नई दिल्ली: संसद की संयुक्त समिति (JPC) की बैठक बुधवार को खत्म हो गई. समिति ने मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को बहुमत से स्वीकार कर लिया है. सूत्रों के अनुसार, अब जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल गुरुवार को सभी सदस्यों के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलेंगे और उन्हें ड्राफ्ट रिपोर्ट और संशोधित विधेयक सौंपेंगे.
बैठक में ड्राफ्ट रिपोर्ट और संशोधित बिल को स्वीकार कर लिया गया है. वक्फ बोर्ड के जेपीसी सदस्यों के बीच वोटिंग हुई. संशोधित बिल और ड्राफ्ट रिपोर्ट के पक्ष में 16 और विपक्ष में 11 वोट पड़े. वहीं, विपक्षी सांसद सरकार पर ड्राफ्ट बिल को पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं देने का आरोप लगा रहे हैं.
कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि , "हमें कल रात 655 पन्नों की ड्रॉफ्ट रिपोर्ट दी गई और 655 पन्नों की रिपोर्ट को रातों-रात पढ़ना संभव हा क्या?यह किसी के के लिए भी असंभव है. ओवैसी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट पर असहमति जताते हुए कहा कि, वे संसद में भी इस विधेयक का विरोध करेंगे. वहीं, इसी कमेटी में शामिल बाकी पार्टियों के विपक्षी सांसदों ने भी इस बिल पर आपत्ति जताई है.
जानकारी के मुताबिक, अब तक तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और नदीमुल हक के साथ-साथ डीएमके सांसद ए राजा, आप नेता संजय सिंह और शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत और असदुद्दीन ओवैसी ने भी औपचारिक रूप से अपनी असहमति दर्ज करा दी है. बाकी सदस्यों को 29 जनवरी की शाम 4 बजे तक असहमति जताने का समय दिया गया है. इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है.
सोमवार को वक्फ संशोधन अधिनियम पर जेपीसी की बैठक में 44 संशोधनों पर चर्चा की गई थी. बीजेपी की अगुवाई में एनडीए सांसदों के 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया था, जबकि विपक्ष के संशोधनों को सिरे से खारिज कर दिया गया था. विपक्षी सांसदों ने 44 बदलाव पेश किए थे. वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था.
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि, "हमने डिसेंट नोट दिया हैं लेकिन सरकार ने ड्राफ्ट को पढ़ने के लिए बहुत कम समय दिया था. सरकार मात्र औपचारिकता पूरी कर रही है और वह वक्फ को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि, ये सबकुछ सिर्फ दिल्ली के चुनाव को देखते हुए किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को वो संसद के सत्र में भी उठाएंगे.
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि वक्फ के मुद्दे पर जेपीसी बनाने के बाद भी आम सहमति बनती नजर नहीं आ रही जिसे विरोधियों के सांसद में सरकार के खिलाफ हंगामा करने में एक और मुद्दे का इजाफा हो गया है.
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