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पंचायत चुनाव पर 'सुप्रीम निर्देश' 2014 के नियमों के मुताबिक हो चुनाव, OBC सीटों को माना जाएगा सामान्य

सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव से (supreme court comment on mp panchayat elections) संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने साफ किया है कि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव(mp panchayat elections 2022) OBC आरक्षण (elections held on 2014 based reservation criteria) के बगैर संविधान के मुताबिक होंगे.

mp panchayat elections update
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2021
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Published : Dec 17, 2021, 7:42 PM IST

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव से (supreme court comment on mp panchayat elections) संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने साफ किया है कि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव(mp panchayat elections 2022) OBC आरक्षण (elections held on 2014 based reservation criteria) के बगैर संविधान के मुताबिक होंगे. ओबीसी सीटों को सामान्य ही माना जाएगा. SC ने राज्य चुनाव आयोग को कानून के मुताबिक चुनाव कराने के निर्देश देते हुए कहा है कि कानून का पालन न करने पर भविष्य में चुनाव रद्द भी किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार के लिए झटका माना जा रहा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने इसे जनता के अधिकारों की जीत बताया है.

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2021

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण रोटेशन का पालन नहीं किया गया, यह संविधान की धारा 243 (C) और (D) का साफ उल्लंघन है।सुप्रीम कोर्ट ने मप्र राज्‍य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि ओबीसी आरक्षण आधार पर पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं. बल्कि 2014 के कानून के मुताबिक संविधान के हिसाब सम्पन्न कराए जाएं. निर्देश न मानने पर भविष्य में पंचायत चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि महाराष्ट्र पर जारी आदेश मध्य प्रदेश में भी लागू होगा और चुनाव संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक ही कराया जाए.

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2021
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2021

राज्य निर्वाचन आयोग करेगा SC निर्देशों का अध्यनन

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव पीएस जामोद का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करेंगे. फिलहाल हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार कर हैं. आदेश का अध्यनन करने के बाद निर्देशों को अमल में लाया जाएगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने इस पूरे मामले को लेकर बैठक भी बुलाई है.

कांग्रेस ने बताया संविधान की जीत भाजपा की हार

याचिका कर्ता और कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर ने सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि यह टिप्पणी इस बात का प्रतीक है कि देश संविधान के मुताबिक चलेगा भाजपा के मुताबिक नहीं. उन्होंने इसे मप्र के उन लाखों उम्मीदवारों की जीत बताया है जो दो साल से अपनी उम्मीदवारी की उम्मीद लगाकर बैठे थे. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह संविधान की जीत तो है ही मप्र की ग्रामीण जनता के अधिकारों की जीत और भाजपा की हार है. पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने गई कांग्रेस का कहना है कि हमारी आपत्ति पर की गई कोर्ट की टिप्पणी, कांग्रेस की जीत है. वहीं बीजेपी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है उसका पालन निर्वाचन आयोग द्वारा किया जा रहा है.बीजेपी हमेशा से ही न्यायालय का सम्मान करती रही है.

जानकारों की राय, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सही
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार सजी थामस का कहना है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है. उसे अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए. थॉमस कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सही निर्णय़ दिया है. राजनीतिक विश्वलेषक और वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन साफ कर दिया है कि चुनाव नियम मुताबिक संविधान के अनुसार ही कराए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को यह संदेश दिया है कि चुनाव मनमाने ढंग से नहीं कराए जा सकते.

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव से (supreme court comment on mp panchayat elections) संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने साफ किया है कि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव(mp panchayat elections 2022) OBC आरक्षण (elections held on 2014 based reservation criteria) के बगैर संविधान के मुताबिक होंगे. ओबीसी सीटों को सामान्य ही माना जाएगा. SC ने राज्य चुनाव आयोग को कानून के मुताबिक चुनाव कराने के निर्देश देते हुए कहा है कि कानून का पालन न करने पर भविष्य में चुनाव रद्द भी किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार के लिए झटका माना जा रहा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने इसे जनता के अधिकारों की जीत बताया है.

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2021

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण रोटेशन का पालन नहीं किया गया, यह संविधान की धारा 243 (C) और (D) का साफ उल्लंघन है।सुप्रीम कोर्ट ने मप्र राज्‍य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि ओबीसी आरक्षण आधार पर पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं. बल्कि 2014 के कानून के मुताबिक संविधान के हिसाब सम्पन्न कराए जाएं. निर्देश न मानने पर भविष्य में पंचायत चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि महाराष्ट्र पर जारी आदेश मध्य प्रदेश में भी लागू होगा और चुनाव संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक ही कराया जाए.

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2021
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2021

राज्य निर्वाचन आयोग करेगा SC निर्देशों का अध्यनन

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव पीएस जामोद का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करेंगे. फिलहाल हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार कर हैं. आदेश का अध्यनन करने के बाद निर्देशों को अमल में लाया जाएगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने इस पूरे मामले को लेकर बैठक भी बुलाई है.

कांग्रेस ने बताया संविधान की जीत भाजपा की हार

याचिका कर्ता और कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर ने सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि यह टिप्पणी इस बात का प्रतीक है कि देश संविधान के मुताबिक चलेगा भाजपा के मुताबिक नहीं. उन्होंने इसे मप्र के उन लाखों उम्मीदवारों की जीत बताया है जो दो साल से अपनी उम्मीदवारी की उम्मीद लगाकर बैठे थे. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह संविधान की जीत तो है ही मप्र की ग्रामीण जनता के अधिकारों की जीत और भाजपा की हार है. पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने गई कांग्रेस का कहना है कि हमारी आपत्ति पर की गई कोर्ट की टिप्पणी, कांग्रेस की जीत है. वहीं बीजेपी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है उसका पालन निर्वाचन आयोग द्वारा किया जा रहा है.बीजेपी हमेशा से ही न्यायालय का सम्मान करती रही है.

जानकारों की राय, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सही
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार सजी थामस का कहना है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है. उसे अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए. थॉमस कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सही निर्णय़ दिया है. राजनीतिक विश्वलेषक और वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन साफ कर दिया है कि चुनाव नियम मुताबिक संविधान के अनुसार ही कराए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को यह संदेश दिया है कि चुनाव मनमाने ढंग से नहीं कराए जा सकते.

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