भोपाल। मध्य प्रदेश का कान्हा टाइगर रिजर्व जो कि 940 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, यहां का 70 फीसदी इलाका नक्सलवाद की चपेट में आ गया है. ताजा घटना में यहां वनकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी गई और उसके शव पर नक्सलियों द्वारा लेफ्ट विंग के पर्चे लगा दिए गए. (Presence of Naxalites in Kanha Tiger Reserve)
दो महीने में तीन हत्याएं: पिछले 2 महीने में नक्सली तीन वन कर्मचारियों की हत्या कर चुके हैं, 22 मार्च को वन कर्मी सुखदेव को मुखबिरी के शक में गोली मार दी गई थी. यह खुलासा केंद्रीय वन मंत्री के लिखे पत्र में हुआ है, जिसे उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लिखा है. इसी के साथ नक्सलियों की चपेट में आ रहे कान्हा टाइगर रिजर्व को सुरक्षित करने के लिए पूरे मामले पर सघन जांच कराने की मांग भी सीएम शिवराज से की गई है. फिलहाल, नक्सलियों का वन क्षेत्र में इतना खौफ पैदा हो गया है कि मैदानी अमले ने रिजर्व में गश्त लगाना भी बंद कर दिया है.
जिलों में बढ़ रहा नक्सली मूवमेंट: मामले में सीएम के अलावा दूसरा पत्र एनटीसीए के पूर्व पीसीसीएफ एचएस पाबला और ग्लोबल टाइगर फोरम के सेक्रेटरी जनरल राजेश गोपाल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लिखा है, जिसमें नक्सलियों के बढ़ते प्रभुत्व को गंभीरता से लेने और सख्त कदम उठाने की मांग की गई है. दरअसल, कान्हा टाइगर रिजर्व दो जिलों के अंतर्गत आता है- बालाघाट और मंडला. इन जिलों में नक्सली मूवमेंट बढ़ गया है जब नक्सलियों पर दवाब पड़ता है तो नक्सली डिंडोरी जिले के गांव में आ जाते हैं.
नक्सलियों की लेफ्टविंग बना रही दबदबा: पिछले साल राज्य पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने डिंडोरी को नक्सल प्रभावित जिला घोषित किया था. बीते दो दशक में यह प्रदेश का तीसरा जिला है जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र घोषित हुआ है. इसके पहले बालाघाट और मंडला को इस श्रेणी में रखा गया था. सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क बालाघाट डिंडोरी और मंडला में नक्सलियों की लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिस्ट लगातार इस क्षेत्र में अपना दबदबा बना रही है.
हर साल विशेष पुलिस बल पर इतना होता है खर्च: कान्हा नेशनल पार्क के साथ-साथ वनों की सुरक्षा के लिए गठित पुलिस बल के लिए हर साल 24.09 करोड़ रुपए खर्च होते हैं. कान्हा नेशनल पार्क में देश में सबसे ज्यादा 108 बाघ हैं. हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा पर्यटक यहां पहुंचते हैं जिनमें करीब 40 हज़ार विदेशी पर्यटक होते हैं.
चरम पर है नक्सलियों का आतंक:
यहां ज्यादातर हिस्सों में नक्सली गतिविधियां न केवल बढ़ रही हैं बल्कि कान्हा नेशनल पार्क के क्षेत्र में विकास के कार्य में लगी हुई सरकारी मशीनरी और वाहनों को नक्सलियों के द्वारा आग लगाई जा रही है. कान्हा नेशनल पार्क के कर्मचारियों को धमकियां दी जा रही हैं, जिससे विकास नहीं हो पा रहा है. कान्हा नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है, इस वजह से नक्सलियों को आसानी से प्रवेश मिल जाता है. नक्सलियों के आतंक की जानकारी सरकार को है और ऐसी गतिविधियां रोकने के लिए सरकार संवेदनशील है, सुरक्षाबलों और कंपनियों को इन क्षेत्रों में भेजा जा रहा है.
-फग्गन सिंह कुलस्ते, मंडला सांसद और केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री