भोपाल। केंद्र सरकार (Central Government) के निर्देश पर मध्यप्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लग गया है. अब प्लास्टिक थर्मोकोल से बनी वस्तुओं के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और खरीद-बिक्री नहीं की जा सकेगी. प्लास्टिक पर रोक लगाने का यह पहला चरण है. इसकी जगह कागज, जूट, कांच, लखड़ी आदि से बने उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है. (Single use plastic banned in MP) स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करते हुए पाया गया तो उस पर जुर्माना (Penalty) लगाया जाएगा. नगर विकास एवं आवास विभाग ने प्रदेश में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम-2016 को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिये हैं.
कितना लगेगा जुर्माना: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार,जो भी उस प्रतिबंध का उल्लंघन करते पाया गया, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. इसी के साथ संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना लगने के साथ ही जेल भी भेजा सकता है. इसके लिए जुर्माना एक लाख रुपये और सजा 5 साल तक हो सकती है. मंत्रालय ने कहा है कि अगर बार-बार आदेश की अवहेलना की गई तो प्रति दिन जुर्माना 5,000 रुपये बढ़ सकता है. इसके अलावा हर राज्य के स्थानीय प्राधिकरण केंद्रीय जुर्माने के अलावा अपना जुर्माना खुद भी तय करेंगे.
इन प्लास्टिक सामानों पर लगी रोक : पेय पदार्थ पीने वाले स्ट्रॉ यानी पाइप, गुब्बारे में लगने वाला प्लास्टिक का पाइप, ईयर बड, सिगरेट के पैकेट पर उपयोग होने वाली पॉलीथिन, प्लास्टिक के फ्लैग, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, थर्माकॉल से बनी प्लेट, प्लास्टिक के प्लेट्स, कप, चम्मच- प्लास्टिक से बने इनविटेशन कार्ड, प्लास्टिक पैकिंग का सामान, 100 माइक्रॉन से कम पीवीसी बैनर, पेय पदार्थ घोलने में उपयोग आने वाले स्टिरर, मिठाई के डिब्बों के प्लास्टिक के रैपर.
भोपाल में ही कम होगा 85 क्विंटल कचरा : सिंगल यूज प्लास्टिक प्रदेश के शहरों में कचरे का ढेर बढ़ा रहा है. यह न सिर्फ स्थानीय निकायों के लिए सिरदर्द है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है. मध्यप्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेशभर के शहरों में रोज करीबन 3 हजार क्विंटल प्लास्टिक कचरा निकलता है. इसमें सबसे ज्यादा एक बार उपयोग होने वाली प्लास्टिक बैग, बॉटल आदि होती हैं. जबकि राजधानी भोपाल में हर रोज करीब 85 क्विंटल सिंगल यूज प्लास्टिक निकल रहा है.
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इसलिए किया जा रहा प्लास्टिक पर बैन : सिंगल यूज प्लास्टिक न सिर्फ पर्यावरण बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद हानिकारक है. पर्यावरणविद् सुभाष पांडे कहते हैं कि प्लास्टिक के उपयोग के बाद इसे कचरे में फेंक दिया जाता है. यह कचरा मिट्टी में सालों दबा रहने के बाद भी पूरी तरह से डिस्ट्रॉय नहीं होता. सिंगल यूज प्लास्टिक न तो पूरी तरह से नष्ट हो पाता है और न ही रिसाइकिल होता है. उपयोग के दौरान और कचरे के रूप में फेंके जाने के बाद धीरे-धीरे यह हमारी फूड चेन में शामिल हो जाता है, जो स्वास्थ्य पर बेहद विपरीत असर डाल रहे हैं.
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