भोपाल। उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण करने आए पीएम मोदी की करीब साढ़े तीन घंटे की एमपी यात्रा का संदेश उनके भाषण से इतर भी है. पीएम मोदी के उद्बोधन पर गौर करें तो उनके हर शब्द और वाक्य में एमपी की भविष्य की राजनीति का संकेत छिपा था. पीएम मोदी ने महाकाल लोक के लोकार्पण अवसर पर भक्तों को बधाई दी, लेकिन विशेष अभिनंदन सीएम शिवराज सिंह चौहान का किया, इस उल्लेख के साथ कि शिवराज और उनकी टीम सेवा के इस कार्य में निरंतर लगी हुई है. पीएम मोदी की इस यात्रा के स्वागतकांक्षी से लेकर सारथी तक कौन बनें ? किसे पीएम मोदी की सराहना मिली और यात्रा के दौरान कहां बरती गई विशेष सावधानी. चुनावी साल के एन पहले पीएम मोदी की उज्जैन यात्रा के संदेश कई हैं.
शिवराज, मिट गईं 'काल' की रेखाएं : पीएम मोदी के भाषण में महाकाल उज्जैनी नगरी के बाद सबसे ज्यादा जिक्र सीएम शिवराज का था. पिछली यात्राओं के मुकाबले पीएम मोदी ने खुले मन से सीएम शिवराज की प्रशंसा की. विशेष अभिनंदन करते हुए कहा कि सीएम शिवराज और उनकी टीम लगातार सेवा के कार्य में जुटी हुई है. क्या इसे केवल चुनावी वर्ष के पहले बीजेपी के मुख्यमंत्री की वो प्रशंसा मानी जाए, जो राजनीतिक रूप से भी आवश्यक थी या इसे एक ऐसे समय में सीएम शिवराज के लिए अभयदान के रूप में देखा जाए. जब आए दिन एमपी की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें उठ रही हों, पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा महाकाल का आर्शीवाद जब मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं. महाकाल लोक के लोकार्पण के साथ क्या सीएम शिवराज के संदर्भ में वो तय समयावधि का संकट मिट चुका है. वो मियाद जो उनकी सत्ता को लेकर उनके विरोधी हर दो महीने में खड़ी कर देते हैं.
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नरोत्तम अकेले नहीं कर पाए अगवानी : पीएम मोदी की इस यात्रा के हर पड़ाव पर गौर कीजिए. उनकी अगुवानी के लिए बेशक पार्टी के कद्दावर नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की ड्यूटी लगाई गई. लेकिन मंत्री के तौर पर वो अकेले नहीं थे. उनके साथ सिंधिया खेमे के मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे, जिससे अगवानी भी किसी को शक्ति प्रदर्शन का अवसर ना दे जाए.
भूपेन्द्र सिंह की तारीफ, गोपाल भार्गव नदारद : पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह टॉप फाईव में रहे. पीएम मोदी की रवानगी के बाद ये खबरें भी आईं कि पीएम मोदी ने रवाना होने से पहले भूपेन्द्र सिंह की काफी प्रशंसा भी की है. लेकिन हैरत की बात ये कि प्रदेश के सीनियर मंत्रियों में गिने जाने वाले मंत्री गोपाल भार्गव पूरे सीन से ही गायब थे, सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये साशय किया गया.