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मध्यप्रदेश में फीका 'टीका' करण, कहीं वैक्सीन बर्बाद, तो कहीं लगी लंबी कतार

मध्यप्रदेश के कई शहरों में वैक्सीन लगवाने और संक्रमण से खुद को बचाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग वैक्सीनेशन सेंटर्स पर तो पहुंच रहे हैं, लेकिन कहीं वैक्सीन नहीं है तो कहीं स्लॉट बुक कराने के बाद भी नंबर नहीं आ रहा है. नतीजा यह हो रहा है कि मध्यप्रदेश में कई वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों को बिना वैक्सीन लगवाए ही लौटना पड़ रहा है. ईटीवी भारत ने की पड़ताल

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Published : May 15, 2021, 8:30 PM IST

mp vaccination drive
मध्यप्रदेश में फीका 'टीका' करण

भोपाल। प्रदेश में जैसे तैसे ऑक्सीजन की कमी का संकट थोड़ा कम हुआ तो अब नया संकट आ खड़ा हुआ है. वह है वैक्सीनेशन. संक्रमण से खुद को बचाय रखने के लिए लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में वैक्सीन लगवाने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर्स पर तो पहुंच रहे लेकिन कहीं वैक्सीन नहीं है तो कहीं स्लॉट बुक कराने के बाद भी नंबर नहीं आ रहा है. नतीजा यह हो रहा है कि मध्यप्रदेश में कई वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों को बिना वैक्सीन लगवाए ही लौटना पड़ रहा है. ईटीवी भारत ने प्रदेश के बड़े शहरों में वैक्सीनेशन की स्थिति की पड़ताल की.

मध्यप्रदेश में फीका 'टीका' करण

व्यवस्था भरपूर, वैक्सीनेशन से दूर
राजधानी भोपाल में वैक्सीनेशन के लिए प्रदेश सरकार ने अलग-अलग उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन सेंटर बनाए हैं, लेकिन यहां पहुंच रहे लोगों को वैक्सीन नहीं लग पा रही है. जिससे नाराज लोग सरकार से नाराज हैं और व्यव्स्था सुधारने को कह रहे हैं.

  • भोपाल में 18 से अधिक उम्र वालों के लिए 49 सेंटर और 45 से अधिक उम्र वालों को 52 सेंटर पर वैक्सीन लगाने की व्यवस्था की गई है.
  • खास बात ये है कि 45 से अधिक उम्र वालों को पहला औऱ दूसरा दोनों डोज लगाने की व्यवस्था की गई है. ऐसे सेंटरों पर रोजाना 500 लोगों का वैक्सीनेशन करने की केपेसिटी है.
  • इन व्यवस्थाओं के बावजूद 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को दूसरा डोज लगवाने में समस्या आ रही है.
  • एक तो कोविन एप के जरिए आसानी से स्लाट बुक नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी तरफ दूसरा डोज लगवाने का टाइम पूरा होने के बावजूद भी कई लोगों को कोई मैसेज नहीं मिला है.

वीआईपी वैक्सीनेशन : भाजपा सांसद के घर पर समर्थकों का टीकाकरण

सरकार के आंकड़े मजबूत, लोग मजबूर

वैक्सीनेशन को लेकर प्रदेश सरकार के आंकड़े तो मजबूत दिखाई देते हैं, लेकिन लोग सरकार के आंकड़ों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं राजधानी में वैक्सीनेशन का कार्यक्रम ठीक गति से चल रहा है.

  • स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक भोपाल में अब तक 4 लाख से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है.
  • स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 14 मई तक राजधानी भोपाल में 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले 13273 लोगों को पहला डोज लग गया है.
  • 45 से ज्यादा उम्र वालों में 397470 को पहला डोज और 72611 लोगों को दूसरा डोज लग चुका है.
  • पूरे प्रदेश की बात करें तो 18 साल से अधिक उम्र के 136945 लोगों को पहला डोज और 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले 6339742 लोगों को पहला डोज और 1035792 लोगों को दूसरे डोज की वैक्सीन लग चुकी है.
  • स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी कहते हैं कि वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी है.

लोगों की सुविधा के लिए स्लाट बुकिंग की व्यवस्था शुरु की गई है। स्लाट अलाटमेंट के बाद ही वैक्सीनेशन किया जा रहा है। एक दिन में एक सेंटर में 500 लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
डा संजय मेहरोत्रा ,जोनल मेडीकल आफिसर

कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्रदेश सरकार भले ही कई कदम उठा रही हो, लेकिन उसके ये कदम लोगों को राहत नहीं पहुंचा पा रहे हैं. वैक्सीन को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सबसे ताकतवर हथियार माना जा रहा है. सरकार भी लोगों से अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीन लगवाने की अपील कर रही है, लेकिन इंदौर के ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन सेंटर के हालात कुछ और ही हकीकत दिखाते हैं.

इंदौर के ग्रामीण इलाकों में शुरू ही नहीं हुआ 18+ का वैक्सीनेशन

  • वर्तमान समय में शहर में तो कुछ जगह जहां 18 वर्ष से अधिक की उम्र वालों को वैक्सीन लगाई जा रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अब तक यह वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुआ है.
  • इंदौर शहर में सीमित वैक्सीनेशन केंद्रों पर 18 वर्ष से अधिक उम्र वालों को रजिस्ट्रेशन के बाद ही वैक्सीन लगाई जा रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है.
  • इंदौर के ग्रामीण क्षेत्रों में 45 साल से अधिक की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है.
  • जिले में कई ऐसे भी वैक्सीनेशन सेंटर हैं जहां वैक्सीन की कमी के चलते वैक्सीनेशन रोक दिया गया है.
  • ईटीवी भारत ने इंदौर के ग्रामीण इलाके के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिमरोल पर बनाए गए वैक्सीनेशन केंद्र का जायजा लिया. यहां वैक्सीन लगाने का काम बंद मिला. यहां मौजूद डॉक्टर्स का कहना था कि यहां वैक्सीन नहीं पहुंची है. इसलिए वैक्सीनेशन रोक दिया गया है.

ग्वालियर में 4 महीने में वैक्सीन के 33 हजार डोज बर्बाद

  • ग्वालियर जिले में 16 जनवरी से वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया गया था. अब तक यहां लगभग 4 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है.
  • इनमें से 75 हजार लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन के दोनों ही डोज लग चुके हैं, जबकि बाकी लोगों को पहला डोज ही लगा है.
  • जिले में वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद से पिछले लगभग 4 महीनों के दौरान लगभघ 33 हजार से ज्यादा डोज खराब हो चुके हैं.
  • यदि यह डोज इस्तेमाल में आते तो लगभग 16 हजार लोगों को दोनो डोज देकर वैक्सीनेट किया जा सकता था.
  • जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि हर वैक्सीन के साथ 10 फ़ीसदी डोज खराब होने का अंदेशा रहता है, इसमें कोई नई बात नहीं है.

किसी का रजिस्ट्रेशन गायब, तो किसी का टीके का दिन बदला

उज्जैन जिले में वैक्सीनेशन सेंटर्स पर पहुंचे लोगों को ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा. सेंटर्स पर सुबह 9 बजे वैक्सीन लगवाने वालों की भीड़ लगाना शुरू हुई. लेकिन दूसरा डोज लगवाने आए लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामान करना पड़ा. जिनमें एक अप्रेल को पहला डोज लगवा चुके लोगों को दूसरे डोज के लिए रजिस्ट्रेशन ही नहीं मिल पाया. नाम और मोबाइल नंबर से पहले डोज की जानकारी लेनी चाही, लेकिन सॉफ्टवेयर में उनका पहला डोज 10 अप्रेल को दिखा रहा था. ऐसी ही समस्याओँ के चलते कई लोगों को वैक्सीन सेंटर से लौटा दिया.

वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने की जगह उपदेश सुना रही सरकार

प्रदेश के शिवपुरी जिले में वैक्सीनेशन के लोगों को प्रेरित करने के लिए तो सरकार ने धर्मगुरूओं का सहारा लिया, लेकिन वैक्सीनेशन सेंटर पर हालात को सुधारने पर लगता है कम जोर दिया जा रहा है. जिले में कई वैक्सीनेशन सेंटर ऐसे हैं जहां वैक्सीन पहुंची ही नहीं है. ऐसे में जो लोग इन सेंटर्स पर पहुंच रहे हैं. वे सरकार पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं.सरकार के दावे, आंकड़े और लोगों को हो रही परेशानी वैक्सीनेशन में तेजी लाने के लिए अपनाए जा रहे सरकारी दावों पर सवालिया निशान लगा रहे हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण की दर को कम करने के लिए वैक्सीनेशन को एक अहम हथियार बता रही सरकार को जरूरत है वैक्सीनेशन केंद्रों पर वैक्सीन उपलब्ध कराने की रफ्तार को बढ़ाया जाए.ताकि प्रदेश में संक्रमण के आंकड़ों में राहत देने वाली गिरावट दर्ज की जा सके.

भोपाल। प्रदेश में जैसे तैसे ऑक्सीजन की कमी का संकट थोड़ा कम हुआ तो अब नया संकट आ खड़ा हुआ है. वह है वैक्सीनेशन. संक्रमण से खुद को बचाय रखने के लिए लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में वैक्सीन लगवाने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर्स पर तो पहुंच रहे लेकिन कहीं वैक्सीन नहीं है तो कहीं स्लॉट बुक कराने के बाद भी नंबर नहीं आ रहा है. नतीजा यह हो रहा है कि मध्यप्रदेश में कई वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों को बिना वैक्सीन लगवाए ही लौटना पड़ रहा है. ईटीवी भारत ने प्रदेश के बड़े शहरों में वैक्सीनेशन की स्थिति की पड़ताल की.

मध्यप्रदेश में फीका 'टीका' करण

व्यवस्था भरपूर, वैक्सीनेशन से दूर
राजधानी भोपाल में वैक्सीनेशन के लिए प्रदेश सरकार ने अलग-अलग उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन सेंटर बनाए हैं, लेकिन यहां पहुंच रहे लोगों को वैक्सीन नहीं लग पा रही है. जिससे नाराज लोग सरकार से नाराज हैं और व्यव्स्था सुधारने को कह रहे हैं.

  • भोपाल में 18 से अधिक उम्र वालों के लिए 49 सेंटर और 45 से अधिक उम्र वालों को 52 सेंटर पर वैक्सीन लगाने की व्यवस्था की गई है.
  • खास बात ये है कि 45 से अधिक उम्र वालों को पहला औऱ दूसरा दोनों डोज लगाने की व्यवस्था की गई है. ऐसे सेंटरों पर रोजाना 500 लोगों का वैक्सीनेशन करने की केपेसिटी है.
  • इन व्यवस्थाओं के बावजूद 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को दूसरा डोज लगवाने में समस्या आ रही है.
  • एक तो कोविन एप के जरिए आसानी से स्लाट बुक नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी तरफ दूसरा डोज लगवाने का टाइम पूरा होने के बावजूद भी कई लोगों को कोई मैसेज नहीं मिला है.

वीआईपी वैक्सीनेशन : भाजपा सांसद के घर पर समर्थकों का टीकाकरण

सरकार के आंकड़े मजबूत, लोग मजबूर

वैक्सीनेशन को लेकर प्रदेश सरकार के आंकड़े तो मजबूत दिखाई देते हैं, लेकिन लोग सरकार के आंकड़ों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं राजधानी में वैक्सीनेशन का कार्यक्रम ठीक गति से चल रहा है.

  • स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक भोपाल में अब तक 4 लाख से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है.
  • स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 14 मई तक राजधानी भोपाल में 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले 13273 लोगों को पहला डोज लग गया है.
  • 45 से ज्यादा उम्र वालों में 397470 को पहला डोज और 72611 लोगों को दूसरा डोज लग चुका है.
  • पूरे प्रदेश की बात करें तो 18 साल से अधिक उम्र के 136945 लोगों को पहला डोज और 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले 6339742 लोगों को पहला डोज और 1035792 लोगों को दूसरे डोज की वैक्सीन लग चुकी है.
  • स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी कहते हैं कि वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी है.

लोगों की सुविधा के लिए स्लाट बुकिंग की व्यवस्था शुरु की गई है। स्लाट अलाटमेंट के बाद ही वैक्सीनेशन किया जा रहा है। एक दिन में एक सेंटर में 500 लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
डा संजय मेहरोत्रा ,जोनल मेडीकल आफिसर

कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्रदेश सरकार भले ही कई कदम उठा रही हो, लेकिन उसके ये कदम लोगों को राहत नहीं पहुंचा पा रहे हैं. वैक्सीन को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सबसे ताकतवर हथियार माना जा रहा है. सरकार भी लोगों से अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीन लगवाने की अपील कर रही है, लेकिन इंदौर के ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन सेंटर के हालात कुछ और ही हकीकत दिखाते हैं.

इंदौर के ग्रामीण इलाकों में शुरू ही नहीं हुआ 18+ का वैक्सीनेशन

  • वर्तमान समय में शहर में तो कुछ जगह जहां 18 वर्ष से अधिक की उम्र वालों को वैक्सीन लगाई जा रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अब तक यह वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुआ है.
  • इंदौर शहर में सीमित वैक्सीनेशन केंद्रों पर 18 वर्ष से अधिक उम्र वालों को रजिस्ट्रेशन के बाद ही वैक्सीन लगाई जा रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है.
  • इंदौर के ग्रामीण क्षेत्रों में 45 साल से अधिक की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है.
  • जिले में कई ऐसे भी वैक्सीनेशन सेंटर हैं जहां वैक्सीन की कमी के चलते वैक्सीनेशन रोक दिया गया है.
  • ईटीवी भारत ने इंदौर के ग्रामीण इलाके के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिमरोल पर बनाए गए वैक्सीनेशन केंद्र का जायजा लिया. यहां वैक्सीन लगाने का काम बंद मिला. यहां मौजूद डॉक्टर्स का कहना था कि यहां वैक्सीन नहीं पहुंची है. इसलिए वैक्सीनेशन रोक दिया गया है.

ग्वालियर में 4 महीने में वैक्सीन के 33 हजार डोज बर्बाद

  • ग्वालियर जिले में 16 जनवरी से वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया गया था. अब तक यहां लगभग 4 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है.
  • इनमें से 75 हजार लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन के दोनों ही डोज लग चुके हैं, जबकि बाकी लोगों को पहला डोज ही लगा है.
  • जिले में वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद से पिछले लगभग 4 महीनों के दौरान लगभघ 33 हजार से ज्यादा डोज खराब हो चुके हैं.
  • यदि यह डोज इस्तेमाल में आते तो लगभग 16 हजार लोगों को दोनो डोज देकर वैक्सीनेट किया जा सकता था.
  • जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि हर वैक्सीन के साथ 10 फ़ीसदी डोज खराब होने का अंदेशा रहता है, इसमें कोई नई बात नहीं है.

किसी का रजिस्ट्रेशन गायब, तो किसी का टीके का दिन बदला

उज्जैन जिले में वैक्सीनेशन सेंटर्स पर पहुंचे लोगों को ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा. सेंटर्स पर सुबह 9 बजे वैक्सीन लगवाने वालों की भीड़ लगाना शुरू हुई. लेकिन दूसरा डोज लगवाने आए लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामान करना पड़ा. जिनमें एक अप्रेल को पहला डोज लगवा चुके लोगों को दूसरे डोज के लिए रजिस्ट्रेशन ही नहीं मिल पाया. नाम और मोबाइल नंबर से पहले डोज की जानकारी लेनी चाही, लेकिन सॉफ्टवेयर में उनका पहला डोज 10 अप्रेल को दिखा रहा था. ऐसी ही समस्याओँ के चलते कई लोगों को वैक्सीन सेंटर से लौटा दिया.

वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने की जगह उपदेश सुना रही सरकार

प्रदेश के शिवपुरी जिले में वैक्सीनेशन के लोगों को प्रेरित करने के लिए तो सरकार ने धर्मगुरूओं का सहारा लिया, लेकिन वैक्सीनेशन सेंटर पर हालात को सुधारने पर लगता है कम जोर दिया जा रहा है. जिले में कई वैक्सीनेशन सेंटर ऐसे हैं जहां वैक्सीन पहुंची ही नहीं है. ऐसे में जो लोग इन सेंटर्स पर पहुंच रहे हैं. वे सरकार पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं.सरकार के दावे, आंकड़े और लोगों को हो रही परेशानी वैक्सीनेशन में तेजी लाने के लिए अपनाए जा रहे सरकारी दावों पर सवालिया निशान लगा रहे हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण की दर को कम करने के लिए वैक्सीनेशन को एक अहम हथियार बता रही सरकार को जरूरत है वैक्सीनेशन केंद्रों पर वैक्सीन उपलब्ध कराने की रफ्तार को बढ़ाया जाए.ताकि प्रदेश में संक्रमण के आंकड़ों में राहत देने वाली गिरावट दर्ज की जा सके.

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