सिवनी। 4 साल की बच्ची से दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने वाले आरोपी को सुनाए गए मृत्यु दंड के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (supreme court ) ने उम्र कैद में बदल दिया. दरअसल, अदालत ने फैसला बुधवार को सुनाया, जिसमें 17 अप्रैल 2013 को सिवनी के घनसौर में दुष्कर्म के आरोपी को सजा सुनाई गई थी. जबलपुर हाईकोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई थी. जिसमें अब न्यायाधीश यूयू ललित, एस रविंद्र भट और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले में दोषी को सुनाए गए मृत्युदंड को उम्र कैद में बदल दिया.(supreme court granted life to a death row convict)
संत का अतीत और पापी का भविष्य होता है: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महान लेखक ऑस्कर वाइल्ड ने कहा था कि इस संसार में किसी संत और पापी में एकमात्र अंतर यही है कि हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य होता है. कोई भी अपराधी अपने अपराध के अंजाम से बच नहीं सकता.
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अपराधी को मिलता है एक मौका: अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता और जघन्यता को देखते हुए अपराधी के लिए मौत की सजा के बदले आजीवन कारावास की सजा उचित होगी. मगर हमें न्यायिक सिद्धांतों के जरिए यह सिखाया जाता है कि अपराध की कठोर सजा हमेशा कारगर नहीं होती. अपराधी में अगर सुधार की कुछ गुंजाइश नजर आए, तो उसे एक मौका दिया जाना चाहिए
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सिवनी जिले का है मामला : (seoni mp) 17 अप्रैल 2013 को सिवनी जिले के घंसौर में 4 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म (rape) किया गया था, जिसके बाद बच्ची की महाराष्ट्र में इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी. बच्ची के साथ इस घिनौनी हरकत को 35 साल के मोहम्मद फिरोज ने अंजाम दिया था. बाद में बच्ची को एक खेत में फेंक दिया था.
आरोपी बिहार से हुआ था गिरफ्तार: एक निजी पावर प्लांट में काम करने वाले फिरोज को बिहार के भागलपुर के हुसैनाबाद इलाके से गिरफ्तार किया गया था. मामले में सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने उसे हत्या के आरोप में मृत्यु दंड और दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
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मृत्यु दंड को उम्र कैद में बदली: बाद में आरोपी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, यहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी. हाईकोर्ट में निराशा हाथ लगने के बाद दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में मृत्यु दंड की सजा के खिलाफ अपील की थी, जहां अदालत ने मामले में हाईकोर्ट और निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए उसके मृत्यु दंड को उम्र कैद में बदल दिया.