भोपाल। प्रदेश में 15 से 17 साल के बच्चों को लगने वाले कोरोना टीके की रफ्तार भले ही बेहतर हो, लेकिन बूस्टर डोज की रफ्तार धीमी पड़ गई है. जिसके चलते ग्राफ लगातार गिर रहा है. प्रदेश में बूस्टर या प्रिकॉशन डोज़ लगवाने वालों की संख्या लगभग 77 लाख है. जिसमें से मात्र 5,96000 लोगों को ही यह डोज़ लग पाया है जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर भी शामिल हैं.
स्वास्थ्य विभाग का भटका ध्यान
दरअसल, केंद्र सरकार ने 3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों को टीका लगाने की शुरुआत की है. इसके साथ ही 60 साल से ज्यादा वाले बुजुर्गों और फ्रंटलाइन वर्करों को भी 10 जनवरी के बाद से बूस्टर डोज़ लगाया जा रहा है. लेकिन फिलहाल 60 प्लस बुजुर्गों और फ्रंटलाइन वर्करों को डोज़ लगाने पर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान ही नहीं है. इसके चलते अभी तक मात्र 5 लाख 96 हजार प्रिकॉशन डोज़ लगाई गई है, जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर भी शामिल है. इसके अलावा बच्चों के टीकाकरण में रफ्तार पकड़ी है.
बच्चों के टीकाकरण की स्थिति
प्रदेश में 15 से 18 साल के बच्चों की संख्या 49 लाख से अधिक है, जिनमें से 36 लाख 37 हजार बच्चों को अब तक टीका लगाया जा चुका है. इसके साथ ही, दूसरे डोज़ की तैयारी भी पूरी कर ली गई है जो फरवरी के शुरुआती सप्ताह में शुरू हो जाएगा.
मध्यप्रदेश की स्थिति
प्रदेश में अब तक 10 करोड़ 90 लाख लोगों को टीकाकरण (MP Vaccination Update) हो चुका है, जिसमें से पांच करोड़ 71 लाख को पहला और 5 करोड़ 12 लाख को दूसरा टीका लग चुका है. जबकि 5 लाख 96000 को बूस्टर डोज़ लगे हैं वहीं, 15 से 18 साल तक के बच्चों में 36 लाख 37 हजार से अधिक का टीकाकरण हो चुका है।
क्या कहते हैं अधिकारी
मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण अधिकारी और एनएचएम के डायरेक्टर संतोष शुक्ला के मुताबिक, बच्चों का वैक्सीनेशन बेहद अच्छा चल रहा है. लेकिन बुजुर्गों के बूस्टर डोज़ में देरी का कारण उनका समय चक्र माना जा रहा है. दरअसल विभाग की गाइड लाइन के अनुसार, बुजुर्गों को दूसरा टीका लगने के 9 माह बाद ही प्रिकॉशन या बूस्टर डोज़ लगना है. ऐसे में जिन का 9 महीने का समय पूरा हुआ है उनको ही प्रिकॉशन डोज़ लगाए जा रहे हैं ,जबकि अधिकतर फ्रंटलाइन वर्करों को टीका लगाया जा चुका है.