भोपाल। कोरोना महामारी ने भारतीय पर्यटन उद्योग को लगभग तबाह कर दिया है. भारत में जहां मार्च 2019 से विदेशी पर्यटकों का आना लगभग रुक गया है, वहीं राज्यों में भी घरेलू पर्यटकों ने लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के चलते घूमने-फिरने से दूरी बनाए रखी. ऐसे में एक अनुमान के मुताबिक पर्यटन उद्योग को सालाना लगभग 60 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. वहीं टूरिज्म से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार हो गए तो कई लोगों ने अपना रोजगार बदल लिया. एक रिपोर्ट
विदेशी पर्यटकों को नहीं मिल रहा टूरिस्ट वीजा
कोरोना संक्रमण के बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने पिछले 20 मार्च 2019 के बाद से विदेशी पर्यटकों को पर्यटक वीजा देना बंद कर दिया. जिसके बाद लगभग 13 महीने तक विदेशी पर्यटक भारत नहीं आए हैं. केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने संसद में भी इन आंकड़ो को रखा था. जिसमें साल 2020 में 2019 के मुकाबले 75 प्रतिशत कम विदेशी यात्री आए.
कोरोना के कहर से राज्यों में भी टूरिज्म बेहाल
कोरोना के पहले दौर से जैसे-तैसे संभले मध्य प्रदेश के टूरिज्म सेक्टर को संक्रमण की दूसरी लहर से तगड़ा झटका लगा है. पिछले साल लगे 3 माह के लाॅक डाउन के बाद स्थिति थोड़ी सुधरी थी.
- दिसंबर 2020 तक प्रदेश में 57 लाख 81 हजार पर्यटक पर्यटन स्थलों पर पहुंचे थे.
- इनमें सबसे ज्यादा लोग प्रदेश के टाइगर रिजर्व और प्राकृतिक स्थलों वाले टूरिस्ट स्पाॅट पर पहुंचे थे.
- साल के आखिरी महीनों में संक्रमण की दर घटने के बाद धार्मिक स्थलों पर भी पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचे.
- दिसंबर माह में 18 लाख घरेलू पर्यटका प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर पहुंचे।
- साल 2020 में जुलाई से दिसंबर के बीच मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों पर 57 लाख 81 हजार टूरिस्ट पहुंचे थे.
इन टूरिस्ट स्पाॅट्स पर पहुंचने इतने टूरिस्ट
बांधवगढ़ - 44031
कान्हा - 64 हजार 806
पन्ना - 1 लाख 83 हजार 862
पेंच - 38 हजार 728
माण्डू - 2 लाख 9 हजार 293
पचमढ़ी - 26 हजार 80
चित्रकूट - 2 लाख 93 हजार 533
उज्जैन - 2 लाख 24 हजार 597
मैहर - 15 लाख 25 हजार
अब पर्यटकों की संख्या सिर्फ नाम मात्र की
- कोरोना के बाद विदेशी पर्यटकों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट आई है. साल 2020 में कोरोना की दस्तक के पहले शुरूआती तीन माह में प्रदेश में 97 हजार 786 विदेशी पर्यटक आए थे, लेकिन इसके बाद यह संख्या नाम मात्र की रह गई है.
- बीते 9 माह में प्रदेश में सिर्फ 2 हजार के करीब ही लगभग 2026 विदेशी पर्यटक ही प्रदेश की टूरिस्ट स्पाॅट्स पर पहुंचे हैं.
इस साल हालात ज्यादा खराब, संभलने में लगेगा वक्त
टूरिज्म, ट्रेवल और हॉस्पिटिलिटी के व्यवसाय से जुड़े ट्रेव्लस एजेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद हालात ज्यादा खराब हैं
कोरोना से टूरिज्म सेक्टर और हाॅस्पिटिलिटी सेक्टर पूरी तरह से ढप हो गया है.इस बार पिछले साल से ज्यादा संक्रमण फैला है, उम्मीद है कि आने वाले महीनों में संक्रमण खत्म होने के बाद टूरिस्ट स्पाॅट्स को लेकर लोगों को विश्वास लौटेगा. इस बार हालात ज्यादा खराब हैं. संक्रमण ग्रामीण इलाकों तक फैला है, इसलिए टूरिस्ट की झिझक खत्म होने में काफी वक्त लगेगा.
सुनील नोटानी, सदस्य, ट्रेव्लस एजेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया
उम्मीद पर टिका टूरिज्म
कोराना के कहर ने प्रदेश के टूरिज्म व्यव्साय को काफी नुकसान पहुंचाया है. हालांकि इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को पर्यटन के फिर से पटरी पर लौट आने की उम्मीद है. दूसरी लहर में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के साथ ही प्रदेश में अप्रैल माह से कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है. जिसके बाद से प्रदेश के सभी टूरिस्ट प्लेस पर सन्नाटा पसरा हुआ है. प्रदेश में मौजूद आर्केलाॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सभी म्यूजियम और पुरातात्विक इमारतें 15 मई तक के लिए बंद हैं, यह तारीख आगे भी बढ़ाई जा सकती है. मध्यप्रदेश में खजुराहो के मंदिर, सांची स्पूत, भीम बेटका जैसे टूरिस्ट स्पॉट और टाईगर रिजर्व और नेचर रिजर्व इस आदेश से प्रभावित हैं. इसके अलावा मध्यप्रदेश के सभी टूरिस्ट प्लेस पर टूरिस्टों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है.
उम्मीद है कि कोरोना का कहर कम होगा और स्थिति सामान्य होने के बाद एक बार फिर टूरिज्म सेक्टर पटरी पर लौट आएगा.
शिवशेखर शुक्ला, पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव
टूर एंड ट्रेवल्स से जुड़ा व्यवसाय भी ठप
कोरोना की दूसरी लहर के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए भी दुनिया के कई देशों ने भारत को रेड जोन में डालते हुए यहां की उड़ानें बंद कर दी. ऐसे में टूरिज्म उद्योग से जुड़े ट्रेवल, हॉस्पिटिलिटी, गाइड, खान-पान और होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों पर कोरोना की करारी मार पड़ी है. टूर एंड ट्रेवल से जुड़े अधिकतर ऑपरेटर्स ने अपने 80 फीसदी कर्मचारियों को हटा दिया या उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है. मध्यप्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी के लोगों की आय का स्त्रोत यहां होने वाला पर्यटन ही था, लेकिन कोरोना के कहर ने न सिर्फ उनके बिजनेस बल्कि उन्हें भी बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है. पचमढ़ी पूरी तरह से बंद है,जिसके चलते पचमढ़ी के वाहन मालिक, चालक, और होटल व्यवसाय से जुड़ों लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है. इन लोगों नें मुख्यमंत्री शिवराज सरकार से मदद की गुहार लगाई है. होशंगाबाद जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर पर्यटन के क्षेत्र से जुड़े लोगों को 5000 रुपए की आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई है.
पचमढ़ी के लोगों की आय का मुख्य साधन पर्यटन और उससे जुड़ी दूसरी गतिविधियां हैं, लेकिन कोरोनाकाल में हमारा कारोबार पूरी तरह ठप है, ट्रेवल एजेंटो ,टैक्सी मालिकों, चालकों के सामने तंगी के हालात है और होटल व्यव्साय से जुडें लोगों की भुखमरी की नौबत है, ऐसे में हमारी शिवराज मामा से गुहार है कि वे पचमढ़ी के लोगों की मदद करें. इसे लेकर हमने जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है.
अनुराग अग्रवाल,अध्यक्ष पचमढ़ी टैक्सी यूनियन
बंद हुआ बफर में सफर अभियान
मप्र सरकार ने पहले लॉकडाउन के बाद पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने के लिए कई प्रयास किए थे. पर्यटन विभाग ने ने 30 साइट विकसित किए थे जहां पर्यटन हॉलिडे मनाने जा सकते हैं. सतपुड़ा, हेरिटेज रन, पचमढ़ी मॉनसून मैराथन जैसे कई कार्यक्रमों की श्रंखला शुरू की थी. इसके अलावा बांधवगढ़ नेशनल पार्क में बैलून सफारी, टाइेस ऑन टेल और भोपाल मे देश के पहले डाइव इन सिनेमा जैसे नवाचार शुरू किए थे. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बढ़ने के साथ ही 80 फीसदी से ज्यादा पर्यटक अपनी योजना को निरस्त कर चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश के टाइगर रिजर्व को बंद कर दिया गया जहां फिलहाल टाइगर के दीदार नहीं होंगे. ऐसे में बड़े जोर शोर से शुरू हुआ प्रदेश सरकार का नवाचार बफर में सफर भी बंद पड़ा हुआ है. पर्यटन क्षेत्र से जुड़े रोहित कहते हैं
कई लोगों ने यहां अपना काम बदल लिया है. टैक्सी और टूरिस्ट गाइड जैसे व्यवसाय बंद हो चुके हैं.ऐसे में लोगों ने दूसरे काम शुरू किए हैं.उनके होटल में पहले करीब 15-20 लोग होते थे, लेकिन यह आंकड़ा कम होकर 3 लोगों का ही रह गया है.पचमढ़ी के हर होटल का यही हाल है यहां होटलों में केवल 10 फीसदी ही स्टाफ बचा है.
रोहित शर्मा, होटल व्यवसायी, पचमढ़ी
मप्र पर्यटन निगम के क्षेत्रीय अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि
कोरोना की पहली लहर के बाद हटे लाकडाउन से पर्यटन उद्योग दोबारा उबर चुका था. सितंबर 2020 के बाद से स्थिति थोड़ी अच्छी हुई थी.लोग भी होटल और टूरिस्ट प्लेस में आने लगे थे लेकिन दूसरी लहर से जिस तरह कोरोना संक्रमण बढ़ा है उससे मुश्किल बढ़ गई है. सरकार की पाबंदी से भी लोग डर गए है.
सुरेंद्र सिंह,क्षेत्रीय अधिकारी.मप्र पर्यटन निगम
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि टूरिज्म के लिहाज से अप्रैल से अगस्त तक का समय और मौसम काफी खुशनुमा रहता है, लेकिन जब से कोरोना ने अपना कहर दिखाया है. शादी ब्याह पर बंदिश है लोगों ने होटल की बुकिंग रद्द करा दी है. हनीमून पैकेज भी कैसल करा दिए गए हैं. लाकडाउन की वजह से पर्यटकों का रूझान कम हो गया है. प्रदेश के पर्यटन स्थल अब भी पूरी तरह से खाली हैं, जो पर्यटक पहले से आए थे वो भी वापस लौट चुके हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना काल में प्रदेश का पर्यटन उद्योग पूरी तरह बेपटरी हो चुका है.