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राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए केंद्रीय मंत्री एल मुरूगन, भोपाल पहुंचकर लिया प्रमाण पत्र, कांग्रेस ने नहीं उतारा कैंडिडेट - राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए केंद्रीय मंत्री एल मुरूगन

आपको बता दें कि एल मुरुगन तमिलनाडू से आते हैं. मध्य प्रदेश से थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के बाद राज्यसभा की एक सीट खाली हुई थी. जिसपर केंद्र ने एल मुरुगन को राज्यसभा भेजने के मध्य प्रदेश के कोटे से उन्हें उच्चसदन में भेजे जाने का फैसला किया था.

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राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए केंद्रीय मंत्री एल मुरूगन
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Published : Sep 27, 2021, 7:53 PM IST

भोपाल। केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने विधानसभा पहुंचकर अपना निर्वाचित सांसद का प्रमाणपत्र भी हासिल कर लिया है. इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें बधाई भी दी. आपको बता दें कि एल मुरुगन तमिलनाडू से आते हैं. मध्य प्रदेश से थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के बाद राज्यसभा की एक सीट खाली हुई थी. जिसपर केंद्र ने एल मुरुगन को राज्यसभा भेजने के मध्य प्रदेश के कोटे से उन्हें उच्चसदन में भेजे जाने का फैसला किया था. कांग्रेस ने यहां अपना कोई कैंडिडेट नहीं उतारा था.

थावरचंद के राज्यपाल बनने से राज्यसभा सीट हुई थी खाली
केंद्रीय राज्य मंत्री हैं एल मुरुगन को तमिलनाडू में बीजेपी की एंट्री का रास्ता खोलने के ईनाम के तौर पर उन्हें राज्यसभा भेजा गया और केंद्र में राज्यमंत्री भी बनाया गया है. बीजेपी पहली बार तमिलनाडू में 4 सीटें जीती है. इधर गहलोत का कार्यकाल दो अप्रैल 2024 तक था. इसलिए उनके त्यागपत्र के कारण खाली हुई सीट पर राज्यसभा सांसद मुरुगन का कार्यकाल दो अप्रैल 2024 तक रहेगा. अब मप्र से राज्यसभा के सांसदों की संख्या 11 है जिनमें 8 भाजपा के और 3 कांग्रेस के हैं.

बीजेपी की दलित वोटर्स को साधने की कोशिश

बीजेपी ने दलित एजेंडे के तहत एल मुरुगन को मध्यप्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है. माना जा रहा है कि बीजेपी के इस फैसले के पीछे संघ की रणनीति है. पार्टी ने मुरुगन को मौका देकर देश में दलित वोटर्स को साधने की कोशिश में जुटी है. आपको बता दें कि थावरचंद भी दलित हैं, उनकी जगह पार्टी ने दलित कैंडिडेट को ही राज्यसभा भेजा है.

भोपाल। केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने विधानसभा पहुंचकर अपना निर्वाचित सांसद का प्रमाणपत्र भी हासिल कर लिया है. इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें बधाई भी दी. आपको बता दें कि एल मुरुगन तमिलनाडू से आते हैं. मध्य प्रदेश से थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के बाद राज्यसभा की एक सीट खाली हुई थी. जिसपर केंद्र ने एल मुरुगन को राज्यसभा भेजने के मध्य प्रदेश के कोटे से उन्हें उच्चसदन में भेजे जाने का फैसला किया था. कांग्रेस ने यहां अपना कोई कैंडिडेट नहीं उतारा था.

थावरचंद के राज्यपाल बनने से राज्यसभा सीट हुई थी खाली
केंद्रीय राज्य मंत्री हैं एल मुरुगन को तमिलनाडू में बीजेपी की एंट्री का रास्ता खोलने के ईनाम के तौर पर उन्हें राज्यसभा भेजा गया और केंद्र में राज्यमंत्री भी बनाया गया है. बीजेपी पहली बार तमिलनाडू में 4 सीटें जीती है. इधर गहलोत का कार्यकाल दो अप्रैल 2024 तक था. इसलिए उनके त्यागपत्र के कारण खाली हुई सीट पर राज्यसभा सांसद मुरुगन का कार्यकाल दो अप्रैल 2024 तक रहेगा. अब मप्र से राज्यसभा के सांसदों की संख्या 11 है जिनमें 8 भाजपा के और 3 कांग्रेस के हैं.

बीजेपी की दलित वोटर्स को साधने की कोशिश

बीजेपी ने दलित एजेंडे के तहत एल मुरुगन को मध्यप्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है. माना जा रहा है कि बीजेपी के इस फैसले के पीछे संघ की रणनीति है. पार्टी ने मुरुगन को मौका देकर देश में दलित वोटर्स को साधने की कोशिश में जुटी है. आपको बता दें कि थावरचंद भी दलित हैं, उनकी जगह पार्टी ने दलित कैंडिडेट को ही राज्यसभा भेजा है.

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