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Union Budget 2019: इन शब्दों का मतलब समझ लिया तो आप भी बन सकते हैं 'बजट गुरु' - बजट 2019

देश के बजट को जानने और समझने के लिये कुछ खास शब्दों के मतलब को जानना जरूरी होता, इन शब्दों के बारे में यदि आपको जानकारी है तो आप बजट के अच्छे जानकार बन सकते हैं.

बजट पर खास पेशकश
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Published : Feb 1, 2019, 4:51 AM IST

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी. पूरे देश के लोगों की नजर फरवरी में पेश होने वाले बजट पर टिकी रहती है. लेकिन जब हम बजट के बारे में बात करते हैं या उसे समझने की कोशिश करते हैं तो हमारे सामने कई ऐसे शब्द आते हैं जिनके शब्दों को हम समझ नहीं पाते. हम आपको उन्हें शब्दों को सरल भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

  • अंतरिम बजट (Interim Budget)- तकनीकी रूप से अंतरिम बजट चुनावी साल में कुछ वक्त तक देश को चलाने के लिए खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता है. नई सरकार बनाने के लिए जो समय होता है, उस अवधि के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश किया जाता है.
  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP)- एक वर्ष में उत्पादित हर तरह की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के संयुक्त बाजार मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. चूंकि इससे बाजार के विकास की गति पता चलती है, इसलिए इसे अर्थव्यवस्था का सूचक भी कहा जाता है.
  • वित्तीय घाटा (Fiscal deficit)- सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है. इससे इस बात की जानकारी होती है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है.
  • वित्त विधेयक (Finance Bill)- इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों का प्रस्ताव करते हैं. इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है.
  • प्रत्यक्ष कर (Direct tax)- डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की किसी भी स्रोत से हुई इनकम पर लगाई जाता है. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
  • अप्रत्यक्ष कर (Indirect tax)- इन-डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है जो ग्राहकों की ओर से सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर लगाया जाता है. कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
  • सीमा शुल्क (Custom Duty)- कस्टम्स ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश में आयात होने वाले सामान पर लगाया जाता है.
  • सेवा कर (Service tax)- बाजार में मौजूद कई तरह सेवाओं, जैसे मोबाइल, सैलून, कोचिंग, रेस्त्रां वगैरह की सेवाओं को लेने के बदले कुछ मात्रा में शुल्क देना पड़ता है. इसी को सर्विस टैक्स कहते हैं. फिलहाल इसे सरकार ने ग्राहकों पर छोड़ दिया गया है कि वे ये टैक्स देना चाहते है या नहीं.
  • सब्सिडी (Subsidies)- सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकदी या टैक्स से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है. भारत में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है.
  • बैंलेस शीट (Balance Sheet)- बैंलेस शीट में सरकार को साल भर में टैक्स के जरिए प्राप्त होने वाली आमदनी और उसके द्वारा किया जाने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा होता है.
    खास रिपोर्ट
  • पूंजीगत परिसंपत्ति (Capital Asset)- जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल एसेट कहलाती है. यह बॉन्ड, शेयर मार्केट और रॉ मैटेरियल में से कुछ भी हो सकता है.
  • कर निर्धारण वर्ष (Assessment Year)- कर निर्धारण वर्ष किसी वित्तीय वर्ष का अगला वर्ष होता है. जैसे 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक होगा.
  • राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)- एक ऐसी नीति जो कि सरकार की आय, सार्वजनिक व्यय (रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली पानी सड़क इत्यादि), कर की दरों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष), सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था से संबंधित होती है.
  • उपकर (Cess)- इसे कर के साथ किसी विशेष उद्देश्य के लिए धन इकठ्ठा करने के लिए, कर आधार पर ही लगाया जाता है. जैसे कि स्वच्छ भारत सेस, कृषि कल्याण सेस, स्वच्छ पर्यावरण सेस.
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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी. पूरे देश के लोगों की नजर फरवरी में पेश होने वाले बजट पर टिकी रहती है. लेकिन जब हम बजट के बारे में बात करते हैं या उसे समझने की कोशिश करते हैं तो हमारे सामने कई ऐसे शब्द आते हैं जिनके शब्दों को हम समझ नहीं पाते. हम आपको उन्हें शब्दों को सरल भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

  • अंतरिम बजट (Interim Budget)- तकनीकी रूप से अंतरिम बजट चुनावी साल में कुछ वक्त तक देश को चलाने के लिए खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता है. नई सरकार बनाने के लिए जो समय होता है, उस अवधि के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश किया जाता है.
  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP)- एक वर्ष में उत्पादित हर तरह की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के संयुक्त बाजार मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. चूंकि इससे बाजार के विकास की गति पता चलती है, इसलिए इसे अर्थव्यवस्था का सूचक भी कहा जाता है.
  • वित्तीय घाटा (Fiscal deficit)- सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है. इससे इस बात की जानकारी होती है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है.
  • वित्त विधेयक (Finance Bill)- इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों का प्रस्ताव करते हैं. इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है.
  • प्रत्यक्ष कर (Direct tax)- डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की किसी भी स्रोत से हुई इनकम पर लगाई जाता है. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
  • अप्रत्यक्ष कर (Indirect tax)- इन-डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है जो ग्राहकों की ओर से सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर लगाया जाता है. कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
  • सीमा शुल्क (Custom Duty)- कस्टम्स ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश में आयात होने वाले सामान पर लगाया जाता है.
  • सेवा कर (Service tax)- बाजार में मौजूद कई तरह सेवाओं, जैसे मोबाइल, सैलून, कोचिंग, रेस्त्रां वगैरह की सेवाओं को लेने के बदले कुछ मात्रा में शुल्क देना पड़ता है. इसी को सर्विस टैक्स कहते हैं. फिलहाल इसे सरकार ने ग्राहकों पर छोड़ दिया गया है कि वे ये टैक्स देना चाहते है या नहीं.
  • सब्सिडी (Subsidies)- सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकदी या टैक्स से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है. भारत में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है.
  • बैंलेस शीट (Balance Sheet)- बैंलेस शीट में सरकार को साल भर में टैक्स के जरिए प्राप्त होने वाली आमदनी और उसके द्वारा किया जाने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा होता है.
    खास रिपोर्ट
  • पूंजीगत परिसंपत्ति (Capital Asset)- जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल एसेट कहलाती है. यह बॉन्ड, शेयर मार्केट और रॉ मैटेरियल में से कुछ भी हो सकता है.
  • कर निर्धारण वर्ष (Assessment Year)- कर निर्धारण वर्ष किसी वित्तीय वर्ष का अगला वर्ष होता है. जैसे 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक होगा.
  • राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)- एक ऐसी नीति जो कि सरकार की आय, सार्वजनिक व्यय (रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली पानी सड़क इत्यादि), कर की दरों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष), सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था से संबंधित होती है.
  • उपकर (Cess)- इसे कर के साथ किसी विशेष उद्देश्य के लिए धन इकठ्ठा करने के लिए, कर आधार पर ही लगाया जाता है. जैसे कि स्वच्छ भारत सेस, कृषि कल्याण सेस, स्वच्छ पर्यावरण सेस.
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Union Budget 2019: इन शब्दों का मतलब समझ लिया तो आप भी बन सकते हैं 'बजट गुरु'





नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी. पूरे देश के लोगों की नजर फरवरी में पेश होने वाले बजट पर टिकी रहती है. लेकिन जब हम बजट के बारे में बात करते हैं या उसे समझने की कोशिश करते हैं तो हमारे सामने कई ऐसे शब्द आते हैं जिनके शब्दों को हम समझ नहीं पाते. हम आपको उन्हें शब्दों को सरल भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं.





अंतरिम बजट (Interim Budget)- तकनीकी रूप से अंतरिम बजट चुनावी साल में कुछ वक्त तक देश को चलाने के लिए खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता है. नई सरकार बनाने के लिए जो समय होता है, उस अवधि के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश किया जाता है.





सकल घरेलू उत्पाद (GDP)- एक वर्ष में उत्पादित हर तरह की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के संयुक्त बाजार मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. चूंकि इससे बाजार के विकास की गति पता चलती है, इसलिए इसे अर्थव्यवस्था का सूचक भी कहा जाता है. 





वित्तीय घाटा (Fiscal deficit)- सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है. इससे इस बात की जानकारी होती है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है. 





वित्त विधेयक (Finance Bill)-  इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों का प्रस्ताव करते हैं. इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है.





 प्रत्यक्ष कर (Direct tax) डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की किसी भी स्रोत से हुई इनकम पर लगाई जाता है.  इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.





अप्रत्यक्ष कर (Indirect tax) इन-डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है जो ग्राहकों की ओर से सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर लगाया जाता है. कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.





सीमा शुल्क (Custom Duty) कस्टम्स ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश में आयात होने वाले सामान पर लगाया जाता है.





सेवा कर (Service tax)  बाजार में मौजूद कई तरह सेवाओं, जैसे मोबाइल, सैलून, कोचिंग, रेस्त्रां वगैरह की सेवाओं को लेने के बदले कुछ मात्रा में शुल्क देना पड़ता है. इसी को सर्विस टैक्स कहते हैं. फिलहाल इसे सरकार ने ग्राहकों पर छोड़ दिया गया है कि वे ये टैक्स देना चाहते है या नहीं. 





सब्सिडी (Subsidies) सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकदी या टैक्स से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है. भारत में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. 





बैंलेस शीट (Balance Sheet)  बैंलेस शीट में सरकार को साल भर में टैक्स के जरिए प्राप्त होने वाली आमदनी और उसके द्वारा किया जाने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा होता है.





पूंजीगत परिसंपत्ति (Capital Asset) जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल एसेट कहलाती है. यह बॉन्ड, शेयर मार्केट और रॉ मैटेरियल में से कुछ भी हो सकता है.





कर निर्धारण वर्ष (Assessment Year) कर निर्धारण वर्ष किसी वित्तीय वर्ष का अगला वर्ष होता है. जैसे 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक होगा.





राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)- एक ऐसी नीति जो कि सरकार की आय, सार्वजनिक व्यय (रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली पानी सड़क इत्यादि), कर की दरों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष), सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था से संबंधित होती है. 





उपकर (Cess): इसे कर के साथ किसी विशेष उद्देश्य के लिए धन इकठ्ठा करने के लिए, कर आधार पर ही लगाया जाता है. जैसे कि स्वच्छ भारत सेस, कृषि कल्याण सेस, स्वच्छ पर्यावरण सेस.  


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