मध्यप्रदेश में कोरोना का बहुत बुरा हाल है . राज्य के कई इलाकों से ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत की खबरें आ रही हैं. हालांकि राज्य सरकार दावा कर रही है कि राज्य में मरीजों के लिए ऑक्सीजन पर्याप्त है. जो कमी थी उसका इंतजाम हो गया है. राज्य सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है.
इन मौतों का हिसाब कौन देगा ?
कोरोना से बुरी तरह प्रभावित टॉप 10 राज्यों में मध्यप्रदेश का भी नाम है. कोरोना के साथ ही प्रदेश ऑक्सीजन की कमी से भी जूझ रहा है. खबरों के मुताबिक प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से करीब 19 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि प्रशासन इससे साफ इनकार करता है. प्रशासन का दावा है कि ऑक्सीजन की कमी ही नहीं है, तो भी इसकी कमी से मौत का सवाल ही पैदा नहीं होता.
सरकारी दावों के उलट अस्पतालों के डॉक्टर्स भी अब मानने लगे हैं, कि ऑक्सीजन की कमी तो है. ये भी सच है कि इसकी कमी से मरीजों की मौत भी हो रही है. कुछ अस्पताल on camera स्वीकार करते हैं, तो कुछ off camera यही बात कहते हैं.
शहडोल मेडकिल कॉलेज में शनिवार को 12 कोरोना मरीजों की मौत हुई. खबरों के मुताबिक इनमें से 6 मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है. लेकिन कलेक्टर और स्वास्थ्य मंत्री ऑक्सीजन की कमी होने से इनकार कर रहे हैं.
उज्जैन के एक नामी प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों के परिजनों ने जोरदार हंगामा कर दिया था. यहां ऑक्सीजन की कमी से 5 मरीजों की मौत से हड़कंप मच गया था. इनमें भाजपा का एक स्थानीय नेता भी शामिल था. परिजनों में गुस्सा इस कदर था, कि सांत्वना देने आए सांसद को उलटे पैर लौटना पड़ा था.
खबरों के मुताबिक खंडवा में 11 और जबलपुर में 5 मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हो गई है. यहां भी प्रशासन ये मानने को तैयार नहीं है. इसी तरह पन्ना में भी एक समाजसेवी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हो गई थी.
रतलाम की घटना को कोई कैसे भूल सकता है. यहां मेडिकल कॉलेज में एक मरीज को ऑक्सीजन का खाली मास्क लगा दिया गया था. ऑक्सीजन पाइप को कनेक्ट करना भूल गए. मरीज की मौत होगी. सदमे में उसकी पत्नी ने भी दम तोड़ दिया.
कैसे पूरी होगी ऑक्सीजन की कमी ?
- भर्ती कुल मरीजों में से 40 फीसदी ऑक्सीजन पर हैं.
- रविवार को ऑक्सीजन की supply 390 टन के करीब हो पाई.
- हर दिन 75 टन ऑक्सीजन की मांग बढञ रही है.
- अब ऑक्सीजन कंसट्रेटर पर ही आस टिकी है.
- अभी तक 1300 कंसट्रेटर्स लगा जा चुके हैं.
- चार हजार कंसट्रेटर्स खरीदने के ऑर्डर जारी हो चुके हैं.
सरकार ने ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए अपनी तरफ से सभी संसाधन झोंक दिए हैं. लेकिन डॉक्टर्स का मामना है कि कोरोना के मरीज इसी रफ्तार से बढ़ते रहे, तो एक हजार टन ऑक्सीजन भी कम पड़ेगी.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विशवास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) ने बताया कि सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. कई अस्पतालों को डेडिकेटेड कोविड अस्पलात (Dedicated Covid Hospital) बना रहे हैं, साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति (oxygen supply) के लिए भिलाई और गुजरात से व्यवस्था की है.
कमलनाथ के निशाने पर शिवराज सरकार
ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'अब शहडोल में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की बेहद दुखद खबर? भोपाल , इंदौर , उज्जैन , सागर , जबलपुर , खंडवा , खरगोन में ऑक्सीजन की कमी से मौतें होने के बाद भी सरकार नहीं जागी? आखिर कब तक प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से यूं ही मौतें होती रहेगी?
ऐसे तैयार होती है जीवन रक्षक 'ऑक्सीजन', देखें वीडियो
उन्होंने कहा कि शिवराज जी आप कब तक ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर झूठे आंकड़े परोसकर, झूठ बोलते रहेंगे, जनता रूपी भगवान रोज दम तोड़ रही है? प्रदेश भर की यही स्थिति है, अधिकांश जगह ऑक्सीजन का भीषण संकट है? रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी यही स्थिति है. सिर्फ सरकार के बयानों और आंकड़ों में ही ऑक्सीजन और रेमडेसिविर उपलब्ध है, लेकिन यह अस्पतालों से गायब है? सरकार कागजी बैठकों से निकलकर मैदानी स्थिति संभाले, स्थिति बेहद विकट है.