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Rajya Sabha Elections 2022: मध्य प्रदेश राज्यसभा की तीन सीटों के लिए आज से नामांकन, 10 जून को चुनाव

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Published : May 24, 2022, 10:53 AM IST

Updated : May 24, 2022, 11:53 AM IST

MP में 29 जून को रिक्त हो रही राज्यसभा की तीन सीटों के लिए दस जून को चुनाव कराया जाएगा. चुनाव की अधिसूचना रिटर्निंग आफिसर विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह मंगलवार को जारी करेंगे. इसके साथ ही नामांकन पत्र जमा करने का काम प्रारंभ हो जाएगा, नामांकन पत्रों की जांच एक जून को होगी और तीन जून तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. (Rajya Sabha Elections 2022) (Nominations for three seats in MP)

Nomination for three Rajya Sabha seats in Madhya Pradesh from today
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए आज से नामांकन

भोपाल। राज्यसभा चुनाव को लेकर आज अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन (Nominations) दाखिला करने का काम शुरू हो रहा है. 10 जून को चुनाव होने हैं, जिसके लिए 31 मई तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे. वोटिंग 10 जून को सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक होगी, वोटों की गिनती का काम उसी दिन शाम 5 बजे से शुरु किया जाएगा. नामांकन पत्रों की जांच 1 जून को होगी, उम्मीदवार 3 जून तक अपना नाम वापस ले सकेंगे.

राज्यसभा की इन तीन सीटों पर होगा चुनाव: राज्यसभा का गणित ऐसा है कि 58 विधायकों पर एक सदस्य का चुनाव होगा. प्रदेश में कुल 230 विधायक हैं. बीजेपी के विधायक 127 तो कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं. राज्यसभा में प्रदेश की 11 सीटें हैं. 2022 में भाजपा के एमजे अकबर और संपतिया उइके और कांग्रेस से विवेक तन्खा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इसके लिए आज से नामांकन भरे जा रहे हैं.

नेताओं की कदमताल: मध्य प्रदेश में जल्दी ही राज्यसभा की तीन सीटें खाली होने वाली हैं. यही कारण है कि कई नेताओं ने राज्यसभा में जाने के लिए कदमताल शुरू कर दी है. प्रदेश में आगामी समय में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव होना है, इनमें से दो सीटों पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस के सदस्य के निर्वाचित होने की पूरी संभावना है. ऐसा विधायकों की संख्या के आधार पर है. बीजेपी की अगर बात करें, तो दावेदारों की लंबी चैड़ी फेहरिस्त है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम प्रमुख तौर पर लिया जा रहा है. मगर बीजेपी अपने फैसलों से लगातार चौंका रही है, इसलिए इस बार भी नए चेहरे सामने आए तो अचरज नहीं होगा.

MP : राज्यसभा की तीन सीटों पर लॉबिंग शुरू, बीजेपी व कांग्रेस से कौन-कौन दावेदार और किनका दावा मजबूत, पढ़ें पूरा विश्लेषण

उमा भारती का दावा मजबूत: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. इसके चलते संभावना इस बात की जताई जा रही है कि वे भी राज्यसभा में जाने की कोशिश करने में पीछे नहीं रहेंगी. सियासी गलियारों में चर्चा तो यह भी है कि बीजेपी दो में से एक महिला, पिछड़ा वर्ग या आरक्षित वर्ग से भेज सकती है, इन स्थितियों में भी उमा भारती का दावा मजबूत बनेगा. दूसरी ओर, कांग्रेस के खाते में राज्यसभा की एक सीट जाना तय है और इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए पार्टी के अंदर खाने कोशिशें जारी हैं.

Uma Bharti claim stronger candidate BJP
बीजेपी से उमाभारती का दावा मजबूत

राज्य के नेताओं का मेल मुलाकात का दौर तेज: कांग्रेस में मुख्य दावेदारों के तौर पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के नाम प्रमुख तौर पर लिए जा रहे हैं. यहां विवेक तन्खा की राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनका बगावती तेवर अपनाने वाले जी-23 समूह से होना माना जा रहा है. कांग्रेस में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दूरियां बनी हुई हैं, जिसके चलते संभावना इस बात की जताई जा रही है कि पार्टी हाईकमान अपने स्तर पर फैसला करेगा. इन्हीं संभावनाओं के कारण ही राज्य के नेताओं की सोनिया गांधी से मेल मुलाकात का दौर तेज हो गया है.

OBC रिजर्वेशन का मुद्दा कितना बड़ा?: राज्य में वर्तमान समय में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का मामला गरमाया हुआ है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने को लेकर कांग्रेस और भाजपा में लंबे अरसे से आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं. दोनों ही दल ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की अरसे से पैरवी करते आ रहे हैं. भाजपा के शासन काल में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट ने ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही. पंचायत और नगरीय निकाय में ओबीसी को आरक्षण देने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट सरकार के तर्को से सहमत नहीं हुआ और उसने राज्य में चुनाव बगैर ओबीसी आरक्षण के कराने का फैसला दे दिया. शिवराज सरकार पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का वादा कर रही है.

MP में राज्यसभा चुनाव में BJP-कांग्रेस को ओबीसी हितैषी बताने की चुनौती

OBC का हितैषी बताने की होड़: अब राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है. दोनों ही दल अपने को ओबीसी वर्ग का बड़ा हितैषी बताते चले आ रहे हैं. ऐसे में सबसे पहले सामने आ रहे राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी के जरिए राजनीतिक दलों को अपने आप को ओबीसी हितैषी बताने की बड़ी चुनौती है. राज्य में भाजपा के पास पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पिछड़े वर्ग का बड़ा चेहरा हैं तो कांग्रेस के पास पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव. अब देखना होगा कि क्या भाजपा पिछड़े वर्ग को लुभाने के लिए इस वर्ग से जुड़े व्यक्ति को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाती है या फिर अन्य राजनीतिक गणित के आधार पर उम्मीदवार का चयन करती है. यही स्थिति कांग्रेस की है। कांग्रेस यादव को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेल सकती है. दोनों ही राजनीतिक दल ओबीसी उम्मीदवार बनाकर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में मतदाता को लुभाने का का दांव चल सकती हैं. इसे नकारा नहीं जा सकता.

Arun Yadav claim Congress strong candidate
कांग्रेस से अरुण यादव का दावा मजबूत

यह है विधानसभा में दलीय स्थिति

कुल सदस्य संख्या- 230

भाजपा- 127

कांग्रेस- 96

बसपा- 02

सपा- 01

निर्दलीय-04

कांग्रेस से अरुण यादव का दावा मजबूत क्यों : लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अरुण यादव का दावा कांग्रेस से मजबूत माना जा रहा है. प्रदेश के निमाड़ इलाके में उनका खासा जनाधार है. इसी कारण निमाड़ में कांग्रेस मजबूत है. एक समय निमाड़ से उनके पिता सुभाष यादव कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे हैं. सुभाष यादव प्रदेश के डिप्टी सीएम भी रहे हैं. सहकारिता आंदोलन में सुभाष यादव सबसे आगे रहे थे. अरुण यादव लोकसभा सदस्य रहे हैं और केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे. दो बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी प्रदेश कांग्रेस में अरुण यादव अहम नेता हैं. हाल ही में उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है. उनका नाम नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी चल रहा है. कई साल तक वह प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं.

बीजेपी से उमाभारती का दावा मजबूत क्यों : बीजेपी की फायर ब्रांड नेत्री के रूप में पहचान रखने वाली उमाभारती ओबीसी वर्ग की बड़ी लीडर हैं. वे मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. कई बार की सांसद हैं. अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया. 1984 से से सियासी सफर शुरू करने वाली उमाभारती हमेशा महत्वपूर्ण पदों पर रही हैं. 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के बाद उनके राजनीतिक सफर पर प्रश्नचिह्न लग रहा है. आरएसएस और हिंदूवादी संगठनों से नजदीक का रिश्ता रखने के कारण उन्हें फिर से एडजस्ट करना बीजेपी की मजबूरी है. कुछ दिनों से वह मध्यप्रदेश में शराबबंदी को लेकर आक्रामक भूमिका में हैं. शराबबंदी की मांग को लेकर वह सीएम शिवराज के लिए नई समस्या खड़ी कर रही हैं. वही घोषणा भी कर चुकी हैं कि अगला लोकसभा चुनाव वह लड़ेंगी. ऐसे में उमाभारती को राज्यसभा में बीजेपी भेज सकती है. महिला, ओबीसी, संघ से करीबी और भाषण देने में महारत हासिल होना कुछ ऐसे बिंदु हैं जिससे उनका दावा काफी मजबूत माना जा रहा है

दोनों दल बोले- हाईकमान करेगा फैसला

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि राज्यसभा सदस्य तय करने की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व की है. बीजेपी सबका साथ सबका विकास और सबका प्रयास के मंत्र पर फैसला लेती है. वहीं प्रदेश कांग्रेस के संगठन प्रभारी चंद्रप्रभास शेखर का कहना है कि राज्यसभा में कौन जाएगा, इसका फैसला केंद्रीय हाईकमान को लेना है. एआईसीसी में फैसला होगा कि किसे पार्टी राज्यसभा भेजेगी. सबको अपनी दावेदारी करने का हक है.

भोपाल। राज्यसभा चुनाव को लेकर आज अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन (Nominations) दाखिला करने का काम शुरू हो रहा है. 10 जून को चुनाव होने हैं, जिसके लिए 31 मई तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे. वोटिंग 10 जून को सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक होगी, वोटों की गिनती का काम उसी दिन शाम 5 बजे से शुरु किया जाएगा. नामांकन पत्रों की जांच 1 जून को होगी, उम्मीदवार 3 जून तक अपना नाम वापस ले सकेंगे.

राज्यसभा की इन तीन सीटों पर होगा चुनाव: राज्यसभा का गणित ऐसा है कि 58 विधायकों पर एक सदस्य का चुनाव होगा. प्रदेश में कुल 230 विधायक हैं. बीजेपी के विधायक 127 तो कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं. राज्यसभा में प्रदेश की 11 सीटें हैं. 2022 में भाजपा के एमजे अकबर और संपतिया उइके और कांग्रेस से विवेक तन्खा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इसके लिए आज से नामांकन भरे जा रहे हैं.

नेताओं की कदमताल: मध्य प्रदेश में जल्दी ही राज्यसभा की तीन सीटें खाली होने वाली हैं. यही कारण है कि कई नेताओं ने राज्यसभा में जाने के लिए कदमताल शुरू कर दी है. प्रदेश में आगामी समय में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव होना है, इनमें से दो सीटों पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस के सदस्य के निर्वाचित होने की पूरी संभावना है. ऐसा विधायकों की संख्या के आधार पर है. बीजेपी की अगर बात करें, तो दावेदारों की लंबी चैड़ी फेहरिस्त है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम प्रमुख तौर पर लिया जा रहा है. मगर बीजेपी अपने फैसलों से लगातार चौंका रही है, इसलिए इस बार भी नए चेहरे सामने आए तो अचरज नहीं होगा.

MP : राज्यसभा की तीन सीटों पर लॉबिंग शुरू, बीजेपी व कांग्रेस से कौन-कौन दावेदार और किनका दावा मजबूत, पढ़ें पूरा विश्लेषण

उमा भारती का दावा मजबूत: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. इसके चलते संभावना इस बात की जताई जा रही है कि वे भी राज्यसभा में जाने की कोशिश करने में पीछे नहीं रहेंगी. सियासी गलियारों में चर्चा तो यह भी है कि बीजेपी दो में से एक महिला, पिछड़ा वर्ग या आरक्षित वर्ग से भेज सकती है, इन स्थितियों में भी उमा भारती का दावा मजबूत बनेगा. दूसरी ओर, कांग्रेस के खाते में राज्यसभा की एक सीट जाना तय है और इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए पार्टी के अंदर खाने कोशिशें जारी हैं.

Uma Bharti claim stronger candidate BJP
बीजेपी से उमाभारती का दावा मजबूत

राज्य के नेताओं का मेल मुलाकात का दौर तेज: कांग्रेस में मुख्य दावेदारों के तौर पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के नाम प्रमुख तौर पर लिए जा रहे हैं. यहां विवेक तन्खा की राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनका बगावती तेवर अपनाने वाले जी-23 समूह से होना माना जा रहा है. कांग्रेस में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दूरियां बनी हुई हैं, जिसके चलते संभावना इस बात की जताई जा रही है कि पार्टी हाईकमान अपने स्तर पर फैसला करेगा. इन्हीं संभावनाओं के कारण ही राज्य के नेताओं की सोनिया गांधी से मेल मुलाकात का दौर तेज हो गया है.

OBC रिजर्वेशन का मुद्दा कितना बड़ा?: राज्य में वर्तमान समय में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का मामला गरमाया हुआ है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने को लेकर कांग्रेस और भाजपा में लंबे अरसे से आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं. दोनों ही दल ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की अरसे से पैरवी करते आ रहे हैं. भाजपा के शासन काल में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट ने ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही. पंचायत और नगरीय निकाय में ओबीसी को आरक्षण देने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट सरकार के तर्को से सहमत नहीं हुआ और उसने राज्य में चुनाव बगैर ओबीसी आरक्षण के कराने का फैसला दे दिया. शिवराज सरकार पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का वादा कर रही है.

MP में राज्यसभा चुनाव में BJP-कांग्रेस को ओबीसी हितैषी बताने की चुनौती

OBC का हितैषी बताने की होड़: अब राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है. दोनों ही दल अपने को ओबीसी वर्ग का बड़ा हितैषी बताते चले आ रहे हैं. ऐसे में सबसे पहले सामने आ रहे राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी के जरिए राजनीतिक दलों को अपने आप को ओबीसी हितैषी बताने की बड़ी चुनौती है. राज्य में भाजपा के पास पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पिछड़े वर्ग का बड़ा चेहरा हैं तो कांग्रेस के पास पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव. अब देखना होगा कि क्या भाजपा पिछड़े वर्ग को लुभाने के लिए इस वर्ग से जुड़े व्यक्ति को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाती है या फिर अन्य राजनीतिक गणित के आधार पर उम्मीदवार का चयन करती है. यही स्थिति कांग्रेस की है। कांग्रेस यादव को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेल सकती है. दोनों ही राजनीतिक दल ओबीसी उम्मीदवार बनाकर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में मतदाता को लुभाने का का दांव चल सकती हैं. इसे नकारा नहीं जा सकता.

Arun Yadav claim Congress strong candidate
कांग्रेस से अरुण यादव का दावा मजबूत

यह है विधानसभा में दलीय स्थिति

कुल सदस्य संख्या- 230

भाजपा- 127

कांग्रेस- 96

बसपा- 02

सपा- 01

निर्दलीय-04

कांग्रेस से अरुण यादव का दावा मजबूत क्यों : लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अरुण यादव का दावा कांग्रेस से मजबूत माना जा रहा है. प्रदेश के निमाड़ इलाके में उनका खासा जनाधार है. इसी कारण निमाड़ में कांग्रेस मजबूत है. एक समय निमाड़ से उनके पिता सुभाष यादव कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे हैं. सुभाष यादव प्रदेश के डिप्टी सीएम भी रहे हैं. सहकारिता आंदोलन में सुभाष यादव सबसे आगे रहे थे. अरुण यादव लोकसभा सदस्य रहे हैं और केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे. दो बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी प्रदेश कांग्रेस में अरुण यादव अहम नेता हैं. हाल ही में उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है. उनका नाम नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी चल रहा है. कई साल तक वह प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं.

बीजेपी से उमाभारती का दावा मजबूत क्यों : बीजेपी की फायर ब्रांड नेत्री के रूप में पहचान रखने वाली उमाभारती ओबीसी वर्ग की बड़ी लीडर हैं. वे मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. कई बार की सांसद हैं. अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया. 1984 से से सियासी सफर शुरू करने वाली उमाभारती हमेशा महत्वपूर्ण पदों पर रही हैं. 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के बाद उनके राजनीतिक सफर पर प्रश्नचिह्न लग रहा है. आरएसएस और हिंदूवादी संगठनों से नजदीक का रिश्ता रखने के कारण उन्हें फिर से एडजस्ट करना बीजेपी की मजबूरी है. कुछ दिनों से वह मध्यप्रदेश में शराबबंदी को लेकर आक्रामक भूमिका में हैं. शराबबंदी की मांग को लेकर वह सीएम शिवराज के लिए नई समस्या खड़ी कर रही हैं. वही घोषणा भी कर चुकी हैं कि अगला लोकसभा चुनाव वह लड़ेंगी. ऐसे में उमाभारती को राज्यसभा में बीजेपी भेज सकती है. महिला, ओबीसी, संघ से करीबी और भाषण देने में महारत हासिल होना कुछ ऐसे बिंदु हैं जिससे उनका दावा काफी मजबूत माना जा रहा है

दोनों दल बोले- हाईकमान करेगा फैसला

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि राज्यसभा सदस्य तय करने की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व की है. बीजेपी सबका साथ सबका विकास और सबका प्रयास के मंत्र पर फैसला लेती है. वहीं प्रदेश कांग्रेस के संगठन प्रभारी चंद्रप्रभास शेखर का कहना है कि राज्यसभा में कौन जाएगा, इसका फैसला केंद्रीय हाईकमान को लेना है. एआईसीसी में फैसला होगा कि किसे पार्टी राज्यसभा भेजेगी. सबको अपनी दावेदारी करने का हक है.

Last Updated : May 24, 2022, 11:53 AM IST

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