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ओबीसी को 27 % आरक्षण, सरकार ने स्थगन के बावजूद लागू किया आदेश, हाई कोर्ट ने 3 दिन में मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के स्थगन आदेश को वापस लेने से इंकार करते हुए इस संबंध में दाखिल की गई अन्य याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की थी. इसके पहले सरकार ने आरक्षण लागू करने का फैसला कर लिया. इस मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस व्ही के शुक्ला की पीठ ने सरकार को तीन दिनों में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

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ओबीसी को 27 % आरक्षण,
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Published : Sep 16, 2021, 5:15 PM IST

जबलपुर। प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. आपको बता दें कि सरकार ने यह आदेश महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर लिया था. इस फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका में में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के स्थगन आदेश को वापस लेने से इंकार करते हुए इस संबंध में दाखिल की गई अन्य याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की थी. इसके पहले सरकार ने आरक्षण लागू करने का फैसला कर लिया. इस मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस व्ही के शुक्ला की पीठ ने सरकार को तीन दिनों में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

20 सितंबर को होनी है सुनवाई

कोर्ट की युगलपीठ ने उक्त याचिका की सुनवाई ओबीसी आरक्षण संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ 20 सितम्बर को निर्धारित की है.
यूथ ऑफ इक्वलिटी की तरफ से दायर इस याचिका में प्रदेश सरकार ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी किए जाने के अधिनियम को चुनौती दी गई है. इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अन्य 6 याचिकाओं में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर स्थगन आदेश जारी किये थे. जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिए आवेदन फाइल किया गया था. हाईकोर्ट ने 1 सितम्बर 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए संबंधित याचिकाओं की अंतिम सुनवाई किए जाने के निर्देश जारी किए थे.

सरकार के आदेश को दी गई चुनौती

याचिका में कहा गया है कि महाधिवक्ता ने 25 अगस्त 2021 को अभिमत दिया था कि उच्च न्यायालय ने पीजी नीट 2019-20, पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति तथा शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक लगाई थी. महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने शेष विभाग की परीक्षाओं व नियुक्तियों में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत दिये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं. प्रदेश सरकार द्वारा जारी उक्त आदेश की संवैधानिकता को याचिका में चुनौती दी गयी है.

इंदिरा साहनी और मराठा आरक्षण के मामले का किया जिक्र
याचिका में सर्वाेच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामले में दिए गए स्पष्ट आदेशों का हवाला दिया है. जिसमें आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने की बात कही गई है. प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर आरक्षण की सीमा 63 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार को तीन दिनों में जवाब देने के आदेश जारी किए हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सुयश ठाकुर और सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पुरूपेन्द्र कौरव उपस्थित हुए

जबलपुर। प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. आपको बता दें कि सरकार ने यह आदेश महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर लिया था. इस फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका में में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के स्थगन आदेश को वापस लेने से इंकार करते हुए इस संबंध में दाखिल की गई अन्य याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की थी. इसके पहले सरकार ने आरक्षण लागू करने का फैसला कर लिया. इस मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस व्ही के शुक्ला की पीठ ने सरकार को तीन दिनों में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

20 सितंबर को होनी है सुनवाई

कोर्ट की युगलपीठ ने उक्त याचिका की सुनवाई ओबीसी आरक्षण संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ 20 सितम्बर को निर्धारित की है.
यूथ ऑफ इक्वलिटी की तरफ से दायर इस याचिका में प्रदेश सरकार ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी किए जाने के अधिनियम को चुनौती दी गई है. इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अन्य 6 याचिकाओं में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर स्थगन आदेश जारी किये थे. जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिए आवेदन फाइल किया गया था. हाईकोर्ट ने 1 सितम्बर 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए संबंधित याचिकाओं की अंतिम सुनवाई किए जाने के निर्देश जारी किए थे.

सरकार के आदेश को दी गई चुनौती

याचिका में कहा गया है कि महाधिवक्ता ने 25 अगस्त 2021 को अभिमत दिया था कि उच्च न्यायालय ने पीजी नीट 2019-20, पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति तथा शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक लगाई थी. महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने शेष विभाग की परीक्षाओं व नियुक्तियों में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत दिये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं. प्रदेश सरकार द्वारा जारी उक्त आदेश की संवैधानिकता को याचिका में चुनौती दी गयी है.

इंदिरा साहनी और मराठा आरक्षण के मामले का किया जिक्र
याचिका में सर्वाेच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने साल 1993 में इंदिरा साहनी तथा साल 2021 में मराठा आरक्षण के मामले में दिए गए स्पष्ट आदेशों का हवाला दिया है. जिसमें आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने की बात कही गई है. प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने पर आरक्षण की सीमा 63 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार को तीन दिनों में जवाब देने के आदेश जारी किए हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सुयश ठाकुर और सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पुरूपेन्द्र कौरव उपस्थित हुए

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