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तीसरी संतान होने पर वेतन वृद्धि रोकी, याचिकाकर्ता ने दी चुनौती, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

जनजाति विभाग सिवनी से जुड़े इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य शासन और आयुक्त जनजाति विभाग सिवनी से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.

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तीसरी संतान होने पर वेतन वृद्धि रोकी
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Published : Jul 22, 2021, 7:46 PM IST

जबलपुर। दो से अधिक बच्चे होने पर वेतन वृद्धि रोके जाने के मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की सिंगल बेंच ने मध्य प्रदेश सरकार और मामले से जुड़े सहायक आयुक्त जनजाति विभाग सिवनी से जवाब-तलब किया है.

यह है मामला

सिवनी निवासी याचिकाकर्ता अखिलेश नेमा की तरफ से 2 से अधिक बच्चे होने पर वेतन वृद्धि रोके जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल गई थी. अखिलेश नेमा की 1999 में पंचायत शिक्षाकर्मी के तौर पर नियुक्ति हुई थी. बाद में उसका पंचायत विभाग के अंतर्गत सहायक शिक्षक के पद पर संविलियन कर दिया गया. इसके बाद साल 2015 में याचिकाकर्ता की दो में से एक संतान को उनके भाई ने विधिवत गोद ले लिया था. इसके बाद वर्ष 2018 के जनवरी में याचिकाकर्ता के तीसरी संतान हुई. इसी साल 2018 में याचिकाकर्ता का संविलियन शासन के अंतर्गत शिक्षक के कैडर में हो गया, लेकिन तीसरी संतान के बाद उसकी वेतनवृद्धि रोक दी गई.

यह है याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता अखिलेश नेमा ने अपनी याचिका में जो तर्क दिया उसके अनुसार पंचायत विभाग के आचरण नियम में दो से अधिक संतान होना कोई कदाचरण नहीं था. तीसरी संतान का जन्म 2018 में शासन के अंतर्गत शिक्षक के कैडर में संविलियन होने के पहले हुआ था. बावजूद इसके उसकी वेतन वृद्धि रोक दी गई. इस पर आवेदक का कहना है कि उक्त आदेश न केवल याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित किया गया है, बल्कि अवैधानिक भी है. मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस संजय द्विवेदी की पीठ ने राज्य सरकार और आयुक्त पंचायत विभाग को अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

जबलपुर। दो से अधिक बच्चे होने पर वेतन वृद्धि रोके जाने के मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की सिंगल बेंच ने मध्य प्रदेश सरकार और मामले से जुड़े सहायक आयुक्त जनजाति विभाग सिवनी से जवाब-तलब किया है.

यह है मामला

सिवनी निवासी याचिकाकर्ता अखिलेश नेमा की तरफ से 2 से अधिक बच्चे होने पर वेतन वृद्धि रोके जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल गई थी. अखिलेश नेमा की 1999 में पंचायत शिक्षाकर्मी के तौर पर नियुक्ति हुई थी. बाद में उसका पंचायत विभाग के अंतर्गत सहायक शिक्षक के पद पर संविलियन कर दिया गया. इसके बाद साल 2015 में याचिकाकर्ता की दो में से एक संतान को उनके भाई ने विधिवत गोद ले लिया था. इसके बाद वर्ष 2018 के जनवरी में याचिकाकर्ता के तीसरी संतान हुई. इसी साल 2018 में याचिकाकर्ता का संविलियन शासन के अंतर्गत शिक्षक के कैडर में हो गया, लेकिन तीसरी संतान के बाद उसकी वेतनवृद्धि रोक दी गई.

यह है याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता अखिलेश नेमा ने अपनी याचिका में जो तर्क दिया उसके अनुसार पंचायत विभाग के आचरण नियम में दो से अधिक संतान होना कोई कदाचरण नहीं था. तीसरी संतान का जन्म 2018 में शासन के अंतर्गत शिक्षक के कैडर में संविलियन होने के पहले हुआ था. बावजूद इसके उसकी वेतन वृद्धि रोक दी गई. इस पर आवेदक का कहना है कि उक्त आदेश न केवल याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित किया गया है, बल्कि अवैधानिक भी है. मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस संजय द्विवेदी की पीठ ने राज्य सरकार और आयुक्त पंचायत विभाग को अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

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