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प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टार और डॉ. नारायण व्यास को राष्ट्रीय सम्मान, मंत्री उषा ठाकुर ने कहा पुरातत्वविद भारतीय संस्कृति का आधार

भोपाल के संग्रहालय सभागार में मंत्री उषा ठाकुर ने प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टार और डॉ. नारायण व्यास को सम्मानित किया. मंत्री उषा ठाकुर ने डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर सम्मान से सम्मानित करते हुए कहा कि पुरातत्वविद ही भारतीय संस्कृति का आधार है. भारतीय संस्कृति और इतिहास में अनुसंधान करने वाले पुरातत्वविदों को यह सम्मान दिया जाता रहेगा.

Pro. National Award to Ravindra Korisettar and Dr. Narayan Vyas
प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टार और डॉ. नारायण व्यास को राष्ट्रीय सम्मान
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Published : May 5, 2022, 7:04 AM IST

भोपाल। मंत्री उषा ठाकुर ने प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टार वर्ष 2010-19 और डॉ. नारायण व्यास को 2019-20 के लिए शॉल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र और दो लाख रुपए की सम्मान राशि से सम्मानित किया. संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि पुरातत्वविद ही भारतीय संस्कृति का आधार है. निष्ठा और परिश्रम से किया गया पुरातत्वविदों का अनुसंधान भावी पीढ़ी को स्वर्णिम प्राचीन इतिहास से परिचय कराएगा.

भारतीय संस्कृति का आधार है पुरातत्वविद: मंत्री उषा ठाकुर राज्य संग्रहालय सभागार में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थी. मंत्री ने कहा कि डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर न होते तो भीमबेटका की खोज न होती और कालजयी विश्वगुरु भारतीय संस्कृति को वैज्ञानिक कसौटी पर परखा न जा सकता था. उन्हीं के सम्मान में शुरू किया गया यह पुरस्कार आगे भी भारतीय संस्कृति और इतिहास में अनुसंधान करने वाले पुरातत्वविदों को दिया जाता रहेगा. डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर राष्ट्रीय सम्मान पुरा सम्पदा के संरक्षण एवं पुरातत्विक संस्कृति के क्षेत्र में रचनात्मक, सृजनात्मकता एवं विशिष्ट उपलब्धियां अर्जित करने वाले सक्रिय भारतीय नागरिक और संस्था को दिया जाता है.

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प्रागैतिहास को महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिलाने में योगदान: प्रो. रविन्‍द्र कोरिसेट्टार का जन्‍म 8 जुलाई 1952 को होसपेट (कर्नाटक) में हुआ. उन्होंने प्रो. एच.डी. सांकलिया के सानिध्‍य में पुरातत्‍व के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्‍त किया, उन्होंने पुरातत्‍व में प्रागैतिहास को अपना विषय चुना एवं भारतीय प्रागैतिहास को विश्‍व में महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिलाने में अहम योगदान दिया. वे विभिन्‍न वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं एवं शोध पत्रिकाओं से सक्रिय रूप से जुड़े रहे एवं इन्‍हीं में से कुछ शोध पत्रिकाओं का संपादन भी उनके द्वारा किया गया. सेवानिवृत्त डॉ. विष्‍णु श्रीधर वाकणकर सीनियर फेलो (2015-17) उच्‍च शिक्षा अनुदान आयोग के इमेरिटस फेलो (2017-19) और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सीनियर विद्या विषयक फेलो (2019-21) के रूप में अनेक शोध कार्यों किए हैं.

भारतीय शैल चित्रकला को विशेष स्‍थान दिलाने में योगदान: डॉ. नारायण व्यास का जन्‍म 05 जनवरी 1949 को उज्‍जैन में हुआ. गुरूवर पद्मश्री डॉ. विष्‍णु श्रीधर वाकणकर के पद चिन्‍हों पर चलते हुए उन्होंने भारतीय शैल चित्रकला को विश्‍व पटल पर विशेष स्‍थान दिलाने में अहम् योगदान दिया. वर्ष 2009 में सेवानिवृत्त उपरांत पुरातत्‍व में विशेषकर शैल चित्रकला के सरंक्षण एवं प्रबंधन के लिये भोपाल के विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्‍वविद्यालय के छात्रों एवं शोधाार्थियों के लिये सतत् प्रेरणा स्रोत बने हुये हैं. 100 से अधिक शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं.

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