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सचिन का क्या होगा! कांग्रेस ने की दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग, उपचुनाव से पहले बीजेपी में आ गए थे विधायक सचिन बिरला

सचिन बिरला की सदस्यता का पेंच अभी भी फंसा हुआ है. उपचुनावों से पहले कांग्रेस विधायक रहे सचिन बिरला ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. कांग्रेस ने उनके खिलाफ(Threat of anti defection law on membership of MLA Sachin Birla) दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि शीतकालीन सत्र शुरु होने से पहले इस पर फैसला ले(mla sachin birla membership issu) लिया जाएगा.

mla sachin birla membership issue
सचिन का क्या होगा! कांग्रेस ने की दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग
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Published : Dec 15, 2021, 6:20 PM IST

भोपाल। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए विधायक सचिन बिरला की सदस्यता का मामला विधानसभा सत्र से पहले सुलझा लिया जाएगा. कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उनकी सदस्यता को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है.कांग्रेस विधायक दल ने (mla sachin birla membership issu)दल बदल कानून के तहत सचिन बिरला की सदस्यता समाप्ति की मांग विधानसभा अध्यक्ष से की है.

विधायक सचिन बिरला की सदस्यता का पेंच

कांग्रेस का बाय-बाय कहकर बीजेपी में शामिल हुए विधायक सचिन बिरला की सदस्यता पर फैसला विधानसभा सत्र से पहले हो सकता है. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले इस मामले में कोई निर्णय हो जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि कांग्रेस विधायक दल का पत्र मुझे मिला है. मैं उस पर जल्द निर्णय करने वाला हूं. उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने के पहले फैसला((Threat of anti defection law on membership of MLA Sachin Birla)) हो जाएगा. 20 दिसंबर से 24 दिसंबर तक विधानसभा का शीतकालीन सत्र चलना है.

कांग्रेस ने की थी दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग

बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान चुनावी सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए थे. कांग्रेस ने इसी आधार पर उनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्यवाही की मांग विधानसभा अध्यक्ष से की है. विधानसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में कांग्रेस विधायक दल के सचेतक डॉ गोविंद सिंह ने कहा था कि सचिन बिरला को किसी अन्य दल में शामिल होने के पहले विधायक पद से इस्तीफा देना चाहिए था . भाजपा में शामिल होने के बाद भी विधायक बिरला ने विधानसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा नहीं भेजा (congress demand action on sachin birla)है.

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उपचुनावों से पहले कांग्रेस को सचिन ने दिया था झटका

एमपी में एक लोकसभा समेत तीन विधानसभा उपचुनाव के पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था. चुनाव प्रचार के बीच ही खरगोन जिले की बड़वाह विधानसभा से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला बीजेपी में शामिल हो गए थे. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की (sachin birla left bjp joined congress)सभा में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. सचिन बिरला को बीजेपी में लाने के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल ने सक्रिय भूमिका निभाई थी. कमल पटेल को इस क्षेत्र में पार्टी ने प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी थी.

ताली एक हाथ से नहीं बजती-सचिन बिरला

पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कृषि मंत्री कमल पटेल और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए सचिन बिरला ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. कमल पटेल और सचिन बिरला ने कहा ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों की जरूरत थी. दोनों के दिल मिले और सचिन हमारे साथ आ गए.

क्षेत्र के विकास के लिए थामा बीजेपी का दामन

सचिन बिरला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने बीजेपी का दामन थामा . सचिन बिरला ने कहा कि वे कांग्रेस शासनकाल में काम करवाने जाते थे, लेकिन उनके काम नहीं होते थे. सीएम शिवराज ने कांग्रेस में होने के बाद उनके क्षेत्र के विकास कार्यों को करने पर सहमति दी. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने का मन बना लिया.

गुर्जर वोटों पर है सचिन बिरला की पकड़

कांग्रेस के टिकट पर जब सचिन बिरला चुनाव लड़े थे, तब उन्होंने गुर्जर वोट बैंक की मदद से ही 30,000 से ज्यादा मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के हितेंद्र सोलंकी को हराया था. इसके बाद कमलनाथ सरकार गिरने के कारण सचिन बिरला को जो क्षेत्र में विकास कराने थे, वे अटक गए. उन्होंने कांग्रेस के स्तर पर अपनी मांगे पार्टी आलाकमान के सामने रखी, लेकिन सरकार नहीं होने के कारण वे भाजपा की ओर झुक गए.

भोपाल। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए विधायक सचिन बिरला की सदस्यता का मामला विधानसभा सत्र से पहले सुलझा लिया जाएगा. कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उनकी सदस्यता को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है.कांग्रेस विधायक दल ने (mla sachin birla membership issu)दल बदल कानून के तहत सचिन बिरला की सदस्यता समाप्ति की मांग विधानसभा अध्यक्ष से की है.

विधायक सचिन बिरला की सदस्यता का पेंच

कांग्रेस का बाय-बाय कहकर बीजेपी में शामिल हुए विधायक सचिन बिरला की सदस्यता पर फैसला विधानसभा सत्र से पहले हो सकता है. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले इस मामले में कोई निर्णय हो जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि कांग्रेस विधायक दल का पत्र मुझे मिला है. मैं उस पर जल्द निर्णय करने वाला हूं. उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने के पहले फैसला((Threat of anti defection law on membership of MLA Sachin Birla)) हो जाएगा. 20 दिसंबर से 24 दिसंबर तक विधानसभा का शीतकालीन सत्र चलना है.

कांग्रेस ने की थी दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग

बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान चुनावी सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए थे. कांग्रेस ने इसी आधार पर उनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्यवाही की मांग विधानसभा अध्यक्ष से की है. विधानसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में कांग्रेस विधायक दल के सचेतक डॉ गोविंद सिंह ने कहा था कि सचिन बिरला को किसी अन्य दल में शामिल होने के पहले विधायक पद से इस्तीफा देना चाहिए था . भाजपा में शामिल होने के बाद भी विधायक बिरला ने विधानसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा नहीं भेजा (congress demand action on sachin birla)है.

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उपचुनावों से पहले कांग्रेस को सचिन ने दिया था झटका

एमपी में एक लोकसभा समेत तीन विधानसभा उपचुनाव के पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था. चुनाव प्रचार के बीच ही खरगोन जिले की बड़वाह विधानसभा से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला बीजेपी में शामिल हो गए थे. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की (sachin birla left bjp joined congress)सभा में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. सचिन बिरला को बीजेपी में लाने के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल ने सक्रिय भूमिका निभाई थी. कमल पटेल को इस क्षेत्र में पार्टी ने प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी थी.

ताली एक हाथ से नहीं बजती-सचिन बिरला

पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कृषि मंत्री कमल पटेल और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए सचिन बिरला ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. कमल पटेल और सचिन बिरला ने कहा ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों की जरूरत थी. दोनों के दिल मिले और सचिन हमारे साथ आ गए.

क्षेत्र के विकास के लिए थामा बीजेपी का दामन

सचिन बिरला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने बीजेपी का दामन थामा . सचिन बिरला ने कहा कि वे कांग्रेस शासनकाल में काम करवाने जाते थे, लेकिन उनके काम नहीं होते थे. सीएम शिवराज ने कांग्रेस में होने के बाद उनके क्षेत्र के विकास कार्यों को करने पर सहमति दी. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने का मन बना लिया.

गुर्जर वोटों पर है सचिन बिरला की पकड़

कांग्रेस के टिकट पर जब सचिन बिरला चुनाव लड़े थे, तब उन्होंने गुर्जर वोट बैंक की मदद से ही 30,000 से ज्यादा मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के हितेंद्र सोलंकी को हराया था. इसके बाद कमलनाथ सरकार गिरने के कारण सचिन बिरला को जो क्षेत्र में विकास कराने थे, वे अटक गए. उन्होंने कांग्रेस के स्तर पर अपनी मांगे पार्टी आलाकमान के सामने रखी, लेकिन सरकार नहीं होने के कारण वे भाजपा की ओर झुक गए.

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