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MP में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक पारित, महाकाल सहित 6 मंदिरों की ट्रस्ट और समितियां खत्म - मंदिर ट्रस्ट समिति मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में नया विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक पारित होने के बाद प्रदेश के 6 मंदिरों के ट्रस्ट और समितियों को खत्म कर दिया गया है. अब इन मंदिरों के संचालन के लिए एक ही समिति का गठन किया जाएगा. जिसका संचालन जिले का कलेक्टर करेगा.

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Published : Dec 21, 2019, 1:32 PM IST

भोपाल। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक पारित होने के बाद प्रदेश के 6 बड़े मंदिरों के ट्रस्ट और समितियों को खत्म कर दिया गया है. जिनमें बाबा महाकाल मंदिर उज्जैन, सीहोर जिले में आने वाला सलकनपुर, खंडवा के धूनी वाले दादाजी का मंदिर, इंदौर के खजराना गणेश मंदिर, मैहर का शारदा मंदिर और छिंदवाड़ा के जामसावली हनुमान मंदिर शामिल है.

लंबे समय से मंदिरों के रखरखाव और पुजारियों के आपसी मतभेदों के बाद सरकार ने मंदिर विधेयक पारित किया है. इस कानून के तहत व्यवस्थाओं के लिए हर एक मंदिर की एक कमेटी होगी. यानी अब तक मंदिर में लागू मौजूदा अधिनियम अपने आप समाप्त हो जाएगा. इस कानून के तहत हर मंदिर में एक ही समिति होगी जिसका संचालन उस जिले का कलेक्टर करेगा.

सूर्यकांत शर्मा, संवाददाता, ईटीवी भारत मध्य प्रदेश

समिति में एसपी, नगर-निगम आयुक्त, मुख्य नगर पालिका अधिकारी के आलावा कलेक्टर द्वारा नामित चार अधिकारी, सरकार द्वारा नामित पुजारी, दो पुजारी और राज्य सरकार द्वारा नामित में दो ऐसे अशासकीय सदस्य जो धर्म पूजा विधान के जानकार हो उनको भी शामिल किया जाएगा.

विशेष सदस्य भी हो सकेंगे शामिल
इसके अलावा कलेक्टर द्वारा एक नामित पुजारी और राज्य सरकार द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल होंगे. वही हिंदू धर्म को ना मानने वाला व्यक्ति इस समिति का सदस्य नहीं होगा. इस कानून के तहत समिति में शामिल सदस्य को हटाने का प्रावधान भी किया गया है. जिसमें यदि किसी का मानसिक संतुलन बिगड़ता है या फिर उसे कोर्ट से सजा मिलती है. या फिर मंदिर के विरुद्ध क्रियाकलाप और छुआछूत करने पर सदस्य को हटाया जा सकेगा.

भोपाल। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक पारित होने के बाद प्रदेश के 6 बड़े मंदिरों के ट्रस्ट और समितियों को खत्म कर दिया गया है. जिनमें बाबा महाकाल मंदिर उज्जैन, सीहोर जिले में आने वाला सलकनपुर, खंडवा के धूनी वाले दादाजी का मंदिर, इंदौर के खजराना गणेश मंदिर, मैहर का शारदा मंदिर और छिंदवाड़ा के जामसावली हनुमान मंदिर शामिल है.

लंबे समय से मंदिरों के रखरखाव और पुजारियों के आपसी मतभेदों के बाद सरकार ने मंदिर विधेयक पारित किया है. इस कानून के तहत व्यवस्थाओं के लिए हर एक मंदिर की एक कमेटी होगी. यानी अब तक मंदिर में लागू मौजूदा अधिनियम अपने आप समाप्त हो जाएगा. इस कानून के तहत हर मंदिर में एक ही समिति होगी जिसका संचालन उस जिले का कलेक्टर करेगा.

सूर्यकांत शर्मा, संवाददाता, ईटीवी भारत मध्य प्रदेश

समिति में एसपी, नगर-निगम आयुक्त, मुख्य नगर पालिका अधिकारी के आलावा कलेक्टर द्वारा नामित चार अधिकारी, सरकार द्वारा नामित पुजारी, दो पुजारी और राज्य सरकार द्वारा नामित में दो ऐसे अशासकीय सदस्य जो धर्म पूजा विधान के जानकार हो उनको भी शामिल किया जाएगा.

विशेष सदस्य भी हो सकेंगे शामिल
इसके अलावा कलेक्टर द्वारा एक नामित पुजारी और राज्य सरकार द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल होंगे. वही हिंदू धर्म को ना मानने वाला व्यक्ति इस समिति का सदस्य नहीं होगा. इस कानून के तहत समिति में शामिल सदस्य को हटाने का प्रावधान भी किया गया है. जिसमें यदि किसी का मानसिक संतुलन बिगड़ता है या फिर उसे कोर्ट से सजा मिलती है. या फिर मंदिर के विरुद्ध क्रियाकलाप और छुआछूत करने पर सदस्य को हटाया जा सकेगा.

Intro:मध्यप्रदेश विधानसभा में मंदिर समितियों के लेकर भी मध्य प्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित हुआ हैजिसके तहत महाकाल सलकनपुर समेत छह मंदिरों में ट्रस्ट कमेटियां खत्म होकर एक कानून बनेगी बनेगा जिसमें अब प्रदेश के 6 बड़े मंदिरों में ट्रस्ट और कमेंट या खत्म हो जाएंगी और सिर्फ एक कानून रहेगा जिसमें उज्जैन के महाकाल ,सीहोर के सलकनपुर ,खंडवा के धूनी वाले दादाजी ,इंदौर के खजराना गणेश मंदिर ,और मैहर के शारदा मंदिर , और छिंदवाड़ा के जामसावली हनुमान मंदिर शामिल है


Body:दरअसल पिछले लंबे समय से मंदिरों के रखरखाव और पुजारियों के आपसी मतभेदों के बाद सरकार ने अब तय किया है कि मध्य प्रदेश के 6 बड़े मंदिर उज्जैन के महाकाल मंदिर सीहोर के सलकनपुर देवी मंदिर छिंदवाड़ा के जामसावली मंदिर खंडवा के दादा दरबार इंदौर का खजराना गणेश मंदिर और मैहर का शारदा मंदिर का संचालन होगा इस कानून के तहत व्यवस्थाओं के लिए हर एक मंदिर की एक कमेटी होगी , यानी आप मंदिर में लागू मौजूदा अधिनियम अपने आप ही समाप्त हो जायेंगे, इस कानून के तहत हर मंदिर में इस समिति होगी संचालन समिति का प्रमुख कलेक्टर होगा समिति में एसपी नगर निगम आयुक्त मुख्य नगरपालिका अधिकारी और कलेक्टर द्वारा नामित 4 सेकंड श्रेणी स्तर के अधिकारी ,सरकार द्वारा नामित पुजारी दो पुजारी, राज्य सरकार द्वारा नामित में दो अशासकीय ऐसे सदस्य जो धर्म पूजा विधान के जानकार हो, कलेक्टर द्वारा एक नामित पुजारी तथा राज्य सरकार द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल होंगे तो वही हिंदू धर्म को ना मानने वाला समिति का सदस्य नहीं होगा इस कानून के तहत समिति में शामिल सदस्य को हटाने का प्रावधान भी किया है जिसमें यदि किसी का मानसिक संतुलन बिगड़ता है ,कोर्ट से सजा होने पर या मंदिर के विरुद्ध क्रियाकलाप ,छुआछूत करने पर सदस्य को हटाया जा सकेगा,


Conclusion:आपको बता दें कि अब प्रदेश के 6 मंदिरों में कष्ट और कमेटियां खत्म हो जाएंगी और एक कानून रहेगा और उस कानून के तहत ही इन मंदिरों मंदिरों का संचालन भी किया जाएगा

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