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श्रीराम के पूर्वज महाराजा रघु से डरकर कुबेर ने इस कुंड में फेंका था सोना...

भगवान श्रीराम से जुड़ी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक कहानियों को सभी जानते हैं. श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है. दीपोत्सव से ठीक पहले आज हम अयोध्या के ऐसे कुंड की कहानी बताएंगे, जिसमें त्रेता युग में भगवान श्रीराम के पूर्वज महाराजा रघु के डर से कुबेर ने सोने की वर्षा कर दी थी.

स्वर्ण खंड कुंड से जुड़ी मान्यता की कहानी
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Published : Oct 16, 2019, 12:44 PM IST

अयोध्या\भोपाल : रेलवे स्टेशन से एक किलो मीटर दूर बड़ी छावनी से दक्षिण की ओर 'स्वर्ण खंड कुंड' मौजूद है, जिसका जिक्र बाल्मीकि रामायण और स्कन्द पुराण के अयोध्या महात्म्य में बताया गया है. स्वर्ण खंड कुंड मंदिर के उत्तराधिकारी रत्नेश दास ने बताया कि जब महाराजा रघु ने विश्व को जीतने के बाद विश्वजीत यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें अपनी सारी स्वर्ण मुद्राएं और धन को गरीब, याचकों और ब्राम्हणों को दान कर दिया था.

स्वर्ण खंड कुंड से जुड़ी मान्यता की कहानी

यज्ञ के बाद कौत्सकी उनके यहां आए बोले राजन मुझे अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देने के लिए स्वर्ण मुद्राएं चाहिए, लेकिन आप ने सब कुछ दान कर दिया तो मुझे अब क्या दान करेंगे ? तब महाराजा रघु ने कहा आज रात्रि यहीं विश्राम कीजिए हम कुछ उपाय करते हैं. इसके बाद महाराजा रघु ने अपने सेनापति और अपने मंत्रियों से चर्चा की और उन्होंने धन संपदा के स्वामी कुबेर पर आक्रमण करने की योजना बनाकर आक्रमण करने का आदेश दिया.

कुबेर को जैसे यह खबर मिली महाराजा रघु हमारे ऊपर आक्रमण करेंगे तो उन्होंने उसी रात महाराज रघु के यज्ञ के समीप इस कुंड में स्वर्ण मुद्राओं की बारिश कर दी. इस बारिश में करोड़ों स्वर्ण मुद्राएं आ गईं, जिसे सुबह महाराजा रघु ने कौत्सकी को देने के लिए कहा. इसके बाद ईश्वर रूपी बालक भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ.

अयोध्या\भोपाल : रेलवे स्टेशन से एक किलो मीटर दूर बड़ी छावनी से दक्षिण की ओर 'स्वर्ण खंड कुंड' मौजूद है, जिसका जिक्र बाल्मीकि रामायण और स्कन्द पुराण के अयोध्या महात्म्य में बताया गया है. स्वर्ण खंड कुंड मंदिर के उत्तराधिकारी रत्नेश दास ने बताया कि जब महाराजा रघु ने विश्व को जीतने के बाद विश्वजीत यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें अपनी सारी स्वर्ण मुद्राएं और धन को गरीब, याचकों और ब्राम्हणों को दान कर दिया था.

स्वर्ण खंड कुंड से जुड़ी मान्यता की कहानी

यज्ञ के बाद कौत्सकी उनके यहां आए बोले राजन मुझे अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देने के लिए स्वर्ण मुद्राएं चाहिए, लेकिन आप ने सब कुछ दान कर दिया तो मुझे अब क्या दान करेंगे ? तब महाराजा रघु ने कहा आज रात्रि यहीं विश्राम कीजिए हम कुछ उपाय करते हैं. इसके बाद महाराजा रघु ने अपने सेनापति और अपने मंत्रियों से चर्चा की और उन्होंने धन संपदा के स्वामी कुबेर पर आक्रमण करने की योजना बनाकर आक्रमण करने का आदेश दिया.

कुबेर को जैसे यह खबर मिली महाराजा रघु हमारे ऊपर आक्रमण करेंगे तो उन्होंने उसी रात महाराज रघु के यज्ञ के समीप इस कुंड में स्वर्ण मुद्राओं की बारिश कर दी. इस बारिश में करोड़ों स्वर्ण मुद्राएं आ गईं, जिसे सुबह महाराजा रघु ने कौत्सकी को देने के लिए कहा. इसके बाद ईश्वर रूपी बालक भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ.

Intro:अयोध्या. भगवान श्री राम से जुड़ी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और पौराणिक कहानियों को सभी जानते हैं, श्रीराम की कोमलता, वीरता और भक्ति के कारण ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है। दीपोत्सव से ठीक पहले आज हम अयोध्या के ऐसे कुंड की कहानी बताएंगे जिसमे त्रेता युग मे भगवान श्रीराम के पूर्वज महाराजा रघु के डर से कुबेर ने सोने की वर्षा कर दी थी।


Body:अयोध्या में रेलवे स्टेशन से 1किलोमीटर दूर बड़ी छावनी से दक्षिण की ओर 'स्वर्ण खंड कुंड' मौजूद है। जिसका जिक्र वाल्मीकि रामायण, और स्कन्द पुराण के अयोध्या महात्म्य में बताया गया है। ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान स्वर्ण खंड कुंड मंदिर के उत्तराधिकारी रत्नेश दास ने बताया कि, जब महाराजा रघु ने विश्व को जीतने के बाद विश्वजीत यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें अपनी सारा स्वर्ण मुद्राएं और धन गरीबों याचकों और ब्राम्हणों को दान कर दिया था। यज्ञ के बाद कौत्सकी उनके यहां आए बोले राजन मुझे अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देने के लिए स्वर्ण मुद्राएं चाहिए। लेकिन आप ने सब कुछ दान कर दिया है, तो मुझे क्या अब क्या दान करेंगे? तब महाराजा रघु ने कहा आज रात्रि यहीं विश्राम कीजिए, हम कुछ उपाय करते हैं। इसके बाद महाराजा रघु ने अपने सेनापति और अपने मंत्रियों से चर्चा की और उन्होंने धन संपदा के स्वामी कुबेर पर आक्रमण करने की योजना बनाई और आक्रमण करने का आदेश दिया, जैसे ही कुबेर को जैसे यह खबर मिली महाराजा रघु हमारे पर आक्रमण करेंगे उन्होंने उसी रात महाराज रघु के यज्ञ के समीप इस कुंड में स्वर्ण मुद्राओं की बारिश कर दी और इस बारिश में करोड़ों स्वर्ण मुद्राएं आ गई सुबह महाराजा रघु ने कौशिकी को देने के लिए कहा जिस पर कौशिकी प्रसन्न हुए उन्होंने कहा महाराज मुझे अपने गुरुदेव को देने के लिए सिर्फ 20000 मुद्रा ही चाहिए इसके बाद महाराजा ने उन्हें भी स्वर्ण मुद्रा की संपत्ति दान कर दी और दान दिया जल्दी ही ईश्वर एक बालक जन्म लेगा और उसी के बाद भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ।


Conclusion:अयोध्या इसीलिए कहते हैं रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई महाराजा रघु की अपने इस वचन को निभाने के लिए विश्वजीत करने के बाद भी आक्रमण का आदेश दे दिया इस कुंड को इसी कारण गुरु दक्षिणा के लिए भी जाना जाता है जिसमें उन्होंने दक्षिणा देने के लिए और दान करने के लिए यज्ञ के बाद आक्रमण की तैयारी कर ली।
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