भोपाल। ETV BHARAT की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA Scam) के दोनों ठेकों को आखिरकार निरस्त कर दिया गया है. ई-टीवी भारत ने गहरी पड़ताल कर खुलासा किया था कि बिना सक्षम अनुमतियों के हाई पाॅवर कमेटी ने दोनों निविदाओं को एप्रूव किया गया था. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) ने अब चिंकी बैराज नरसिंहपुर और खरगौन के प्रोजेक्ट के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर दिए हैं. नए टेंडर की आखिरी तारीख 30 सितंबर तय की गई है.
NVDA के ऐसे करीब 10 प्रोजेक्ट हैं, जो अभी पाइपलाइन में हैं. इनमें से इन दो प्रोजेक्ट की निविदा पुनरीक्षित दरों पर फिर से जारी की गई हैं. ETV BHARAT ने मामले में कुछ गंभीर सवाल उठाए थे. पहला सवाल ये था कि पुरानी स्वीकृत दरों से 23 फीसदी ज्यादा राशि के टेंडर (NVDA Scam) जारी किए गए थे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Cm Shivraj Singh Chouhan) की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने उन्हें स्वीकार भी कर लिया था. लेकिन ETV BHARAT के खुलासे के बाद वित्त विभाग की रेवेन्यु अससमेंट कमेंटी ने इन निविदाओं को निरस्त कर दिया था. लेकिन आरोप लगे कि कमेटी ने राजनीतिक दवाब के चलते दोनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत को 6812 करोड़ से बढ़ाकर 8393 करोड़ कर दिया. कुल दस परियोजनाएं पहले 21500 करोड़ रुपए की स्वीकृत थीं, उनकी राशि भी बढ़ाकर 28 हजार करोड़ करने की प्रक्रिया चल रही है.
NVDA Scam: किसे फायदा पहुंचाने की कोशिश, 23% ज्यादा पर टेंडर क्यों निकाले
सूत्रों के अनुसार जिन दो परियोजनाओं की निविदा(NVDA Scam) जारी की गई है, उनमें वही पुराने ठेकेदार ही टेंडर में भागीदारी कर रहे हैं. बताया जाता है कि ऐसा सिस्टम तैयार किया गया है कि कोई नया ठेकेदार इन दोनों परियोजनाओं में भागीदारी नहीं कर सके. इस बीच एक खबर यह भी मिल रही है कि गुजरात की एक कंपनी ने सरकार में संपर्क किया है. कंपी ने दवाब बनाया है कि जब हम भी चंदा देते हैं तो टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने से क्यों रोका जा रहा है. लेकिन ये सवाल जस का तस है कि आखिर कौन से कारण हैं, (NVDA Scam) जो इन दोनों टेंडर में पुरानी स्वीकृत अनुमानित राशि से 23 फीसदी ज्यादा पर टेंडर मंगाए गएहैं. हाल ही में चंबल बेतवा कछार की जल संसाधन विभाग की 200 करोड़ रुपए की एक परियोजना जून-जुलाई में स्वीकृत हुई है, जो एसओआर रेट से साढ़े 13 फीसदी कम में स्वीकृत हुई है. (NVDA Scam) वित्त विभाग ने इसका एप्रूवल भी दे दिया है. जल संसाधन विभाग की यह परियोजना भी एनवीडीए की इन परियोजनाओं के समकक्ष समय की स्वीकृत बताई जाती है. सूत्रों का कहना है कि जब पुरानी दरों पर जनसंसाधन विभाग में साढ़े 13 फीसदी कम दर पर टेंडर लिए जा रहे हैं, तब एनवीडीए में 23 फीसदी बढोतरी क्यों की गई.
NVDA Scam: किसके लिए बढ़ाए 1578 करोड़ ?
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार नर्मदा विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने पिछले साल ही 10 प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए तैयार किए गए थे. तत्कालीन कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) के समय इन दस परियोजनाओं पर करीब 22 हजार करोड़ रुपए खर्च होने थे. इनमें चिंकी प्रोजेक्ट पर 4453 करोड़ और खरगौन प्रोजेक्ट पर 2359 करोड़ रुपए की लागत तय हुई थी. (NVDA Scam) प्रोजेक्ट की ये अनुमानित राशि फरवरी 2020 में एनवीडीए ने तमाम तकनीकि रिसर्च के बाद तय की थी, लेकिन एक साल बाद मार्च 2021 में इन दोनों प्रोजेक्ट की लागत में लगभग 1578 करोड़ रुपए बढ़ोतरी कर दी गई. इनमें खरगोन जिले का 2959 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मेघा इंजीनियरिंग, दूसरा चिंकी प्रोजेक्ट नरसिंहपुर आरवीआर को दिया गया था.
NVDA Scam: कांग्रेस का आरोप, चहेतों को बांटी जा रही रेवड़ियां
अब दोनों टेंडर निरस्त होने को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस का आरोप है कि कोरोना काल में सरकार ने इस टेंडर के जरिए भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेला है. टेंडर निरस्त होने के बाद भी अब इसे अपनी चहेती कंपनियों को देने की तैयारी (NVDA Scam) की जा रही है.
NVDA Scam: 2024 तक पूरी करनी हैं सभी 10 परियोजनाएं
नर्मदा नदी के अपने हिस्से का 18.24 मिलियन एकड़ फीट पानी उपयोग करने के लिए 2024 तक सभी दस परियोजनाएं पूरी करनी हैं, लेकिन अभी तक दो एमएएफ पानी लेने के प्रोजेक्ट के टेंडर ही नहीं हो पाएं हैं. करीब एक दर्जन प्रोजेक्ट (NVDA Scam) का काम करीब 70 फीसदी तक अधूरा है.
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ये दस परियोजनाएं नहीं हो सकीं शुरू
- चिंकी वोरास बैराज, नरसिंहपुर
- शंकर पैंच जिंक, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा
- दूधी परियोजना, नरसिंहपुर
- अपर नर्मदा परियोजना, डिंडौरी
- हांडिया बैराज, हरदा
- राघवपुर बहुद्देशीय, डिंडोरी
- बसानिया, मंडला
- होशंगाबाद बैराज, होशंगाबाद
- कुक्षी परियोजना, धार
- सांवेर उद्धाहन, इंदौर