकार देने के लिए कमलनाथ सरकार ने बिल पेश किया था 'राइट टू वाटर' योजना लागू करने के साथ मध्यप्रदेश पहल राज्य बना , जिससे अपने नागरिकों के लिए पानी की न्यूनतम उपलब्धता सुनिश्चित कराता. इस अधिकार के लागू होने पर प्रदेश के हर नागरिक को न्यूनतम 55 लीटर स्वच्छ जल मिलता, लेकिन शिवराज सरकार ने आते ही उस बिल पर कोई काम नहीं किया जिसका परिणाम ये है कि लोगों को पीने का स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
प्रदेश में डैम की स्थिति: प्रदेश में नदियों पर बने पुराने बांध वर्तमान समय में बड़ी आबादी के लिए खतरा पैदा (dam need maintenance) कर सकते हैं. हाल ही में पुराने बांधों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एजिंग वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट में भी 50 साल पुराने (50 dam complete there life) बाधों को लेकर खतरा जताया गया है. मध्यप्रदेश के लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश में 906 बड़े बांध हैं, इसमें से 28 बांध 50 साल से ज्यादा की उम्र पूरी कर चुके हैं, जबकि प्रदेश में 62 बांध ऐसे भी हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. दूसरी तरफ बांधों के रखरखाव को लेकर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) भी सवाल उठा चुका है. ऐसे में देखरेख और रखरखाव में लापरवाही से बूढ़े हो चुके ये बांध आसपास रहने वाली एक बड़ी जनसंख्या के लिए यह मुसीबत बन सकते हैं.
28 बांधों की उम्र 50 से ज्यादा: मध्यप्रदेश में पेयजल, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बनाए गए बांधों की संख्या करीबन 4523 बांध हैं. इनमें से 906 बांध बड़े हैं. इनमें से 100 बांध ऐसे हैं, जो 25 साल पुराने जबकि 50 साल उम्र पूरे कर चुके बांधों की संख्या करीबन 28 है. प्रदेश में 62 बांध ऐसे हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. इन उम्रदराज बांधों की लिस्ट में सबसे ऊपर ग्वालियर जिले का टेकनपुर बांध है, जो 127 साल पुराना है. इसकी ऊंचाई 16.47 मीटर है. इसे 1895 में बनाया गया था.
12 साल से धूल खा रही हैं सिफारिशें: कैग की रिपोर्ट के मुताबिक बांध की मरम्मत और सुधार को लेकर बांध सुरक्षा निरीक्षण पैनल यानी डीएसआईपी और केन्द्रीय जल आयोग की सिफारिशें पिछले 12 साल से मध्यप्रदेश, राजस्थान और भारत सरकार के विभागों में धूल खा रही हैं.
- सीएजी ने रिपोर्ट में कहा कि गांधी सागर बांध संभाग के अंतर्गत छोटा बांध मंदसौर जून 2018 में टूट गया, जिसका पिछले तीन सालों से कोई निरीक्षण नहीं किया गया था.
- सीएजी के रिपोर्ट ने आपत्ति जताई कि प्रदेश के 150 बड़े बांधों और 351 छोटे बांधों में पिछले तीन सालों के दौरान कोई समीक्षा भी नहीं की गई है.
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प्रदेश में गर्मी के हाल: इस बार गर्मी के तीखे तेवर अप्रैल के पहले हफ्ते में ही शुरू हो गए हैं. पिछले दिनों पारा 39 डिग्री के पार था और स्थिर था. मौसम विभाग का पूर्वानुमान था कि इस बार दिन का अधिकतम तापमान 10 अप्रैल के बाद 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाएगा, लेकिन अब 40 डिग्री तक पहुंच गया है और दिन में खासी गर्मी है. इसका एक खास कारण राजस्थान से आ रही गर्म हवाएं भी हैं, जिसके चलते तापमान बढ़ा है. मौसम विभाग ने अब पारा 40 डिग्री या उसके पार ही रहने की बात कही है. यानी अभी अप्रैल का दूसरा हफ्ता चल रहा है और लोगों को अब लगातार भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा. दिन और रात का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. चूंकि दिन में गर्म हवाएं चल रही है. इसलिए गर्मी ज्यादा महसूस की जा रही है. ऐसे भी भीषण गर्मी के चलते लोग शुरुआत से ही पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.