भोपाल। 2024 के आम चुनाव से पहले 2023 के रण में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान पर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का खास फोकस है. छत्तीसगढ और राजस्थान में जहां 2024 से पहले बड़ी चुनौती बीजेपी की सत्ता में वापसी करना है. 2018 में मध्यप्रदेश भी इन्ही दो राज्यों के साथ 2018 में बीजेपी के हाथ से चला गया था, लेकिन 2020 में फिर सत्ता में हुई वापिसी के साथ एमपी ट्रैक पर है. मध्यप्रदेश से संघ और बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं. संगठन और सरकार के तौर पर एमपी बीजेपी और संघ की आदर्श राज्यों की लिस्ट में शामिल है. जानकारी के मुताबिक सितम्बर के दूसरे सप्ताह में आरएसएस की छत्तीसगढ में समन्वय बैठक होने जा रही है. माना जा रहा है कि इस बैठक में चुनाव के मुहाने पर ख़ड़े मध्यप्रदेश में बीजेपी का संगठन चर्चा का खास विषय होगा. बैठक में मध्यप्रदेश छत्तीसगढ के क्षेत्रीय सह संगठन महामंत्री अजय जामवाल, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष भी शामिल हो सकते हैं.
3 दिन के छत्तीसगढ़ दौरे पर रहेंगे मोहन भागवत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डा. मोहन भागवत भी समन्वय बैठक में शामिल होंगे. वे तीन दिवसीय दौरे पर छत्तीसगढ़ आ रहे हैं. 10 से 12 सितंबर तक राजधानी रायपुर में होने वाली में अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक होनी है. इसमें संघ के नए एजेंडे और राज्यों के साथ साथ 2024 में होने वाले आम चुनाव को लेकर संगठन की सक्रियता बढ़ाने को लेकर चर्चा की जाएगी. बैठक संघ के अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ-साथ बीजेपी के बड़े नेता भी शामिल हो सकते हैं.
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संघ का वैचारिक चिंतन, एमपी बीजेपी की चुनावी चिंता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस तरह की बैठकों में संघ के बाकी आनुषांगिक संगठनों के दायित्व, उनकी कार्यशैली के साथ अब तक किए गए कार्यों का फीडबैक लिया जाता है और आगे बेहतर काम करने की रणनीति बनाई जाती है. संघ और उसके 35 के करीब आनुषांगिक संगठन किस तरह से बेहतर ढंग से काम कर संघ की विचारधारा को विस्तार दे इस पर फोकस किया जाता है. मूल रुप से संघ की विचारधारा के आधार पर बना राजनीतिक दल बीजेपी भी इसमें शामिल है. जो राजनीतिक रुप से आगे बढ़ रही है. इसलिए संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक को लेकर ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में 2024 के आम चुनाव और मध्यप्रदेश में उससे पहले 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की अब तक की तैयारियों को लेकर फीडबैक लिया जा सकता है. मुमकिन है कि बैठक में वे एजेंडे भी तय हों जिन्हें संघ अपने हाथ में लेगा जिनका बीजेपी को विधानसभा और आमचुनावों में फायदा मिल सके.
समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 35 संगठन होते हैं शामिल: जानकारी के मुताबिक इन बैठकों में संघ के 35 के लगभग अनुषांगिक संगठनों के पूरे साल के क्रियाकलापों की जानकारी ली जाती है. इसमें इन संगठनोंको ये बताना होता है कि जो लक्ष्य तय किए गए हैं उनपर संगठनों का काम कहां तक पहुंचा और इस बीच किस तरह की दिक्कतें आईं. बैठक में संघ से जुड़े सेवा भारती, वनवासी सेवा आश्रम, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ समेत कई संगठन शामिल होते हैं.
2024 के पहले एमपी में 2023 की चिंता: माना जा रहा है कि आरएसएस की इस समन्वय बैठक में भले सारी रणनीति 2024 के आम चुनाव केन्द्रित रखते हुए तैयार की जाएगी, लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुकाबले बीजेपी की निगाह में डेढ साल बाद ही एमपी में सत्ता में लौट आई बीजेपी और संघ के लिए 2023 का इम्तेहान भी आसान नहीं दिखाई दे रहा है. निकाय चुनाव के नतीजों ने इस बात की संकेत दे दिए हैं. 16 नगर निगम में से 5 बीजेपी के हाथ से निकल चुके हैं. यह झटका देने वाली हार तो है ही साथ ही बीजेपी का बूथ तक मजबूत कार्यकर्ता भी इन चुनाव में अनदेखी से नाराज रहा है. माना जा रहा है कि चुनाव से पहले मध्यप्रदेश बीजेपी में संगठन की मजबूती का मुद्दा भी समन्वय बैठक में शामिल होगा.
संगठनों के शीर्ष अधिकारी होते हैं शामिल: संघ विचारक दीपक शर्मा बताते है ये असल में संगठन में काम करने वाले व्यक्तियों के बीच समन्वय की स्तिथि जानने के लिए बैठक है. संघ के जितने भी संगठन जिनकी अखिल भारतीय उपस्थिति है, उन संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी इस समन्वय बैठक में शामिल होते हैं. दीपक शर्मा बताते हैं कि इस बैठक में अलग अलग संगठनों के पदाधिकारी संघ के सामने यह जानकारी रखते हैं कि किस तरह से उनका संगठन क्षेत्र में काम कर रहा है. उन्हें क्या कठिनाईयां आ रही हैं. उन्होंने जो काम किया है उसकी वास्तविक स्थिति क्या है और लक्ष्य क्या है. समन्वय बैठक में इस बात की जानकारी ली जाती है.