भोपाल। मध्यप्रदेश में शासकीय कर्मियों की पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मंत्री समूह की बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही. अनारक्षित और आरक्षित अधिकारी कर्मचारी की एक राय नहीं बन सकी है. 10 दिन में दूसरी बार गुरुवार को मंत्रालय में बैठक बुलाई गई थी. करीब एक घंटे चली बैठक में सपाक्स ने कहा कि क्रीमीलेयर और प्रतिनिधित्व पर फैसला किए बगैर कोई भी नियम लागू करना ठीक नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट की अपील पर अंतिम फैसला आने तक नए नियम लागू नहीं किए जाएं.
पदोन्नति नियम 2021 लागू किया जाए: अजाक्स
अजाक्स के पदाधिकारियों ने अपनी राय रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. अब सरकार को अधिवक्ता मनोज गोरकेला द्वारा बनाए गए पदोन्नति नियम 2021 लागू कर देना चाहिए. हालांकि, सपाक्स के पदाधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि जो नियम बनाए गए हैं, उनमें कई विसंगतियां हैं और वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक भी नहीं हैं. इसलिए जब तक मामले में अंतिम निर्णय नहीं आ जाता है, तब तक कोई भी नियम लागू करना ठीक नहीं होगा.
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नए नियमों में कई विसंगतियां
सपाक्स ने इस मुद्दे पर लिखित में आपत्ति और सुझाव देते हुए कहा है कि 24 फरवरी से पदोन्नति में आरक्षण मामले की राज्यवार सुनवाई शुरू हो रही है और जल्द ही फैसला भी आ जाएगा. इसलिए जल्दबाजी में नियम लागू नहीं किए जाएं. अगर नियमों में कोई गलती होगी तो यह मामला फिर अदालत में चला जाएगा. सपाक्स ने आगे कहा कि सरकारी सेवा में वर्तमान में आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत से अधिक है, उसके बावजूद सरकार सिर्फ बैकलाग के पद भर रही है. इससे कर्मचारियों में भेदभाव की स्थिति बनेगी. उन्होंने सरकार से मांग की है कि कर्मचारियों को पांच स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाए.
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा, सपाक्स के अध्यक्ष केएस तोमर, अजाक्स के अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया व दोनों संगठनों सपाक्स और अजाक्स के पदाधिकारी मौजूद रहे.
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