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मानसून सत्र के लिये तैयार कांग्रेस सरकार, विपक्ष ने भी कसी कमर - एमपी न्यूज

मध्यप्रदेश में 8 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है. कांग्रेस की पहली रणनीति 15 साल की भाजपा सरकार की नाकामियों के मुकाबले 6 महीने में कमलनाथ सरकार की उपलब्धियों के आधार पर विपक्ष के तेवरों से निपटने की होगी.

मप्र विधानसभा
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Published : Jun 22, 2019, 11:59 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में 8 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत होने जा रही है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह तीसरा सत्र होगा, जो करीब 19 दिन का होगा. इस सत्र में बजट पेश होने के साथ कई महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किए जाएंगे. सत्र की अधिसूचना जारी होते ही विपक्ष अपने तेवर फिलहाल सड़कों पर दिखा रहा है. कभी बिजली कटौती, कभी पेयजल संकट, कभी कानून-व्यवस्था के अलावा किसानों के नाम पर विपक्ष कांग्रेस को घेरने का काम कर रहा है.

माना जा रहा है कि विपक्ष की यही रणनीति विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान होगी. ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने भी कमर कसना शुरू कर दिया है. कांग्रेस की पहली रणनीति 15 साल की भाजपा सरकार की नाकामियों के मुकाबले 6 महीने में कमलनाथ सरकार की उपलब्धियों के आधार पर विपक्ष से निपटने की होगी. कांग्रेस ने इसी रणनीति के आधार पर अभी से मानसून सत्र की तैयारी शुरू कर दी है.

मानसून सत्र के लिये तैयार कांग्रेस सरकार, विपक्ष ने भी कसी कमर

मानसून सत्र की रणनीति बना रही सरकार
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार विपक्ष के तेवर देखकर साफ समझ रही है कि जिस तरह मौजूदा स्थिति में विपक्ष सड़क पर किसी ना किसी बहाने सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है. ऐसा ही नजारा सदन में मानसून सत्र के दौरान देखने को मिलेगा. ऐसे में सत्ता पक्ष ने अपनी रणनीति बनाना शुरु कर दी है. सत्तापक्ष सत्र शुरू होने के पहले 15 साल की शिवराज सरकार की नाकामियों, घोटालों और फर्जीवाड़े को जनता के सामने लाने और सदन में अपने विधायकों के जरिए इन मुद्दों को उठाकर विपक्ष को घेरने की रणनीति से काम करेगा. सरकार का पूरा फोकस इस बात पर होगा कि कैसे भाजपा के 15 साल की उम्र नाकामियों को सदन के जरिए जनता के सामने लाया जाए. इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता विधायकों का मार्गदर्शन कर रहे हैं. वही किसी न किसी रूप में तमाम घोटालों और नाकामियों को सदन शुरू होने के पहले जनता के सामने लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

सत्ता के लिये मछली की तरह झटपटा रही है बीजेपी: सुखदेव पांसे
इस बारे में कमलनाथ सरकार के मंत्री सुखदेव पांसे का कहना है कि विपक्ष की स्थिति यह है कि पानी में से जैसे मछली बाहर निकलकर झटपटाती रहती है. इनको सत्ता का खून लग गया है. 15 साल भ्रष्ट सरकार रही, इसलिए यह छटपटा रहे हैं. 15 साल जो बीजेपी को दिए गए, उनके काले कारनामों और पापों की सजा हम भोग रहे हैं. अभी हमारी सरकार के 6 महीने हुए हैं. लेकिन इतने कम समय में हमारे मुख्यमंत्री ने बड़े बड़े निर्णय लिए हैं. प्रॉपर्टी के मामले में, कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ, बेटियों की शादी के लिए 28 हजार से 51 हजार राशि और भावांतर की राशि डालने का काम हमारी सरकार ने किया है. बड़े-बड़े क्रांतिकारी निर्णय लेने के बाद हमारी सरकार 5 साल राज करेगी. इन 5 सालों में जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर भी लागू किया जाएगा. इसके बाद अगला जनादेश भी कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस को भी मिलेगा. वही मानसून सत्र में विपक्ष के घेरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका यह लोकतांत्रिक अधिकार है. सत्र में सवाल उठाना उनकी जिम्मेदारी है, प्रश्न का जवाब देना हमारी जिम्मेदारी है. हम उसका निर्वहन करेंगे.

भोपाल। मध्यप्रदेश में 8 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत होने जा रही है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह तीसरा सत्र होगा, जो करीब 19 दिन का होगा. इस सत्र में बजट पेश होने के साथ कई महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किए जाएंगे. सत्र की अधिसूचना जारी होते ही विपक्ष अपने तेवर फिलहाल सड़कों पर दिखा रहा है. कभी बिजली कटौती, कभी पेयजल संकट, कभी कानून-व्यवस्था के अलावा किसानों के नाम पर विपक्ष कांग्रेस को घेरने का काम कर रहा है.

माना जा रहा है कि विपक्ष की यही रणनीति विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान होगी. ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने भी कमर कसना शुरू कर दिया है. कांग्रेस की पहली रणनीति 15 साल की भाजपा सरकार की नाकामियों के मुकाबले 6 महीने में कमलनाथ सरकार की उपलब्धियों के आधार पर विपक्ष से निपटने की होगी. कांग्रेस ने इसी रणनीति के आधार पर अभी से मानसून सत्र की तैयारी शुरू कर दी है.

मानसून सत्र के लिये तैयार कांग्रेस सरकार, विपक्ष ने भी कसी कमर

मानसून सत्र की रणनीति बना रही सरकार
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार विपक्ष के तेवर देखकर साफ समझ रही है कि जिस तरह मौजूदा स्थिति में विपक्ष सड़क पर किसी ना किसी बहाने सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है. ऐसा ही नजारा सदन में मानसून सत्र के दौरान देखने को मिलेगा. ऐसे में सत्ता पक्ष ने अपनी रणनीति बनाना शुरु कर दी है. सत्तापक्ष सत्र शुरू होने के पहले 15 साल की शिवराज सरकार की नाकामियों, घोटालों और फर्जीवाड़े को जनता के सामने लाने और सदन में अपने विधायकों के जरिए इन मुद्दों को उठाकर विपक्ष को घेरने की रणनीति से काम करेगा. सरकार का पूरा फोकस इस बात पर होगा कि कैसे भाजपा के 15 साल की उम्र नाकामियों को सदन के जरिए जनता के सामने लाया जाए. इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता विधायकों का मार्गदर्शन कर रहे हैं. वही किसी न किसी रूप में तमाम घोटालों और नाकामियों को सदन शुरू होने के पहले जनता के सामने लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

सत्ता के लिये मछली की तरह झटपटा रही है बीजेपी: सुखदेव पांसे
इस बारे में कमलनाथ सरकार के मंत्री सुखदेव पांसे का कहना है कि विपक्ष की स्थिति यह है कि पानी में से जैसे मछली बाहर निकलकर झटपटाती रहती है. इनको सत्ता का खून लग गया है. 15 साल भ्रष्ट सरकार रही, इसलिए यह छटपटा रहे हैं. 15 साल जो बीजेपी को दिए गए, उनके काले कारनामों और पापों की सजा हम भोग रहे हैं. अभी हमारी सरकार के 6 महीने हुए हैं. लेकिन इतने कम समय में हमारे मुख्यमंत्री ने बड़े बड़े निर्णय लिए हैं. प्रॉपर्टी के मामले में, कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ, बेटियों की शादी के लिए 28 हजार से 51 हजार राशि और भावांतर की राशि डालने का काम हमारी सरकार ने किया है. बड़े-बड़े क्रांतिकारी निर्णय लेने के बाद हमारी सरकार 5 साल राज करेगी. इन 5 सालों में जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर भी लागू किया जाएगा. इसके बाद अगला जनादेश भी कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस को भी मिलेगा. वही मानसून सत्र में विपक्ष के घेरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका यह लोकतांत्रिक अधिकार है. सत्र में सवाल उठाना उनकी जिम्मेदारी है, प्रश्न का जवाब देना हमारी जिम्मेदारी है. हम उसका निर्वहन करेंगे.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह तीसरा सत्र होगा, जो करीब 15 दिन का होगा। इस सत्र में बजट पेश होने के साथ कई महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किए जाएंगे। सत्र की अधिसूचना जारी होते ही विपक्ष अपने तेवर फिलहाल सड़कों पर दिखा रहा है। कभी बिजली कटौती, कभी पेयजल संकट, कभी कानून व्यवस्था के अलावा किसानों के नाम पर विपक्ष सत्ताधारी दल कांग्रेस को सड़क पर घेरने का काम कर रहा है। माना जा रहा है कि यही रणनीति विपक्ष की विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान होगी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने भी कमर कसना शुरू कर दिया है। कांग्रेस की पहली रणनीति 15 साल की भाजपा सरकार की नाकामियों के मुकाबले 6 महीने में कमलनाथ सरकार की उपलब्धियों के आधार पर विपक्ष से निपटने की होगी। कांग्रेस ने इसी रणनीति के आधार पर अभी से मानसून सत्र की तैयारी शुरू कर दी है।


Body:दरअसल कांग्रेस की कमलनाथ सरकार विपक्ष के तेवर देखकर साफ समझ रही है कि जिस तरह मौजूदा स्थिति में विपक्ष सड़क पर किसी ना किसी बहाने सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। ऐसा ही नजारा सदन में मानसून सत्र के दौरान देखने को मिलेगा। ऐसे में सत्ता पक्ष ने अपनी रणनीति बनाना शुरु कर दी है। सत्तापक्ष सत्र शुरू होने के पहले 15 साल की शिवराज सरकार की नाकामियों, घोटालों और फर्जीवाड़े को जनता के सामने लाने और सदन में अपने विधायकों के जरिए इन मुद्दों को उठाकर विपक्ष को घेरने की रणनीति से काम करेगा। सरकार का पूरा फोकस इस बात पर होगा कि कैसे भाजपा के 15 साल की उम्र नाकामियों को सदन के जरिए जनता के सामने लाया जाए। इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता विधायकों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। वही किसी न किसी रूप में तमाम घोटालों और नाकामियों को सदन शुरू होने के पहले जनता के सामने लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।


Conclusion:इस बारे में कमलनाथ सरकार के मंत्री सुखदेव पांसे का कहना है कि विपक्ष की स्थिति यह है कि पानी में से जैसे मछली बाहर निकलकर झटपटाती रहती है। इनको सत्ता का खून लग गया है। 15 साल भ्रष्ट सरकार रही, इसलिए यह छटपटा रहे हैं। 15 साल जो बीजेपी को दिए गए, उनके काले कारनामों और पापों की सजा हम भोग रहे हैं।अभी हमारी सरकार के 6 महीने हुए हैं। लेकिन इतने कम समय में हमारे मुख्यमंत्री ने बड़े बड़े निर्णय लिए हैं। प्रॉपर्टी के मामले में, कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ, बेटियों की शादी के लिए 28 हजार से 51 हजार राशि और भावांतर की राशि डालने का काम हमारी सरकार ने किया है। बड़े-बड़े क्रांतिकारी निर्णय लेने के बाद हमारी सरकार 5 साल राज करेगी। इन 5 सालों में जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर भी लागू किया जाएगा। इसके बाद अगला जनादेश भी कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस को भी मिलेगा। वही मानसून सत्र में विपक्ष के घेरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका यह लोकतांत्रिक अधिकार है। सत्र में सवाल उठाना उनकी जिम्मेदारी है, प्रश्न का जवाब देना हमारी जिम्मेदारी है। हम उसका निर्वहन करेंगे।
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